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भाई-बहन के बीच सरहद नहीं बनेगी दीवार, 2 साल बाद भारत-नेपाल सीमा के दोनों तरफ रक्षाबंधन की खास तैयारी 

दो साल बाद रक्षाबंधन के मौके पर भारत-नेपाल की सरहद भाई-बहन के प्‍यार के बीच दीवार नहीं बनेगी। कोविड के चलते रोक थी। अब दोनों तरफ रहने वाले भाई-बहन एक-दूसरे के पास त्‍योहार मनाने आसानी से आ जा सकेंगे।

Ajay Singh मनोज पांडेय, महराजगंजThu, 11 Aug 2022 06:10 PM
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इस बार सरहद भाई-बहन के प्‍यार के बीच दीवार नहीं बनेगी। कोविड के चलते 2 साल तक रही बंदिशों के बाद इस बार दोनों तरफ रक्षाबंधन की खास तैयारियां की गई हैं। इस बार राखी बंधवाने उस पार से भाई भी आ सकेंगे और इस पार से बहनें जा भी सकेंगी। 

सीमा से सटे नेपाल के मरजादपुर गांव की रेनू देवी इस साल बहुत खुश हैं। दो साल बाद वह नौतनवा के कोहड़वल परसा गांव में आकर वह अपने भाई को राखी बांध सकेंगी। कोरोना काल में सीमा सील होने की वजह से भाई-बहन के त्योहार को न मना पाने वाली रेनू देवी ने इस साल इस त्योहार को लेकर खासी उत्साहित हैं। खूब तैयारियां की हैं। वहीं नौतनवा के महुअवा नंबर एक गांव की धनमति देवी भी इस साल इस त्योहार को लेकर बहुत उत्साहित हैं।

नेपाल व भारत में रोटी-बेटी का संबंध है। भारत व नेपाल के सरहदी इलाकें में लोगों की दूसरे देश में खूब शादियां हुई हैं। एक-दूसरे के त्योहारों में ये रिश्तेदार शामिल होते हैं। रक्षाबंधन इनमें से प्रमुख त्योहार है। लेकिन दो साल से कोविड काल में सीमा सील होने की वजह से यह पर्व फीका हो गया था।

नेपाल से आएंगी बहनें तो भाई भी नेपाल जाएंगे
नौतनवा के कोहड़वल परसा गांव की रेनू देवी की शादी 1998 में नेपाल के सीमाई रुपन्देही जिले के मरजादपुर में हुई है। हर साल वह अपने भाई बबलू को राखी बांधने आती रहती हैं, कभी बबलू भी वहां जाकर राखी बंधवाते रहे हैं। अपने भाई को राखी बांधकर इस पर्व को धूमधाम से मनाएंगी।

वहीं रुपन्देही के महुआरी गांव की धनमति देवी की शादी नौतनवा के महुअवा नंबर एक के टोला मध्य नगर में हुई है। 1962 में शादी के बाद हर साल कभी वे नेपाल जाती हैं तो कभी इनके चार भाइयों में से कोई न कोई उनके घर पहुंचता रहा है। लेकिन कोरोना ने यह सिलसिला रोक दिया।

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