Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़In search of secrets related to Mahabharata excavation will be done in Hastinapur ASI team reached Pandav Mound

महाभारत से जुड़े रहस्‍यों की तलाश में हस्तिनापुर में होगी खुदाई, पांडव टीला पर पहुंची ASI की टीम

महाभारत काल के अबूझ रहस्‍यों की तलाश में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम हस्तिनापुर में खुदाई कराएगी। मेरठ जिला मुख्‍यालय से 40 किलोमीटर दूर महाभारत के गवाह हस्तिनापुर एएसआई ने खुदाई...

Yogesh Yadav मेरठ लाइव हिन्दुस्तान, Tue, 20 July 2021 07:38 PM
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महाभारत काल के अबूझ रहस्‍यों की तलाश में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम हस्तिनापुर में खुदाई कराएगी। मेरठ जिला मुख्‍यालय से 40 किलोमीटर दूर महाभारत के गवाह हस्तिनापुर एएसआई ने खुदाई की तैयारी शुरू कर दी है। महाकाव्य 'महाभारत' में कौरवों की राजधानी हस्तिनापुर की कथा से जुड़े रहस्‍यों को जानने के लिए एएसआई ने यह कदम उठाने का फैसला किया है। इससे पहले पिछले साल अगस्त में लगातार बारिश के बाद हस्तिनापुर टीले में तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के मिट्टी के बर्तनों की खोज की गई थी।

एएसआई के नव-निर्मित मेरठ सर्कल के सुपरिटेंडिंग आर्कियोलॉजिस्ट ब्रजसुंदर गडनायक की मानें तो अभी तक टीले वाले क्षेत्रों के संरक्षण और पुराने मंदिरों को नया रूप देने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। थोड़ा निर्माण भी हुआ है। सितंबर के बाद जब मानसून खत्म हो जाएगा तब खुदाई पर गौर करेंगे। हस्तिनापुर उन पांच स्थलों में शामिल है, जिनका विकास केंद्र की ओर से प्रस्तावित किया गया है। 2020 के केंद्रीय बजट में राखीगढ़ी (हरियाणा), शिवसागर (असम), धोलावीरा (गुजरात) और आदिचल्लानूर (तमिलनाडु) के साथ हस्तिनापुर को आइकॉन‍कि साइटों के रूप में विकसित करने के लिए चिह्नित किया गया था।

गंगा की बाढ़ में शहर बहने की आशंका
हस्तिनापुर में पहली खुदाई 1952 में हुई थी। जब आर्कियोलॉजिस्ट प्रोफेसर बीबी लाल ने निष्कर्ष निकाला कि महाभारत काल लगभग 900 ईसा पूर्व था और शहर गंगा की बाढ़ से बह गया था। दरअसल बीबी लाल अयोध्‍या में विवादित ढांचे बाबरी मस्जिद के नीचे 12 मंदिर स्तंभों की 'खोज' के लिए जाने जाते हैं। मोदीनगर के मुल्तानिमल मोदी कॉलेज में इतिहास के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. केके शर्मा ने कहा कि 1952 बाद कोई ठोस विकास नहीं हुआ। फिर 2006 में हस्तिनापुर से लगभग 90 किमी दूर सिनौली में एक प्राचीन कब्रगाह की खोज और 2018 में एक तांबे के घोड़े से चलने वाले युद्ध रथ की खोज ने इस सिद्धांत को दर्शाया कि वे महाभारत काल के थे क्योंकि महाकाव्य में रथों का जिक्र किया गया है। शर्मा 2006 की सिनौली खुदाई का हिस्सा थे।

ईसा पूर्व के मिट्टी के बर्तन मिले
पिछले साल अगस्त में लगातार बारिश के बाद हस्तिनापुर टीले में तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के मिट्टी के बर्तनों की खोज की गई थी। शर्मा ने कहा कि डिजाइन बरेली की आंवला तहसील के एक प्राचीन टीले, अहिच्छत्र के समान था। अहिच्छत्र का जिक्र 'महाभारत' में उत्तरी पांचाल की राजधानी के रूप में किया गया है। वास्तव में यह हस्तिनापुर, मथुरा, कुरुक्षेत्र और काम्पिल्य जैसे 'महाभारत स्थलों' से मिट्टी के बर्तन थे जो बीबी लाल मानते थे कि यह सबूत था जो उन सभी को जोड़ता था।

एएसआई ने डेरा जमाया
इस साल जनवरी में जब एएसआई का मेरठ सर्कल बनाया गया था, तब अधिकारियों ने कहा था कि नया सर्कल हस्तिनापुर पर केंद्रित होगा। शनिवार को एएसआई के संयुक्त निदेशक डॉ संजय मंजुल और क्षेत्रीय निदेशक आरती ने हस्तिनापुर का दौरा किया। सोमवार तक एएसआई के अधिकारियों ने पांडव टीले पर डेरा डालना शुरू कर दिया, जहां महाकाव्य कहता है कि पांडव रहते थे। अभियान की शुरुआत के लिए वहां दो स्थलों को चिह्नित किया गया है। गडनायक ने कहा कि क्या हस्तिनापुर खोल सकता है सिनौली से बड़ा राज? यह केवल आने वाला समय ही बताएगा।

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