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अब इमरान मसूद को कौन लेगा? प्रियंका कराएंगी कांग्रेस में वापसी? जयंत चौधरी या ओवैसी देंगे शरण? 

इमरान मसूद की भविष्य की रणनीति पर अटकलें लगाई जा रही हैं। कहा जा रहा है कि वह दोबारा कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। एक दिन पहले ही उन्होंने प्रियंका और राहुल गांधी की तारीफ भी की थी।

Yogesh Yadav लाइव हिन्दुस्तान, लखनऊTue, 29 Aug 2023 08:26 PM
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पश्चिमी यूपी के बड़े मुस्लिम चेहरा माने जाने वाले इमरान मसूद बसपा से निष्कासित हो गए हैं। दस महीने पहले ही मायावती ने खुद उन्हें अपनी पार्टी में शामिल किया था। इमरान इससे पहले सपा और कांग्रेस में रहे हैं। उनके भविष्य की रणनीति पर अटकलें लगाई जा रही हैं। कहा जा रहा है कि वह दोबारा कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। एक दिन पहले ही उन्होंने प्रियंका और राहुल गांधी की तारीफ भी की थी। इसी तारीफ को उनके निष्कासन से जोड़ा भी जा रहा है। हालांकि इस तारीफ से पहले ही मायावती से उनकी तकरार की बातें तब सामने आईं थी जब लखनऊ की बैठक में उन्हें नहीं बुलाया गया था। 

इमरान को लेकर कई चर्चाएं हैं। उनके दोबारा कांग्रेस में शामिल होने की सबसे ज्यादा चर्चा है। इसके साथ ही रालोद और ओवैसी के साथ भी जाने की अटकलें लगाई जा रही हैं। जयंत की रालोद पश्चिमी यूपी में खुद को लगातार मजूबत कर रही है। जयंत लगातार भाईचारा और सद्भावना सम्मेलन भी कर रहे हैं। लगातार हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए काम में लगे हैं। ऐसे में इमरान और जयंत दोनों के लिए एक आप्शन रालोद भी हो सकता है। 

इमरान ने एक तरफ अखिलेश को अहंकारी कहा है। ऐसे में सपा में आने की संभावना कम ही है। अगर सपा में नहीं आते तो कांग्रेस और रालोद में उनके आने पर सपा की तरफ से पेच भी लगाया जा सकता है। अंतिम आप्शन ओवैसी की पार्टी हो सकती है। हाल में पश्चिमी यूपी में नगर निगम चुनाव में ओवैसी ने मजबूती दिखाई भी है। मेरठ में ओवैसी की पार्टी का कैंडिडेट दूसरे नंबर पर रहा है। ऐसे में क्या अपना राजनीतिक प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए वह ओवैसी की शरण में जा सकते हैं।

कांग्रेस से दो बार लोकसभा का चुनाव लड़ा
इमरान मसूद कांग्रेस से दो बार लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। उन्होंने वर्ष 2014 में चार लाख से अधिक वोट पाए थे, जबकि 2019 के चुनाव में सवा दो लाख मिले थे। वह वेस्ट यूपी के दिग्गज नेता रहे काजी रशीद मसूद के भतीजे हैं। अटकलें लगाई जा रही हैं कि वह कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं। क्योंकि वह पूर्व में दो बार जहां कांग्रेस से चुनाव लड़ चुके हैं, वहीं कांग्रेस ने उन्हें दिल्ली जैसे अहम राज्य का प्रभारी बना दिया था।

उधर इमरान मसूद ने हिन्दुस्तान को बताया कि कांग्रेस में जाने को कहना अभी जल्दबाजी होगी। वह साथियों के साथ मशविरा करेंगे। उसके बाद ही जो भी उचित होगा फैसला लेंगे। इमरान मसूद ने कहा कि वह लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे। इमरान मसूद कुछ नहीं हैं। साथी और मतदाता दवाब बना रहे हैं। जो भी मतदाता कहेंगे, वही करेंगे। लेकिन किस पार्टी से चुनाव लड़ेंगे, यह अभी उन्होंने पत्ते नहीं खोले हैं। 

बसपा ने क्यों किया निष्कासित
सहारनपुर के बसपा जिलाध्यक्ष जनेश्वर प्रसाद ने मंगलवार को बयान जारी कर कहा कि इमरान मसूद पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त थे। कई बार उन्हें चेतावनी दी गई, लेकिन उनकी कार्यशैली में कोई सुधार नहीं आया। जब इमरान को पार्टी में शामिल किया गया था, तब स्पष्ट बता दिया गया था कि पार्टी के प्रति उनकी कार्यशैली और गतिविधियों को ध्यान में रखकर सहारनपुर लोकसभा सीट से टिकट दिया जाएगा। नगर निकाय के चुनाव में उन्होंने मेयर सीट पर अपने परिवार के सदस्य को टिकट देने के लिए दबाव बनाया।

इस शर्त पर मेयर का पद का टिकट दिया गया कि यदि इनके परिवार का सदस्य चुनाव हार जाता है तो फिर इमरान को लोकसभा का टिकट नहीं दिया जाएगा। यदि परिवार के सदस्य मेयर चुनाव जीत जाते हैं तो लोकसभा का टिकट देने के बारे में सोच विचार किया जाएगा। इत्तिफाक से बसपा के टिकट पर लड़ीं इनकी भाभी खदीजा मसूद चुनाव हार गईं। इसके बाद भी वह दबाव बना रहे थे। 
 
निष्कासन के बाद यह बोले इमरान
इमरान मसूद ने निष्कासन के बाद अपना पक्ष रखते हुए कहा कि बहन जी ने आशीर्वाद देकर पार्टी में शामिल किया था। लेकिन, बेचारे जिलाध्यक्ष ने निकाल दिया। मैंने पूरी जिम्मेदारी और मेहनत के साथ बसपा के लिए काम किया। मैंने पूरी जिम्मेदारी और मेहनत के साथ बसपा के लिए काम किया। यही कारण रहा कि विधानसभा चुनावों में जहां बसपा प्रत्याशी को महज आठ हजार वोट मिले थे। जबकि उन्होंने मेहनत करके मेयर चुनाव में डेढ़ लाख वोट बसपा के खाते में डलवा दिए। उन्होंने कहा कि मैं छोटा काश्तकार हूं। मेरे पास वोट हैं, नोट नहीं। अब बसपा को पता चल जाएगा। यदि बसपा किसी गठबंधन में शामिल नहीं हुई तो लोकसभा चुनावों में जीरो पर सिमट जाएगी।

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