'चुनाव जीतने के लिए राम रहीम जैसों को छोड़ा जा रहा', लखनऊ में बोलते-बोलते भावुक हुए फारुख, कहा-मायूस होने की जरूरत नहीं
Farooq Abdullah: जम्मू कश्मीर के पूर्व CM फारुख अब्दुल्ला ने इंडियन मुस्लिम फॉर सिविल राईट्स की गोष्ठी में BJP पर जमकर हमले किए। कहा-चुनाव जीतने के लिए राम रहीम जैसों को छोड़ा जा रहा है।
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला ने इंडियन मुस्लिम फॉर सिविल राईट्स के कार्यक्रम में बीजेपी पर जमकर हमले किए। उन्होंने हिमाचल विधानसभा चुनाव की ओर इशारा करते हुए कहा कि आज चुनाव जीतने के लिए राम रहीम जैसों को छोड़ा जा रहा है। सिर्फ इसलिए कि उनके साथ बड़ी तादाद में लोग हैं। फारुख ने कहा, 'ये मुश्किल वक्त है। मायूसी है। मुसलमान सिर्फ अपने बारे में ही नहीं सबके बारे में सोचे।' फारुख बोलते-बोलते भावुक हो गए। उन्होंने रुंधे गले से कहा-'मायूस होने की जरूरत नहीं। हालात का सामना करना होगा।
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गोष्ठी में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद सहित कई हस्तियां मौजूद रहीं। फारुख अब्दुल्ला ने कहा कि मुसलमानों के लिए आज तालीम बहुत जरूरी है। शेख अब्दुल्ला ने कभी भी धार्मिक पक्षपात नहीं किया और दूसरे समुदायों का सम्मान करते हुए पाकिस्तान नहीं गये। आज का नौजवान मुझसे पूछता है कि आपके वालिद पाकिस्तान के साथ क्यों नहीं चले गये। आज मुश्किल वक्त है। मायूसी है। मुसलमान सिर्फ अपने बारे में ही नहीं सबके बारे में सोचे। आज मुसलमान अमल से दूर है। आज के मौलाना अल्लाह के कलाम को समझते हैं? उसको आगे बढ़ाते हैं।
फारुख ने कहा कि उपदेश देना ही काफी नहीं है। आज हम खुद हराम खाते हैं और दूसरों से कहते हैं कि हराम मत खाओ। सिर्फ मुसलमान मत ढंढिये उन्हें तलाश करिए जो तालीम याफ्ता हों। फिरौन और नमरूद की बादशाहत नहीं रही तो ये दूसरे कब तक रहेंगे। मायूस होने से काम नहीं चलने वाला। इनके जुल्म से डरना नहीं है। ये वतन किसी एक का नहीं है हम सबका है। उन्होंने कहा कि बर्दाश्त और सब्र से काम लेना होगा। मेहनत करनी होगी। नफरतों को दफन कीजिए। फिरकों में मत बंटिये। आज चुनाव जीतने के लिए राम रहीम जैसों को छोड़ा जा रहा है क्योंकि बड़ी तादाद में लोग उनके साथ हैं। सरकार से मांगोगे तो सरकार के सामने झुकना भी पड़ेगा। हमारे नेताओं की गलती है कि हमने मुसलमानों को उनके संवैधानिक अधिकारों के बारे में जानकारी नहीं दी।
मुसलमानों से समाज के सभी वर्गों से मिलजुलकर रहने की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि क्यों न ये जुल्म करें फिर भी हम सबको दूसरे समुदायों के साथ ही चलना होगा। इसी दौरान बोलते-बोलते फारुख अचानक भावुक हो गए। उन्होंने रुंधे गले से कहा, 'मायूस होने की जरूरत नहीं। हालात का सामना करना होगा। तूफान आते रहते हैं। हम कमजोर नहीं हैं। तूफान आएंगे, ईमान मजबूत रखिएगा।'