जयंत ने अंग्रेजी में ली शपथ, दादा, पिता के बाद पोता केंद्रीय मंत्री बना, चौधरी परिवार की दस साल बाद वापसी
जयंत चौधरी भी मोदी की तीसरी सरकार में मंत्री बन गए। जयंत पिता अजीत सिंह और दादा चौधरी चरण सिंह के बाद अब खुद भी मंत्री बन गए हैं। देश के बहुत कम परिवारों को इस तरह का सौभाग्य मिला है।
केंद्र की मोदी 3.0 सरकार रविवार की शाम बन गई। यूपी से ही एक बार फिर देश को प्रधानमंत्री मिला है। यूपी से चुने गए राजनाथ सिंह और हरदीप पुरी को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। इसके साथ ही आठ राज्यमंत्री बनाए गए हैं। इन राज्यमंत्रियों में सहयोगी दलों रालोद के जयंत चौधरी और अपना दल की अनुप्रिया पटेल को शपथ दिलाई गई है। जयंत चौधरी ने अंग्रेजी में शपथ ली। अपनी पहचान हरा दुपट्टा गले में लपेटे जयंत चौधरी यूपी ये अंग्रेजी में शपथ लेने वाले अकेले नेता रहे। जयंत के केद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होते ही कई रिकॉर्ड भी बन गए हैं। यूपी से जयंत चौधरी इकलौते ऐसे सांसद हो गए हैं जिनके दादा और पिता भी केंद्र में मंत्री रहे हैं। चौधरी परिवार की दस साल बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल में वापसी हुई है।
2011 से 2014 तक जयंत चौधरी के पिता अजित सिंह मनमोहन सिंह सरकार में नागरिक उड्डयन मंत्री थे। इससे पहले भी वे वीपी सिंह सरकार में उद्योग मंत्री, नरसिम्हा राव की सरकार में खाद्य आपूर्ति मंत्री और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में कृषि मंत्री रह चुके थे। वर्ष 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में मिली हार के बाद केंद्र की सत्ता से रालोद और चौधरी परिवार दूर हो गया था।
इससे पहले जयंत के दादा चौधरी चरण सिंह ने वर्ष 1977 में पहली बार चुनाव लड़ा था और कांग्रेस के रामचंद्र विकल को हराकर लोकसभा की दहलीज पर पहुंचे। यह चुनाव जीतने के बाद चौधरी चरण सिंह देश के गृहमंत्री बने और 1979 में उप प्रधानमंत्री के साथ वित्त मंत्री और फिर इसी साल प्रधानमंत्री बने थे। किसान मसीहा चौधरी चरण सिंह ने बागपत सीट से तीन बार चुनाव लड़ा था और तीनों ही बार जीतकर संसद पहुंचे थे।
सपा के सहयोग से राज्यसभा पहुंचे थे जयंत
यूपी विधानसभा चुनाव के बाद जयंत चौधरी जुलाई 2022 में सपा से गठबंधन होने के बाद राज्यसभा सांसद बने। पिछले दिनों हुए लोकसभा चुनाव में रालोद ने भाजपा से गठबंधन कर लिया। बागपत और बिजनौर लोकसभा सीट उसके खाते में आ गई। जयंत चौधरी ने बागपत से डा. राजकुमार सांगवान और बिजनौर से चंदन सिंह को चुनाव मैदान में उतारा। दोनों ही सीटों पर रालोद के सांसद चुने गए। अब केंद्र में एनडीए की सरकार बनी तो दो सांसद जीतने पर जयंत चौधरी को भी इनाम स्वरूप मंत्री पद मिल गया। इसके बाद 10 वर्षों से चला आ रहा मंत्री पद का सूखा भी खत्म हो गया। रालोद के लिए इससे बड़ी खुशी ओर क्या हो सकती है कि एक तो 10 साल बाद उसे उसकी विरासत वाली सीट मिल गई वहीं केंद्र में मंत्री पद का सूखा भी समाप्त हो गया। राजनैतिक विश्लेषकों की मानें तो रालोद ने जब-जब भाजपा से गठबंधन किया है उसे लाभ ही मिला है।
अजित सिंह ने भी खूब संभाली विरासत
चौधरी चरण सिंह ने वर्ष 1989 के चुनाव में अपनी राजनैतिक विरासत बेटे अजित सिंह को सौंप दी थी। अजित सिंह ने भी विरासत वाली बागपत सीट को बखूबी संभाले रखा था। वे वर्ष 1989, 1991 और 1996 तक बागपत सीट से लगातार सांसद रहे। वर्ष 1998 के चुनाव में वे भाजपा के सोमपाल शास्त्री से चुनाव हार गए थे, लेकिन एक वर्ष बाद हुए चुनाव में उन्होंने फिर से जीत हासिल कर ली थी। इसके बाद वे 2014 तक बागपत सीट से सांसद रहे, लेकिन 2014 के चुनाव में वे हार गए थे। वर्ष 2019 के चुनाव में उन्होंने बेटे जयंत चौधरी को बागपत सीट से चुनाव मैदान में उतारा, लेकिन वे भी भाजपा के डा. सत्यपाल सिंह से चुनाव हार गए थे।
दादा ने एक बार, तो पिता ने दो बार लगाई हैट्रिक
बागपत लोकसभा सीट से चौधरी चरण सिंह ने तीन बार लगातार चुनाव जीतकर हैट्रिक लगाई थी। सबसे पहले उन्होंने आपातकाल के बाद वर्ष 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में बागपत सीट से चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के रामचंद्र विकल को बड़े अंतर से पराजित किया था। इसके बाद वर्ष 1980 और 1984 में चुनाव जीतकर सांसद बने थे। 1984 के बाद चौधरी चरण सिंह ने राजनैतिक विरासत पुत्र अजित सिंह को सौंप दी थी। अजित सिंह ने भी पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए बागपत सीट से लोकसभा चुनाव जीतने की दो बार हैट्रिक लगाई। उन्होंने 1989, 1991 और 1996 में चुनाव जीता। वर्ष 1998 में वे चुनाव हार गए, लेकिन अगले ही साल वे फिर से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंच गए। 1999 के बाद उन्होंने 2004 और 2009 में चुनाव जीतकर एक बार फिर से हैट्रिक लगाई।
दादा प्रधानमंत्री तो पिता रहे चार बार केंद्रीय मंत्री
रालोद सुप्रीमो जयंत चौधरी के दादा स्व. चौधरी चरण सिंह 1977 में लोकसभा चुनाव जीतकर पहली बार संसद पहुंचे थे। चुनाव जीतने के बाद उन्हें केंद्र सरकार में गृहमंत्री बनाया गया। 1979 में उन्हें केंद्रीय वित्त मंत्री, उप प्रधानमंत्री बनाया गया। फिर देश के प्रधानमंत्री बनाए गए। हालांकि वे ज्यादा दिनों तक प्रधानमंत्री नहीं रहे, लेकिन देश के सर्वोच्च पद तक पहुंचकर उन्होंने बागपत का भी नाम रोशन किया। चौधरी चरण सिंह के बाद अजित सिंह वीपी सिंह की सरकार में 5 दिसंबर 1989 से 10 नवंबर 1990 तक वाणिज्य और उद्योग मंत्री रहे। पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में फरवरी 1995 से मई 1996 तक केंद्रीय खाद्य प्रसंस्कृत उद्योग मंत्री रहे। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में 22 जुलाई 2001 से 24 मई 2003 तक केंद्रीय कृषि मंत्री रहे और फिर मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार में 18 दिसंबर 2011 से 26 मई 2014 तक नागरिक उड्यनन मंत्री रहे। अब जयंत चौधरी भी उनके नक्शे कदम पर चलते हुए केंद्र में मंत्री बन गए।
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