लॉकडाउन से प्रदूषण घटा तो संगम में साफ दिखा गंगा-यमुना का मिलन
जैसे हीरक और स्फटिक एक धागे में माला की तरह गुंथे हों जैसे सफेद हंसों का एक झुंड काले हंसों के बीच अचानक दौड़कर घुस गया हो जैसे श्वेत कमल दल नील कमल के साथ हार के बीच में पिरोये...
जैसे हीरक और स्फटिक एक धागे में माला की तरह गुंथे हों
जैसे सफेद हंसों का एक झुंड काले हंसों के बीच अचानक दौड़कर घुस गया हो
जैसे श्वेत कमल दल नील कमल के साथ हार के बीच में पिरोये हों
कालिदास ने रघुवंश महाकाव्य के 13वें सर्ग में संगम की खूबसूरती के बारे में यह कहा है। संगम की इस खूबसूरती को देखने के लिए माघ और कुम्भ में करोड़ों की भीड़ आती है। यह खूबसूरती माघ में दिखाई पड़ती है। इस साल वैशाख माह में श्वेत-श्याम जल के संगम का खूबसूरत नजारा देखने को मिल रहा है।
गंगा-यमुना में पर्याप्त जल होने पर ही संगम की यह खूबसूरती दिखाई पड़ती है। गर्मी (मई-जून) के महीनों में गंगा-यमुना का जल कम होने पर इस खूबसूरती की कल्पना नहीं कर सकते। इस समय गंगा-यमुना में जल कम होने के बावजूद संगम की वो प्राकृतिक खूबसूरती दिखाई दे रही है जिसका वर्णन कालिदास ने महाकाव्य में किया। यह बदलाव लॉकडाउन लगने के बाद दिखाई पड़ रहा है।
नदी विशेषज्ञ और सिंचाई विभाग के सेवानिवृत्त अधीक्षण अभियंता उमेश शर्मा ने बताया कि दशकों पहले गंगा-यमुना के संगम पर श्वेत-श्याम जल का मिलन पूरे साल दिखाई पड़ता था। इस खूबसूरती को देखने के लिए सैलानी आते हैं। दोनों नदियों में पानी कम हुआ और प्रदूषण बढ़ा तो संगम की खूबसूरती गायब हो गई। इस समय दोनों नदियों का प्रदूषण बहुत कम होने से संगम की खूबसूरती में निखार आया है।
प्राकृतिक खूबसूरती वापस आने के कारण
- औद्योगिक इकाइयों का गंदा पानी गंगा-यमुना में जाने से रुका।
- गंगा-यमुना में श्रद्धालु नहीं लगा रहे डुबकी।
- लॉकडाउन में नावों का संचालन रोका गया है।
- फूल-माला, अस्थि विसर्जन बेहद कम हुआ है।
जल प्रवाह
- माघ और कुम्भ के समय गंगा-यमुना का प्रवाह 15 हजार क्यूसेक से अधिक होता है।
- मेला के समय पांच हजार क्यूसेक अतिरिक्त पानी गंगा में छोड़ा जाता है।
- मेला के समय अतिरिक्त पानी छोड़ने से संगम की खूबसूरती दिखाई पड़ती है।
- इस समय गंगा-यमुना का संयुक्त प्रवाह अधिकतम 10 हजार क्यूसेक है।
गंगा-यमुना में प्रदूषण
- गंगा में बॉयोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) 2.5 मिलीग्राम प्रति लीटर।
- यमुना में बॉयोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) 2.1 मिलीग्राम प्रति लीटर।
- लॉकडाउन से पहले दोनों नदियों का बीओडी 3 मिलीग्राब प्रति लीटर था।
गंगा-यमुना में दैनिक गतिविधियां कम होने का असर प्रवाह पर दिखाई दे रहा रहा है। इस समय गंगा-यमुना का जल निर्मल और प्रवाह शांत है। दोनों नदियों को प्रभावित करने वाली सभी गतिविधियां ठप होने से संगम की खूबसूरती दिखने लगी है। -जेबी सिंह, क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड