गोरखपुर जेल की रसोई में काम करने वाले बंदियों की संख्या हुई आधा, अब मशीनें पका रहीं खाना
गोरखपुर जेल में कैदियों की जगह अब मशीनों ने रसोइया का काम संभाल लिया है। जहां 100 से ज्यादा कैदी 2300 के करीब बंदियों का दोनों वक्त का खाना बनाते थे वहीं अब मशीनों ने खाना बनाने वालों की संख्या कम कर
गोरखपुर जेल में कैदियों की जगह अब मशीनों ने रसोइया का काम संभाल लिया है। जहां 100 से ज्यादा कैदी 2300 के करीब बंदियों का दोनों वक्त का खाना बनाते थे वहीं अब मशीनों ने खाना बनाने वालों की संख्या कम कर दी है। अब आधा से ज्यादा कैदियों का काम न सिर्फ मशीने कर रही हैं बल्कि समय से बंदियों को भोजन भी मिल रहा है। यही नहीं जेल के अंदर किसी तरह के समारोह में भी अब कोई दिक्कत नहीं आ रही है।
दरअसल, जेल प्रशासन ने मण्डलीय कारागार के बंदियों के समुचित भोजन प्रबंधन के लिए आधुनिक तरीके से भवन का निर्माण कराया गया है। प्रदेश सरकार ने आधुनिक पाकशाला के लिए अत्याधुनिक मशीनें उपलब्ध कराई हैं। रोटी बनाने की मशीन यानी चपाती मेकर लगाया गया है। इसकी लंबाई 25 फीट है और यह प्रति घंटे 3 हजार रोटी बनाती है। चावल बनाने के लिए राइस बॉयलर का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके अलावा एसएस भगौना, चाय कंटेनर, एसएस कैसरोल, तेल कंटेनर, दाल हंडा, गेहूं छानने की मशीन, हेवी ड्यूटी मिक्सर ग्राइंडर मशीन की व्यवस्था कर रसोई में काम करने वाले बंदियों की संख्या आधी कर दी गई है।
जेल में निरुद्ध बंदियों के लिए जैसे समारोह तथा उत्सव के आयोजनों में भोजन बनाया जाता है वही व्यवस्था प्रतिदिन के लिए हो गई है। जेलर प्रेम सागर शुक्ला का कहना है कि जेल के किचन में मशीनों ने काफी बदलाव किया है। अब बंदियों को इससे खाना समय से मिलता है। साफ-सफाई से लेकर अन्य जरूरी चीजों का भी ध्यान रखा जाता है।