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जर्मन कैदी मैनफ्रेंड सात साल बाद गोरखपुर जेल से रिहा, खुशी के आंसुओं संग ली विदा

नशीले पदार्थ की तस्करी के आरोप में गोरखपुर जेल में दस साल की सजा काट रहा जर्मन कैदी बैरेंड मैनफ्रेंड सात साल बाद आंखों में खुशी के आंसू लिए मंगलवार को यहां से रिहा हो गया। गोरखपुर पुलिस की टीम उसे...

Ajay Singh कुंदन उपाध्‍याय, गोरखपुर Tue, 10 Aug 2021 07:44 PM
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नशीले पदार्थ की तस्करी के आरोप में गोरखपुर जेल में दस साल की सजा काट रहा जर्मन कैदी बैरेंड मैनफ्रेंड सात साल बाद आंखों में खुशी के आंसू लिए मंगलवार को यहां से रिहा हो गया। गोरखपुर पुलिस की टीम उसे दिल्ली लेकर जाएगी। वहां दूतावास के माध्यम से जर्मन पुलिस को सौंप दिया जाएगा। आगामी 12 अगस्त को दिल्ली से जर्मनी के लिए उसकी फ्लाइट है। भारत-जर्मन प्रत्यर्पण संधि के तहत यह पहला कैदी होगा, जो बची हुई सजा अपने देश में काटेगा।

जर्मन कैदी को मंगलवार को दिल्ली ले जाने के लिए गोरखपुर पुलिस को सौंपा गया। जेल से बाहर निकलने पर उसकी आंखों से खुशी के आंसू छलक रहे थे। करीब दस दिन पहले ही उसे इस बात की जानकारी हो गई थी कि वह 10 अगस्त को दिल्ली और फिर 12 अगस्त को दिल्ली से जर्मनी जाएगा। उस दिन से ही वह जेल में काफी खुश था। जेल में थाली बजाकर डांस कर अपनी खुशी का इजहार किया। सामान पहले ही पैक कर लिया था। जेल से रवाना होने से पहले वहां के अधिकारियों और कर्मचारियों से मिलकर उन्हें धन्यवाद दिया। स्वदेश जाने की उम्मीद जगने पर उसने सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में दायर अपील वापस ले ली थी। इस प्रक्रिया में मदद के लिए उसने जेलर प्रेम सागर शुक्ला का विशेष आभार जताया।

सात साल की सजा काट चुका है बैरेंड मैनफ्रेंड

जर्मनी के सजसेन निवासी बैरेंड मैनफ्रेंड को नशीले पदार्थ के साथ भारत-नेपाल सीमा पर अक्तूबर 2014 में महराजगंज पुलिस ने गिरफ्तार किया था। एनडीपीएस एक्ट के तहत केस दर्ज कर उसे कोर्ट में पेश किया गया था, जहां से महराजगंज जेल भेज दिया गया। प्रशासनिक आधार पर अक्तूबर 2015 को गोरखपुर मंडलीय कारागार ट्रांसफर किया गया। यहीं रहते हुए 20 दिसम्बर 2018 को जिला कोर्ट ने उसे दस साल कारावास और एक लाख रुपये अर्थदंड सुनाया। बैरेंड मैनफ्रेंड अब तक छह साल दस महीने की सजा काट चुका है। बची हुई तीन साल दो महीने की सजा अब अब जर्मनी की जेल में काटेगा।

 

जर्मनी में सिखाएगा भोजपुरी

गोरखपुर जेल में लंबे समय तक स्थानीय बंदियों के बीच रहते हुए मैनफ्रेंड ने भोजपुरी भाषा भी सीख ली थी। बंदियों से सामान्यतः वह भोजपुरी में ही बात भी करता था। मैनफ्रेंड ने कहा कि जर्मनी जाकर वह भोजपुरी की मिठास अपने लोगों में भी बांटेगा।

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