राकेश टिकैत की पत्नी सुनीता की अगुवाई में हरी चुनरी महिला चौपाल, निशाने पर होंगे नशाखोर पुरुष
मुजफ्फरनगर के गांव गोयला में मंगलवार को आयोजित भाकियू की हरी चुनरी महिला चौपाल का आयोजन हुआ। इसकी अगुवाई राकेश टिकैत की पत्नी सुनीता टिकैत ने की। राकेश टिकैत ने भी पंचायत को संबोधित किया।
मुजफ्फरनगर के गांव गोयला में मंगलवार को आयोजित भाकियू की हरी चुनरी महिला चौपाल में राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि महिलाओं को हक की लड़ाई के लिए आगे आना होगा। नशाखोरी के साथ अन्य सामाजिक कुरीतियों को खत्म करने में महिलाएं खुद सक्षम हैं।
उन्होंने कहा कि नशाखोरी पर अंकुश लगाने के लिए महिलाएं घर के प्रत्येक सदस्य से 25 रुपये रोज खर्च के लिए लें। बीड़ी-सिगरेट पर रोजाना एक पुरुष का 25 रुपये खर्च होता है। अगर महिलाएं परिवार के सदस्य से रोज रुपये लेना शुरू कर दें, तो यह माह के 750 रुपये बैठता है। यह रुपये बच्चों की पढ़ाई-लिखाई व उनके भविष्य पर खर्च करें।
सुनीता टिकैत ने की अगुवाई
चौपाल में महिलाओं ने अपने हकों की लड़ाई लड़ने एवं आंदोलन में बढ़ चढ़कर भाग लेने का संकल्प लिया। भाकियू के इतिहास में यह पहली चौपाल है, जिसमें टिकैत परिवार की सुनीता टिकैत ने मंच एवं चौपाल की अगुवाई की। राकेश टिकैत की पत्नी सुनीता टिकैत को महिलाओं ने हरी चुनरी भेंट कर स्वागत किया। पंचायत में शामिल महिलाएं हरी चुनरी ओढ़े थी।
अगली महिला पंचायत 17 नवंबर को
चौपाल को संबोधित करते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि महिलाओं की समस्याओं को लेकर वह एक रणनीति बनाएंगे। इसके लिए प्रत्येक गांव में कैंप लगाया जाएगा। महिला को जागरूक करते हुए कहा कि पहली पंचायत से शुरुआत कर दी गई है, जिसमें महिलाओं का उत्साह भी दिख रहा है। अगली महिला पंचायत 17 नवंबर को सिसौली में होगी।
मां ने भी लड़ी थी लड़ाई
राकेश टिकैत ने कहा कि उनकी माताजी ने बाराबंकी जेल में रहकर आंदोलन की लड़ाई को लड़ा है। आंदोलन के चलते ही चोट लगने से उनकी मौत हो गई थी। उन्होंने यह कहा कि खाप पंचायतों के इतिहास में 48000 महिलाओं की आर्मी थी, जिसमें अपने हक की लड़ाई को आंदोलनों में शामिल भी रही थी, जिसकी शुरुआत अब फिर से कर दी गई है।
सास की तरह लड़ाई लड़ने से पीछे नहीं हटूंगी: सुनीता
सुनीता टिकैत ने मंच से भले ही संबोधन न किया हो, लेकिन पत्रकारों से बातचीत में सुनीता टिकैत ने कहा कि किसानों की हक की लड़ाई लड़ने में वह लोगों से भी आगे रहेंगी। उनकी सास ने किसानों के आंदोलन में लड़ाई लड़ी है। वह भी लड़ाई लड़ने में पीछे नही हटेंगी।
कोथली में भी हरा कपड़ा मंगवाएं
राकेश टिकैत ने महिलाओं से कहा कि आप अहोई का व्रत रखती हैं। अहोई में महिलाएं एक-दूसरे को कपड़े आदि बायने के रूप में देती हैं। अब से बायने में हरा पकड़ा यानि हरी चुनरी भी दें। इसके अलावा मायके से आने वाली कोथली में भी हरा कपड़ा मंगवाएं।