कैदियों को शिफ्टों में सोने की मजबूरी से राहत, 130 साल में पहली बार बढ़ी जेल की क्षमता
शिफ्टों में सोने के लिए मजबूर गोरखपुर जेल के कैदियों के लिए राहत की खबर है। आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में कैदियों को चार नई बैरकों का तोहफा मिला है। इसमें 120 कैदी रखे जा सकेंगे। इससे तीन गुना...
शिफ्टों में सोने के लिए मजबूर गोरखपुर जेल के कैदियों के लिए राहत की खबर है। आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष में कैदियों को चार नई बैरकों का तोहफा मिला है। इसमें 120 कैदी रखे जा सकेंगे। इससे तीन गुना ओवरलोडेड जेल की अन्य बैरकों का दबाव कुछ हद तक कम हो जाएगा।
अंग्रेजाें के जमाने में वर्ष 1891 में बने गोरखपुर मंडलीय कारागार में तब 822 कैदी क्षमता के कुल 23 बैरक थे। गोरखपुर-बस्ती मंडल में अंग्रेजों के जमाने में यह पहली और एकमात्र जेल थी। आजादी के बाद कैदियों की क्षमता को देखते हुए अन्य जिलों में नई जेल तो बनाई गईं लेकिन अपराध बढ़ने और ट्रायल की धीमी रफ्तार के कारण कैदियों की संख्या लगातार बढ़ती रही। कैदियों की बढ़ती संख्या के कारण कई वर्षों से हर बैरक में क्षमता से दो से तीन गुना तक कैदी रखे जा रहे थे। कैदियों को सोने के लिए भी जगह नहीं मिल पाती थी। इसलिए शिफ्ट बनाकर कैदी सोते थे। इसे देखते हुए कारागार प्रशासन लगातार नए बैरक बढ़ाए जाने की मांग शासन से करता रहा। वर्ष 2018 में योगी सरकार ने इस समस्या का संज्ञान लेते हुए नए बैरक बनाए जाने की मंजूरी दे दी।
15 प्रतिशत बढ़ी जेल की क्षमता
कोरोना काल में निर्माण कार्य प्रभावित रहा लेकिन अब यह बनकर तैयार हो गया है। कार्यदाई संस्था उप्र पुलिस आवास निगम ने 120 कैदी क्षमता के चार बैरक बनाकर रविवार को जेल प्रशासन को सभी बैरक हैंडओवर भी कर दिया है। नए बैरक बनने के बाद कैदियों के लिए जेल की क्षमता में करीब 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
नए बैरक में कैदियों की शिफ्टिंग शुरू
कारागार में अब तक कुल 23 बैरक थे। चार नए बैरक बनने के बाद बैरकों की संख्या 27 हो गई है। वर्तमान में कुल कैदियों की संख्या 2375 है। कैदियों की क्षमता के वनिस्पत कैदियों की संख्या करीब तीन गुना अधिक थी। नया बैरक बनने के बाद कैदियों को थोड़ी सी राहत मिलेगी।
चार बैरक लेने से जेल प्रशासन ने किया मना
जेल में 120 कैदी क्षमता के डबल स्टोरी चार और बैरक यूपी प्रोजेक्ट कारपोरेशन द्वारा बनाए गए हैं। वह बनकर तैयार है लेकिन गुणवत्ता खराब होने के कारण जेल प्रशासन ने उसे हैंडओवर लेने से मना कर दिया है। बताते हैं कि निर्माण कार्य होने के बाद से ही उसकी छत से पानी टपकता रहता है। अन्य कई कमियों को देखते हुए जेल प्रशासन ने उसे हैंडओवर लेने से इनकार कर दिया है।
पहली बार डबल स्टोरी बिल्डिंग
कारागार में पहली बार डबल स्टोरी बिल्डिंग कैदियों के लिए बनाई गई है। जेल परिसर की खाली पड़ी जमीन पर इसका निर्माण कराया गया है। 30 कैदी क्षमता के चार बैरक कार्यदायी संस्था उप्र पुलिस आवास निगम द्वारा बनाए गए हैं। इसमें दो बैरक नीचे और दो ऊपरी तल पर हैं। सिटी मजिस्ट्रेट और अधिशासी अभियंता राजकीय निर्माण निगम की उपस्थिति में हैंडओवर किया गया। 220.56 लाख रुपये में इसका निर्माण हुआ है।
40 कैदी क्षमता का महिला बैरक भी बना
महिला कैदियों के लिए अभी कुल छोटे-छोटे तीन बैरक थे। 30-30 कैदियों की क्षमता थी। अब महिला कैदियों के लिए भी 30 कैदी क्षमता की नई बैरक बन गई है। इससे महिला कैदियों को भी काफी राहत मिल जाएगी। वर्तमान में कुल 116 महिलाएं अलग-अलग मामलों में बंद हैं।
120 कैदी क्षमता के कुल चार बैरक बनकर तैयार हो गए हैं। उनमें कैदियों को शिफ्ट कराया जा रहा है। इससे अन्य बैरकों का दबाव कम हो जाएगा।
प्रेम सागर शुक्ल, जेलर