Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Hindustan Special More elders than youth took admission in CSJMU of UP

Hindustan Special: यूपी के इस यूनिवर्सिटी में युवाओं से अधिक बुजुर्गों ने लिया एडमिशन, क्यों ऐसा बदलाव

UP का CSJMU पहला ऐसा विश्वविद्यालय बन गया है। जहां युवाओं से अधिक बुजुर्गों ने एडमिशन लिया है। कोर्स शुरू करने वक्त किसी ने सोचा नहीं था कि सारी सीटें भर जाएंगी। लेकिन इसका उलटा हुआ।

Pawan Kumar Sharma अभिषेक सिंह, कानपुरWed, 30 Aug 2023 08:35 PM
share Share

स्कूल-कॉलेज और विश्वविद्यालयों में आमतौर पर बच्चों और युवाओं की भीड़ होती है। लेकिन विश्वविद्यालय की किसी कक्षा में लाइन से बुजुर्गवार बैठक कर तल्लीनता से पढ़ रहे हों तो...। यकीनन नजारा बड़ा दिलचस्प होगा। कानपुर के छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय में यह नजारा दिखता है। यह उप्र का पहला ऐसा राज्य विवि है जहां कर्मकांड व ज्योतिर्विज्ञान की पढ़ाई शुरू हुई है। कोर्स शुरू करते वक्त विवि के अधिकारियों को भी भरोसा नहीं था कि सारी सीटें भर जाएंगी। लेकिन ऐसा हुआ और सीटें भरने के बाद विशेष मांग पर सीटें बढ़ानी पड़ीं। 

वैसे तो शिक्षा में उम्र-जाति के बंधन नहीं होते पर आमतौर पर विवि के परिसरों में युवा और कर्मकांडों की शिक्षा खास वर्ग के लोग ही लेते रहे हैं। लेकिन इस क्लास में उम्र के नहीं बल्कि जाति का भी बंधन टूट रहा है। यहां बुजुर्ग और पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति वर्ग के साथ महिलाएं भी पढ़ रही हैं।   

छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) में कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक की अनोखी पहल के चलते पहली बार डिप्लोमा इन कर्मकांड और एमए-ज्योतिर्विज्ञान का पाठ्यक्रम शुरू किया गया। नए कोर्स को देखते हुए सिर्फ 20-20 सीट निर्धारित की गई। दाखिला शुरू हुआ तो आवेदन की लाइन लग गई। सीटें फुल हो गई और दाखिले के प्रति रुझान बढ़ता गया। नतीजा विवि प्रशासन ने विशेष आदेश के बाद डिप्लोमा इन कर्मकांड में 29 और एमए इन ज्योतिर्विज्ञान में 31 प्रवेश लिए हैं। विवि में यह पहला मौका है, जब नए पाठ्यक्रम में निर्धारित सीट फुल हो गई और अतिरिक्त दाखिले लेने पड़े। विवि के मीडिया प्रभारी डॉ. विशाल शर्मा ने बताया कि ज्योतिर्विज्ञान व कर्मकांड में नियमित कक्षाएं चल रही हैं और मिड-टर्म एग्जाम भी हो चुका है। 

कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने बताया कि विवि में पहली बार कर्मकांड व ज्योतिर्विज्ञान में पाठ्यक्रम शुरू हुआ है। लोगों के रुझान के कारण सीटें भी बढ़ानी पड़ी हैं। इस कोर्स में उम-जाति का बंधन टूटता दिखा है। अगर जरूरत पड़ी तो और सीटें बढ़ाई जाएंगी। 

ज्योतिर्विज्ञान से एमए करने वाले कल्याणपुर के अशोक कुमार पांडेय ने बताया,'मेरी उम्र 68 साल है। शिक्षा विभाग से 2018 में रिटायर्ड हुआ था। बचपन से ज्योतिष का शौक था, मगर पढ़ाई कभी नहीं की। विवि ने जब पाठ्यक्रम शुरू किया तो शौक पूरा करने को प्रवेश ले लिया। अब समझ आ रहा है कि ज्योतिष में कितना कुछ सीखना बाकी था।' 

ज्योतिर्विज्ञान एमए करने वाली नवाबगंज की रचना ने बताया कि एमए एजुकेशन के बाद स्कूल में शिक्षिका थी। बेटी के जन्म के बाद पढ़ाना छोड़ दिया। फिर जब ज्योतिर्विज्ञान का कोर्स शुरू हुआ तो लगा कि महिलाएं किसी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं तो इसमें क्यों रहे। इस सोच के साथ दाखिला ले लिया। 

कर्मकांड की पढ़ाई करने वाले नौबस्ता के राम कृष्णा ने बताया, 'मेरी उम्र 67 साल उम्र है। मैं ईपीएफओ से रिटायर हूं। कभी कर्मकांड के जानकार सिर्फ ब्राह्मण होते थे, अब ऐसा नहीं है। मैंने प्रवेश ज्ञानवर्धन और आत्मसंतुष्टि के लिए लिया है। समझें तो अब तक जो कुछ हो रहा था, सही था या गलत, तिथियों का सही मतलब पता चले।'

अगला लेखऐप पर पढ़ें