लखनऊ में कोरोना के गंभीर मरीजों के लिए आईसीयू-वेंटिलेटर फुल, मुश्किलें बढ़ीं
कोरोना के गंभीर मरीजों की भर्ती कठिन हो गई है। वजह, ज्यादातर अस्पतालों में आईसीयू, हाई डिपेंडेंसिव यूनिट (एचडीयू) और वेंटिलेटर के 98 प्रतिशत बेड भर गए हैं। कोरोना का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है।...
कोरोना के गंभीर मरीजों की भर्ती कठिन हो गई है। वजह, ज्यादातर अस्पतालों में आईसीयू, हाई डिपेंडेंसिव यूनिट (एचडीयू) और वेंटिलेटर के 98 प्रतिशत बेड भर गए हैं।
कोरोना का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि होम आईसोलेशन से अस्पतालों में मरीजों का दबाव जरूर कम हुआ है लेकिन गंभीर मरीजों ने मुश्किलें बढ़ा दी हैं। लगातार गंभीर अवस्था में मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं। आईसीयू, वेंटिलेटर के बेड फुल होने से मरीजों को भर्ती के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। कोविड के लिए चयनित अस्पतालों के आईसीयू में 510 बेड हैं। 157 वेंटिलेटर हैं।
ये हैं सरकारी संस्थान
पीजीआई, लोहिया संस्थान, केजीएमयू में गंभीर मरीजों की भर्ती की व्यवस्था है। कैंट स्थित बेस हॉस्पिटल, ईएसआई, रेलवे, राम सागर मिश्र व लोकबंधु अस्पताल में मरीजों के भर्ती का इंतजाम हैं। डॉक्टरों के मुताबिक कोरोना के सामान्य मरीज पांच से 12 दिनों में ठीक हो रहे हैं। पर, आईसीयू के मरीजों के ठीक होने में वक्त लग रहा है। आईसीयू और वेंटिलेटर पर 80 प्रतिशत कोरोना संक्रमित बुजुर्ग और पूर्व की गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं।
प्राइवेट अस्पताल
एरा, इंटीग्रल, टीएसएम, प्रसाद, लखनऊ हेरीटेज हॉस्पिटल, विधा हॉस्पिटल, विवेकानंद, चरक, ओपी चौधरी हॉस्पिटल, मेदांता, निशात, अर्थव समेत अन्य हॉस्पिटल हैं। मेयो, निशात, मैकविल व वागा हॉस्पिटल हैं।
ये हैं कोविड केयर सेंटर
आनंदी वाटर पार्क व हज हाउस को कोविड केयर सेंटर बनाया गया है। इसमें बिना लक्षण वाले कोरोना संक्रमित भर्ती किए जा रहे हैं।
फैक्ट फाइल
लेवल एक के 15, लेवल-2 के चार और लेवल तीन के सात अस्पताल हैं।
कोरोना के गंभीर मरीजों को इलाज के उपलब्ध कराने की पूरी कोशिश की जा रही है। गंभीर मरीजों को बेड भी मुहैया कराए जा रहे हैं। मरीजों का दबाव बढ़ा है। उसके मद्देनजर एचडीयू, आईसीयू और वेंटिलेटर के बेड बढ़ाने की दिशा में कवायद की जा रही है।
योगेश रघुवंशी, प्रवक्ता सीएमओ