Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Government department is responsible for the plight of Lucknow Jal Nigam Rs 356 crore is due

लखनऊ जल निगम की खस्ताहाली के लिए सरकारी विभाग ही जिम्मेदार, 356 करोड़ रुपये है बकाया

लखनऊ जल निगम की खस्तीहाली के लिए कोई और नहीं बल्कि सरकारी विभाग ही जिम्मेदार हैं। सरकारी विभागों पर उसका 356.42 करोड़ रुपये बकाया है। बार-बार मांगे जाने के बाद भी यह पैसा नहीं मिला।

Srishti Kunj हिन्दुस्तान टीम, लखनऊFri, 18 Nov 2022 09:06 AM
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लखनऊ जल निगम की खस्तीहाली के लिए कोई और नहीं बल्कि सरकारी विभाग ही जिम्मेदार हैं। सरकारी विभागों पर उसका 356.42 करोड़ रुपये बकाया है। बार-बार मांगे जाने के बाद भी यह पैसा उसे नहीं मिल पा रहा है। इसके चलते कर्मियों के वेतन और पेंशन के लाले लगे हुए हैं।

काम के एवज में नहीं मिल रहा पैसा
जल निगम को काम कराने के एवज में सरकारी विभागों से सेंटेज मिलता है। सरकारी विभाग उससे काम तो करा लेते हैं, लेकिन उसका सेंटेज देने से भागते हैं। इसके चलते देनदारियां बढ़ती जा रही हैं। यह बकाया सालों से चला आ रहा है। शासन स्तर पर संबंधित विभागों की कई बार बैठकों में सहमति बनने के बाद भी उसे बकाया पैसा नहीं मिल पा रहा है। नगर विकास विभाग ने एक बार फिर से पैसा दिलाने की कवायद शुरू की है।

ये विभाग हैं बकाएदार
बबीना झांसी पेयजल योजना का काम कराने पर जल संस्थान पर 218 करोड़ रुपये बाकी है। इस पैसे को राज्य वित्त आयोग से हर माह एक करोड़ रुपये कटौती कर देने पर सहमति बन गई है। पंचायती राज विभाग पर 81 करोड़, भारतीय जीवन बीमा निगम पर 35.57 करोड़, जाजमऊ स्थित सीईटीपी निर्माण पर 12.25 करोड़ रुपये बकाया है। राजीव आवास पर 3.10 करोड़, कुंभ मेला में 30 नालों के काम का 6.22 करोड़ रुपये बाकी है।

बकाया मिले तो बने बात
जल निगम पहले शहरी और ग्रामीण एक हुआ करता था, लेकिन अब दोनों अलग-अलग हो गए हैं। जल निगम शहरी के पास अमृत और केंद्र पोषित स्मार्ट सिटी परियोजना का काम है। वहीं, जल निगम ग्रामीण के पास जल जीवन मिशन का काम है। शहरी के पास अधिक काम न होने की वजह से उसकी हालत दिनों दिन खराब होती जा रही है। वेतन और पेंशन तय समय से नहीं मिल पा रहा है। जल निगम प्रबंधन चाहता है कि बकाया मिल जाए, जिससे उसकी कर्मियों की देनदारियां खत्म हो जाएं। इसके बाद जो मिले उसके आधार पर काम चल रहे। जल निगम प्रबंधन ने इस संबंध में प्रमुख सचिव नगर विकास विभाग को पत्र भेजकर पूरी जानकारी दी है।

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