कोल्ड चैंबर में इंसान का दिमाग, छह महीने तक रहेगा सुरक्षित; AIIMS में 5 ब्रेन पर ट्रॉयल सफल
मृत्यु के बाद मनुष्य का दिमाग छह महीने तक सुरक्षित रखा जा सकता है। यह तथ्य नई दिल्ली के एम्स में हुए ट्रायल से साबित हुआ है। एम्स को पांच इंसानी दिमागों को सुरक्षित रखने में कामयाबी मिली है।
Human brain in cold storage: मृत्यु के बाद मनुष्य का दिमाग छह महीने तक सुरक्षित रखा जा सकता है। यह तथ्य नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में हुए ट्रायल से साबित हुआ है। एम्स को पांच इंसानी दिमागों को सुरक्षित रखने में कामयाबी मिली है। इस नए शोध से मेडिकल, खासकर न्यूरो सर्जरी के छात्रों का कौशल बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
बीएचयू में आयोजित ‘काशी फिजिकॉन’ में भाग लेने आईं एम्स, नई दिल्ली के ट्रामा सेंटर में फिजियोथेरेपिस्ट एवं एनाटॉमिस्ट डॉ. दीक्षा शर्मा ने ब्रेन को लेकर चल रहे ट्रायल की जानकारी दी। मेडिकल कॉलेजों में अभी डेड बॉडी से छात्रों को शरीर संरचना के बारे में पढ़ाया जाता है। वहीं, न्यूरो सर्जरी विभाग में एमडी/एमएस में प्रवेश लेने वाले छात्रों का अध्ययन या न्यूरो सर्जन को नई तकनीक की जानकारी देने की बात, सब कुछ वर्चुअल ब्रेन के माध्यम से होता है। ऐसे में रियल ब्रेन पर सर्जरी की स्थिति में भावी डॉक्टरों को समस्या होती है।
इसे देखते हुए डॉ. दीक्षा शर्मा ने इंसानी दिमाग पर अध्ययन करना शुरू किया। एम्स की एथिकिल कमेटी ने इसकी अनुमति दे दी है। उन्होंने बताया कि यह पांच साल का प्रोजेक्ट है। हम लोगों ने कोल्ड चैंबर में पांच ब्र्रेन सुरक्षित रखे हैं। इससे न्यूरो सर्जन रियल ब्रेन पर प्रशिक्षण ले सकेंगे।
24 घंटे के अंदर निकाल लेते हैं ब्रेन
डॉ. दीक्षा शर्मा ने बताया कि किसी की मृत्यु होने के बाद 24 घंटे के अंदर उसका ब्रेन निकाल लेते हैं। मनुष्य के मस्तिष्क से ब्रेन लिक्विड फार्म में निकाला जाता है। उसे कोल्ड चैंबर में माइनस चार डिग्री सेंटीग्रेड के तापमान में रखा जाता है। ब्रेन खराब न हो, इसके लिए फर्मलीन सहित कई केमिकल लगाए जाते हैं। वह सात दिनों के प्रॉसेस में ठोस रूप में आ जाता है। उन्होंने कहा कि 24 घंटे से ज्यादा समय की डेड बॉडी है तो उसका ब्र्रेन सुरक्षित रखने में कई तरह की दिक्कतें आती हैं।