कुपोषण से जूझने वाली बस्तियों में 31% लोग कैसे हो गए मोटापे के शिकार
कभी कुपोषण से जूझने वाली मलिन बस्तियों में अब मोटापा बड़ी समस्या बनती जा रही है। यह सामने आया एम्स के एक अध्ययन में। यह अध्ययन गोरखपुर की 16 मलिन बस्तियों (स्लम एरिया) में किया गया।
Obesity has become a problem: मलिन बस्तियों की तस्वीर बदल गई है। कभी कुपोषण से जूझने वाली मलिन बस्तियों में अब मोटापा बड़ी समस्या बनती जा रही है। यह सामने आया है एम्स के एक अध्ययन में। यह अध्ययन गोरखपुर की 16 मलिन बस्तियों (स्लम एरिया) में किया गया। इस सर्वे में 31 फीसदी लोग मोटापे (ओबेसिटी) का शिकार जबकि 46 फीसदी लोग मोटापे के कगार (प्री-ओबेसिटी) पर मिले।
एम्स के सामुदायिक और पारिवारिक चिकित्सा विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. यू वेंकटेश ने बताया कि मलिन बस्तियों में लोगों की सेहत को बेहतर करने के लिए सॉफ्टवेयर और मोबाइल एप विकसित करने की योजना है। मलिन बस्तियों में ऐसे वयस्कों का चयन किया गया जो एंड्रॉयड मोबाइल का प्रयोग करते हों और उनकी उम्र 18 से 40 वर्ष के बीच है। इन लोगों का बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) चेक किया गया। जिसमें उनकी उम्र व लंबाई के मुताबिक वजन देखा गया।
सिर्फ छह फीसदी वयस्क मिले सामान्य
डॉ. वेंकटेश ने बताया कि चयनित 406 लोगों में 213 पुरुष और 193 महिलाएं शामिल हैं। इनमें 333 लोग संयुक्त परिवार में रहते हैं। जबकि 73 लोग एकल परिवार के सदस्य हैं। इसमें सिर्फ 6 फ़ीसदी का बीएमआई मानक के मुताबिक मिला। सिर्फ एक व्यक्ति का बीएमआई मानक से कम रहा। ज्यादातर सदस्य निम्न आय वर्ग के रहे। सर्वे में शामिल लोगों में से 382 हिंदू और 24 मुस्लिम रहे। मलिन बस्ती में कोई भी ईसाई या किसी अन्य धार्मिक समुदाय का नहीं मिला।
क्या बोले डॉक्टर
एम्स गोरखपुर के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.यू वेंकटेश ने बताया कि यह यह सर्वे आईसीएमआर से एप्रूव्ड है। इस पर तीन साल तक रिसर्च चलेगी। इसका उद्देश्य मलिन बस्ती में रहने वाले लोगों की सेहत की जरूरत को जानना है। उसके मुताबिक सॉफ्टवेयर विकसित करना है।
एशियन मानक के मुताबिक ऐसा मिला वजन
कैटेगरी संख्या प्रतिशत
कम वजन 01 0.2
सामान्य 24 5.9
ओवरवेट 65 16.0
प्री-ओबेसिटी 188 46.3
ओबेसिटी 128 31.5