गांधी मैदान ब्लास्ट: याद आया तबाही का वो मंजर, गुनहगारों को सजा के ऐलान से मिला सुकून
मौजूदा प्रधानमंत्री और तब गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेन्द्र मोदी की हुंकार रैली के लिए 27 अक्टूबर 2013 को पटना गांधी मैदान खचाखच भरा था। रैली में सीरियल बम ब्लास्ट की...
मौजूदा प्रधानमंत्री और तब गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेन्द्र मोदी की हुंकार रैली के लिए 27 अक्टूबर 2013 को पटना गांधी मैदान खचाखच भरा था। रैली में सीरियल बम ब्लास्ट की घटना ने बिहार ही नहीं पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। इस घटना के आठ साल बाद सोमवार को एनआईए कोर्ट ने नौ गुनहगारों के लिए सजा का ऐलान किया तो लोगों की आंखों के सामने एक बार फिर मौत का वो खौफनाक मंजर आ गया। गुनहगारों को सजा से उन्हें सुकून मिला। उस दिन के मंजर को देखने और लोगों की जान बचाने में जुटे आईपीएस अधिकारी मनु महराज उस दिन को याद करते हुए बताते हैं कि कैसे उनके वहां पहुंचते ही एक ब्लास्ट हुआ। बम का कुछ हिस्सा उनसे कुछ ही दूरी पर गिरा। इसके बाद उनकी उनकी टीम ने तीन घायलों को देखा और उनके साथ रहे होमगार्ड मृत्यंजय और मनीष ने दो घायलों को उठा लिया और उसे अस्पताल ले जाने के लिए गाड़ी की ओर दौड़ पड़े। खुद मनु महराज और तत्कालीन टाउन डीएसपी मनोज भी एक घायल को उठाकर भागे।
2005 बैच के आईपीएस मनु महराज आजकल आईटीबीपी देहरादून में डीआईजी हैं। वह बताते हैं कि गांधी मैदान पहुंचने के बाद वे बापू की पुरानी मूर्ति के पास पहुंचे तभी यह धमाका हुआ था। उन्होंने बताया कि रैली से एक रात पहले उन्होंने गांधी मैदान का बारीकी से निरीक्षण किया था। अधिकारियों और जवानों की प्रतिनियुक्ति का जायजा लिया। उस रात वह काफी देर से अपने आवास पर पहुंचे थे। अगले दिन (27 अक्टूबर 2013) की सुबह से ही वे शहर की यातायात व्यवस्था की जांच पड़ताल में जुटे थे। कोशिश थी कि अतिथियों के अलावा कोई अन्य वाहन गांधी मैदान तक न पहुंच जाए। इससे शहर में जाम लगने का अंदेशा था।
इसी बीच सुबह करीब नौ बजे उन्हें सूचना मिली कि पटना जंक्शन पर करबिगहिया की ओर बने शौचालय में धमाका हुआ है। सूचना मिलते ही वे फोर्स के साथ मौके पर पहुंचे। रास्ते से ही उन्होंने जक्कनपुर थानेदार को कॉल कर घटनास्थल पर पहुंचने का आदेश दिया। वह जैसे ही शौचालय के पास पहुंचे कि उन्होंने एक आतंकी जिसका नाम बात में इम्तियाज पता चला, को भागते हुए देखा। उन्होंने तब वहां मौजूद रहे जीआरपी इंस्पेक्टर और अपने अंगरक्षकों की मदद से इम्तियाज को पकड़ लिया। इसके बाद वे शौचालय के अंदर गए तो वहां एक आतंकी खून से लथपथ पड़ा था। उसे तत्काल आइजीआइएमएस भेजा गया। उसके पास एक बैग था जिसमें लोट्स कंपनी की घड़ी और कुछ तार मिले। ये उसी कंपनी की घड़ी थी, जिसका इस्तेमाल कुछ महीने पहले गया के महाबोद्धि मंदिर में हुए सीरियल बम ब्लास्ट में किया गया था।
जक्कनपुर थाने में इम्तियाज से पूछताछ में पता चला कि गांधी मैदान और उसके आसपास 13 स्थानों पर बम प्लांट किए गए हैं। इसके बाद वे तुरंत गांधी मैदान के लिए निकल पड़े। रास्ते से ही उन्होंने तत्कालीन सिटी एसपी जयंतकांत और तत्कालीन टाउन डीएसपी मनोज तिवारी से बात की। टाउन डीएसपी ने बताया कि एक धमाका हुआ है, लेकिन लोग बस का टायर फटने की बात कह रहे हैं। आईपीएस मनु महाराज ने बताया कि वह गांधी जी की पुरानी मूर्ति के पास पहुंचे ही थे कि एक बम ब्लास्ट हुआ। इस ब्लास्ट में कुल तीन लोग घायल हो गए। तब उनके साथ रहे होमगार्ड मृत्युंजय और मनीष सिंह ने दो घायलों को उठा लिया और गाड़ी की ओर भागे। वह खुद और तत्कालीन टाउन डीएसपी मनोज एक घायल को उठाकर भागे। सभी घायलों को एंबुलेंस से अस्पताल भिजवाया गया। इस बीच मैदान के आसपास दूसरे बम फटने लगे।
भगदड़ मचाना चाहते थे आतंकी
सीरियल ब्लास्ट के पीछे आतंकवादियों की मंशा आतंकी भगदड़ मचाकर लोगों की जान लेने की थी लेकिन मंच पर मौजूद नेताओं ने भीड़ का हौसला बंधाए रखा। जनता भी डरी नहीं बल्कि डटकर खड़ी रही। भगदड़ नहीं मचने पाई। नहीं तो बड़ी दुर्घटना हो सकती थी।