अयोध्या में 26 जनवरी को रखी जा सकती है मस्जिद की नींव, पांच एकड़ जमीन पर होगा निर्माण
श्रीराम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के निपटारे के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत अयोध्या में मिली पांच एकड़ जमीन पर 26 जनवरी को नई मस्जिद की नींव रखी जा सकती है। इंडो इस्लामिक...
श्रीराम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के निपटारे के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत अयोध्या में मिली पांच एकड़ जमीन पर 26 जनवरी को नई मस्जिद की नींव रखी जा सकती है। इंडो इस्लामिक कल्चर फाउंडेशन के प्रवक्ता अतहर हुसैन ने इसकी उम्मीद जताई है। रौनाही में मिली पांच एकड़ जमीन पर विशाल मस्जिद बनाने की योजना है।
मुस्लिम पक्षकार इस जमीन पर जल्द ही निर्माण शुरू कर सकता है। अतहर हुसैन के अनुसार 26 जनवरी को मस्जिद की नींव रखी जा सकती है। इसके पहले 19 दिसम्बर को इंडो इस्लामिक कल्चर फाउंडेशन की एक बैठक बुलाई गई है। बैठक लखनऊ में होगी। कुछ लोग इससे वर्चुअली भी जुड़ेंगे। बैठक में इंडो इस्लामिक कल्चर फाउंडेशन के सदस्यों के अलावा मस्जिद का नक्शा बनाने वाले आर्किटेक्ट भी शामिल होंगे।
बाबरी नहीं अयोध्या में प्रस्तावित मस्जिद का नाम
इंडो इस्लामिक कल्चर फाउंडेशन के प्रवक्ता अतहर हुसैन ने बताया कि नई मस्जिद में बाबर के नाम का कोई उल्लेख नहीं होगा। इसका नाम धन्नीपुर मस्जिद हो सकता है। 19 दिसम्बर को ही मस्जिद का नक्शा फाइनल किया जाएगा और इस बारे में मीडिया के जरिए लोगों को जानकारी दी जाएगी। उधर, अयोध्या में मस्जिद निर्माण को लेकर तैयारियां शुरू हो गई है। प्रस्तावित मस्जिद के नाम को लेकर अभी स्पष्टता नहीं है, मगर एक बात लगभग तय है कि प्रस्तावित मस्जिद का नाम बाबरी मस्जिद नहीं होगा। माना जा रहा है कि मस्जिद का नाम धन्नीपुर गांव के नाम पर रखा जाएगा, जहां यह स्थित है। प्रस्तावित मस्जिद और अन्य सुविधाओं के प्रभारी इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (IICF) के 15 सदस्यीय ट्रस्ट ने कहा कि प्रस्तावित नामों की सूची में मस्जिद धन्नीपुर का नाम सबसे टॉप पर है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश से मिली है जमीन
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2019 के अपने आदेश में राम मंदिर निर्माण के लिए अयोध्या में 2.77 एकड़ की जगह देने का आदेश दिया था, साथ ही अदालत ने यूपी सरकार को मस्जिद के निर्माण के लिए वैकल्पिक स्थल पर पांच एकड़ जमीन देने का भी आदेश दिया था। इसी आदेश के अनुपालन में यूपी सरकार ने यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को यह जमीन दी है।