गोरखपुर जेल के आठ बंदियों पर मौत का साया, hiv पॉजिटिव पाए जाने के बाद भी नहीं शुरू हुआ इलाज
गोरखपुर मंडलीय कारागार में बंद आठ बंदी मौत के साए में जीने को मजबूर हैं। यह एचआईवी पॉजिटिव हैं। संक्रमण का पता चलने के चार महीने बाद भी इनका इलाज शुरू नहीं हो सका है। दरअसल मंडलीय कारागार में बंद...
गोरखपुर मंडलीय कारागार में बंद आठ बंदी मौत के साए में जीने को मजबूर हैं। यह एचआईवी पॉजिटिव हैं। संक्रमण का पता चलने के चार महीने बाद भी इनका इलाज शुरू नहीं हो सका है।
दरअसल मंडलीय कारागार में बंद बंदियों की महीने में दो बार एचआईवी स्क्रीनिंग होती है। महीने के दूसरे और चौथे शनिवार को बीआरडी मेडिकल कालेज की एआरटी टीम जेल में बंद बंदियों की स्क्रीनिंग करती है। इस साल अब तक 1470 बंदियों की जांच हुई। जिसमें 17 बंदी एचआईवी से संक्रमित मिले। इनमें जुलाई तक संक्रमित मिले नौ बंदियों की को इलाज के लिए बीआरडी मेडिकल कॉलेज के एआरटी सेंटर ले जाया गया था। जहां उनकी एचआईवी की दोबारा जांच हुई। यह जांच एलाइजा के जरिए हुई। इसके अलावा उनके चेस्ट का एक्सरे और खून की रूटीन जांच की गई। इसके बाद से एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी की जा रही है।
अब तक नहीं पहुंचे 8 संक्रमित
बीआरडी के एआरटी सेंटर जेल में पॉजिटिव मिले आठ बंदियों का इंतजार कर रहा है। इन बंदियों की इलाज से पहले जांच होनी है। जांच रिपोर्ट के मुताबिक ही दवाएं बंदियों को दी जाती हैं।
इलाज में देरी हो सकती है घातक
बीआरडी के एआरटी सेंटर के काउंसलर सिद्धार्थ राय ने बताया कि यह वायरस शरीर को अंदर से कमजोर करता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता पर असर डालता है। ऐसे में संक्रमण का पता चलने के बाद इलाज में देरी नहीं करनी चाहिए।
कोरोना के कारण एचआईवी संक्रमितों की जांच प्रभावित
कोरोना के कारण एचआईवी का संक्रमण बढ़ रहा है। कोविड संक्रमण फैलने के कारण एचआईवी जांच का दायरा सीमित हो गया है। इस वजह से पिछले वर्षों के मुकाबले कोविड के बाद से नए मामले सामने नहीं आ पा रहे हैं। यह संक्रमण के प्रसार में को बढ़ावा दे रहे हैं। कोविड के कारण महज दो साल में ही संक्रमितों के जांच के ग्राफ में करीब 40 फीसदी की गिरावट हो ग्रइ। इसने विभाग के माथे पर शिकन ला दिया है।
एचआईवी संक्रमितों के आवास की होगी मैपिंग
एचआईवी संक्रमितों को अब दवाओं के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। स्वास्थ्य विभाग संक्रमितों के आवास व मोहल्ले की मैपिंग कर रहा है। इसके बाद विभाग की टीम उनके घर दवाएं पहुंचाएगी। सीएमओ डा. सुधाकर पांडेय ने बताया कि सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से अब ऐसे स्थानों को चिह्नित किया जाएगा, जो एड्स की दृष्टि से संवेदनशील होंगे। वहां के लोगों को एचआइवी जांच कराने के लिए प्रेरित किया जाएगा। पुरुष, स्त्रत्त्ी, किन्नर व सेक्स वर्कर के ग्रुप बनाए जाएंगे। इससे पता चल सकेगा कि एचआइवी पाजिटिव लोग एक-दूसरे से कितनी दूरी पर रहते हैं।
बंदियों को बीआरडी भेजने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बंदोबस्त करना पड़ता है। इस समय पर्याप्त सुरक्षा बल नहीं मुहैया हो पा रहे हैं। इस वजह से कुछ देरी हो गई होगी। जल्द से जल्द बंदियों को बीआरडी में इलाज के लिए भेजा जाएगा।
प्रेम सागर शुक्ला, जेलर
बीते पांच साल में एचआईवी जांच का हाल
वर्ष सलाह टेस्ट पॉजिटिव
2016-17 9503 9503 425
2017-18 9205 9205 421
2018-19 8537 8537 460
2019-20 8524 8524 439
2020-21 7028 7028 322
2021-22 4755 4755 187