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कल दिखेगा साल का पहला सूर्यग्रहण, भारत में पड़ेगा असर? बीएचयू के वैज्ञानिक भी करेंगे अध्ययन

साल का पहला सूर्यग्रहण सोमवार 8 अप्रैल को लगने जा रहा है। हालांकि यह भारत नहीं, बल्कि अमेरिकी महाद्वीप में नजर आएगा। हालांकि बीएचयू के सौर विज्ञानी भी हफ्तों से इसका इंतजार कर रहे हैं।

अभिषेक त्रिपाठी वाराणसीSun, 7 April 2024 03:55 PM
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Solar Eclipse 2024: साल का पहला सूर्यग्रहण सोमवार 8 अप्रैल को लगने जा रहा है। हालांकि यह भारत नहीं, बल्कि अमेरिकी महाद्वीप में नजर आएगा। हालांकि बीएचयू के सौर विज्ञानी भी हफ्तों से इसका इंतजार कर रहे हैं। 2025 में सोलर मैक्सिमम की तरफ बढ़ रहे हमारे सूर्य का इस ग्रहण के दौरान अध्ययन खास होगा। इससे कई नई जानकारियां भी सामने आने की उम्मीद है। ज्योतिष की तरह ही विज्ञान के लिए भी सूर्य ग्रहण बेहद खास होता है। बीएचयू के सौर विज्ञानी डॉ. अलकेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि सदियों से सूर्य ग्रहण के दौरान सूरज के कई रहस्य खोलने में वैज्ञानिक सफल रहे हैं। कारण कि इस दौरान सूर्य की बाहरी सतह और इसपर होने वाली हलचल को साफ देखा और रिकॉर्ड किया जा सकता है। आदित्य एलवन मिशन के सदस्य रहे डॉ. अलकेंद्र ने बताया कि इस समय सूर्य की हर हलचल पर दुनियाभर के विज्ञानी और स्पेस एजेंसियां नजर रखे हुए हैं। कारण 2025 में होने वाली सोलर मैक्सिमम की स्थिति है।

सोलर मैक्सिमम से पहले ही सूर्य पर हलचल काफी हद तक तेज हो गई है। यहां हर दिन बड़े प्लाज्मा विस्फोट हो रहे हैं और इससे निकलने वाली गर्म गैसों, चार्ज पार्टिकल और रेडिएशन का असर भी पूरे सौरमंडल पर हो रहा है। डॉ. अलकेंद्र ने बताया कि सूर्यग्रहण के दौरान चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच इस तरह से आ जाता है कि वह सूर्य को पूरी तरह ढक लेता है। हालांकि इस ग्रहण के दौरान भी सूर्य की बाहरी सतह छिप नहीं पाती और इसकी हलचल को आसानी से ट्रैक किया जा सकता है। ग्रहण के दौरान चमक कम होने के कारण उपकरणों की मदद से रेडिएशन और फ्लेयर्स को भी आसानी से रिकॉर्ड किया जा सकता है। अब कई नई मशीनें और उपकरणों की मदद से इस दौरान सूर्य के तापमान और वहां हो रही गतिविधि भी रिकॉर्ड हो जाती है। इसरो के अलावा नासा, ईसा (यूरोपियन स्पेस एजेंसी) और जापानी स्पेस एजेंसियां भी ग्रहण के पल-पल की हलचल रिकॉर्ड करेंगी। 

‘लास्को’ का भी बेहतर इस्तेमाल होगा

डॉ. अलकेंद्र ने बताया कि सूर्य के अध्ययन के लिए विभिन्न उपकरणों और टेलिस्कोप के साथ ‘लास्को’ नामक एक उन्नत उपकरण भी इस्तेमाल होता है। एलवन प्वाइंट पर स्थापित अमेरिका के ‘सोहो’ पर यह उपकरण लगाया गया है। यह आमतौर पर भी सूर्य के प्रकाश और ताप को रोककर भीतरी सतह की लाइव तस्वीरें उपलब्ध कराता है। 

यहां दिखेगा सूर्यग्रहण

अमेरिका के टेक्सास से शुरू होकर ग्रहण मैक्सिको में दिखेगा। इसके बाद ओक्लाहोमा, मिसौरी, केंटकी, इंडियाना, ओहायो, पेंसिलिवेनिया, न्यूयार्क, न्यू हेंपशायर तक देखा जाएगा। टेनेसी और मिशिगन के कुछ हिस्सों में भी सूर्यग्रहण का प्रभाव होगा। यहां से कनाडा के दक्षिण ओंटारियो, क्यूबेक, प्रिंस एडवर्ड आइलैंड और केप ब्रेंटन तक यह जाएगा। आगे कनाडा के न्यूफाउंडलैंड में दिखने के बाद यह खत्म होगा। 

क्या है सोलर मैक्सिमम

हर 11 साल में सौर तूफान सबसे तेज हो जाते हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक इसका कारण सूर्य का अपनी धुरी पर दोहरा घूर्णन है। यह धुरी पर तो घूमता ही है, इसके अलावा हर 11 साल में इसके उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव आपस में स्थान बदल लेते हैं। इससे सूर्य के विभिन्न हिस्सों में डार्क स्पॉट्स बढ़ने लगते हैं और चुंबकीय क्षेत्र भी ज्यादा बनते हैं। इससे आम दिनों से ज्यादा प्लाज्मा विस्फोट, मैगनेटिक फील्ड शिफ्ट और रेडिएशन होते हैं और बड़ी-बड़ी फ्लेयर (ज्वालाएं) उठती हैं। इसे ‘सोलर मैक्सिमम’ का नाम दिया गया है। इससे पहले 2013, 2002 और 1991 में सोलर मैक्सिमम की स्थिति बनी थी।

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