Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़How did OP Rajbhar become a minister even after the defeat in Ghosi What is BJP s strategy

घोसी में हार के बाद भी ओपी राजभर कैसे बन गए मंत्री? क्या है भाजपा की रणनीति

सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर एक बार फिर योगी मंत्रिमंडल में शामिल हो गए हैं। उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। पिछले ही साल उन्हें घोसी जीतने का टास्क दिया गया था लेकिन वह सफल नहीं हो सके थे।

Yogesh Yadav लाइव हिन्दुस्तान, वाराणसीWed, 6 March 2024 04:06 PM
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सीएम योगी के साथ सीधी तकरार के बाद सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर को पांच साल पहले मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया था। सरकार से बाहर आते ही राजभर ने न सिर्फ सीएम योगी बल्कि पीएम मोदी के खिलाफ जहर बोलना शुरू कर दिया था। उन्होंने कई बार तो आपत्तिजनक भाषा तक का इस्तेमाल किया। इसके बाद भी उन्हें पहले एनडीए में शामिल किया गया। फिर मंत्री बनने के लिए घोसी उपचुनाव का टास्क दिया गया। टास्क हारने के बाद भी अब मंत्री बना दिया गया है। 

असल में राजभर अकेले भले ही कभी कुछ नहीं कर सके लेकिन जिसके साथ भी जुड़े हैं फायदा जरूर हुआ है। राजभर समाज के वोटों पर ओपी राजभर इस समय अकेले नेता माने जाते हैं। कई सीटों पर रिजल्ट को प्रभावित करने का दम ओपी राजभर रखते हैं। यही कारण है कि राजभर की एनडीए में वापसी और प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री बनने का रास्ता साफ हुआ है। माना जा रहा है कि एनडीए को पूर्वांचल में मजबूती मिलेगी।

सुभासपा का साथ मिलने से गाजीपुर और बलिया के साथ आजमगढ़, लालगंज, संत कबीर नगर, अंबेडकर नगर, जौनपुर, घोसी, चंदौली, मछलीशहर सीट पर भाजपा की पकड़ मजबूत हुई है। ओमप्रकाश राजभर गाजीपुर की जिस जहूराबाद विधानसभा सीट से विधायक हैं, वह बलिया लोकसभा सीट में है।  2022 के चुनाव में गाजीपुर की जखनियां सीट से भी सुभासपा के बेदी राम जीते थे। जखनियां सीट गाजीपुर लोकसभा क्षेत्र में आती है। इन दोनों विधानसभा क्षेत्रों में राजभर मतदाताओं की संख्या अधिक है।

यूपी में करीब चार फीसदी राजभर हैं। पूर्वाचल के 25 में 18 लोकसभा क्षेत्रों में राजभर अच्छी संख्या में हैं। वे करीब दर्जनभर सीटों पर निर्णायक भूमिका निभाने की स्थिति में रहते हैं। ओमप्रकाश राजभर की पार्टी ने 2019 के चुनाव में 19 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। जीत एक भी सीट पर नहीं मिली थी। पार्टी आठ सीटों पर तीसरे स्थान पर आई थी।

सुभासपा के 19 उम्मीदवारों को कुल मिलाकर तीन लाख से भी कम वोट मिले थे। यह आंकड़ा बताता है कि सुभासपा अकेले दम जीतने की स्थिति में नहीं है लेकिन उसका वोट बैंक अगर भाजपा के साथ चला जाए तो जीत की राह आसान हो सकती है। राजभर वोट बैंक भी बसपा समर्थकों की तरह प्रतिबद्ध माना जाता रहा है। इसलिए भाजपा को लगता है कि उसके साथ राजभर वोटर जुड़ जाएं तो पूर्वांचल में फतह किया जा सकता है। जानकारों के अनुसार ओमप्रकाश राजभर के चलते सलेमपुर, रॉबर्ट्सगंज, जौनपुर, घोसी, मछलीशहर और वाराणसी लोकसभा क्षेत्र में भी एनडीए को फायदा मिल सकता है। इन क्षेत्रों में भी राजभर मतदाता अच्छी तादात में हैं।

सात सीटों पर 50 हजार से कम रहा था जीत का अंतर
जौनपुर में मछलीशहर और बलिया लोकसभा सीटों पर पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा था। पूर्वांचल की सात सीटों पर बीजेपी की जीत का अंतर 50 हजार वोट से कम था। मछलीशहर सीट से बीजेपी के भोलानाथ महज 181 वोट से जीत सके थे। इस सीट पर सुभासपा के राजनाथ 11223 वोट पाकर तीसरे नंबर पर थे। बलिया लोकसभा सीट से बीजेपी के वीरेंद्र सिंह मस्त 15519 वोट से जीत पाए थे, सुभासपा के उम्मीदवार को यहां 35900 वोट मिले थे।

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