आगरा में यूपी बोर्ड परीक्षा के दौरान पहुंचा फर्जी उड़न दस्ता, फिर अपने ही जाल में फंसा, चारों गिरफ्तार
आगरा में यूपी बोर्ड परीक्षा के दौरान फर्जी मजिस्ट्रेटों को पकड़ा गया है। चार लोग भारत सरकार और जिला मजिस्ट्रेट लिखी गाड़ी से खुद को उड़न दस्ता बताते हुए परीक्षा केंद्र पर पहुंचे थे।
आगरा में इरादतनगर में कुर्राचित्तरपुर मार्ग स्थित माता वैष्णो देवी इंटर कॉलेज (कराही) में सोमवार सुबह चार फर्जी मजिस्ट्रेट पहुंचे। हाईस्कूल की परीक्षा चल रही थी। आरोपियों ने खुद को विशेष उड़नदस्ता बताया। स्ट्रांग रूम दिखाने का दबाव बनाया। केंद्र व्यवस्थापक की सूझबूझ से चारों अपने ही जाल में फंस गए। सूचना पर जिला विद्यालय निरीक्षक मनोज कुमार टीम के साथ पहुंच गए। आरोपियों को पुलिस के सुपुर्द कर दिया।
घटना सुबह करीब पौने नौ बजे की है। केंद्र व्यवस्थापक घनश्याम दीक्षित ने बताया कि एक बिना नंबर की बोलेरो स्कूल में आकर रुकी। गाड़ी के पीछे जिला मजिस्ट्रेट भारत सरकार लिखा था। शीशे पर एनसीआरबी लिखा हुआ था। गाड़ी से चार लोग बाहर निकले। दो ने काले कोट पहन रखे थे। नेम प्लेट लगा रखी थी। एक काली हॉफ जैकेट पहना था। चौथे ने सफेद शर्ट पहन रखी थी। आते ही उनसे कहा कि दिल्ली से भेजा गया है। सेंटरों की जांच करने आए हैं। उन्हें स्ट्रांग रूम देखना है। जहां पेपर रखे रहते हैं।
दिल्ली से उड़नदस्ता आया है। यह बात सुनकर केंद्र व्यवस्थापक का माठा ठनका। उन्होंने चारों कथित मजिस्ट्रेट से निरीक्षण अधिकार एवं पहचान पत्र दिखाने को कहा। चारों सकपका गए। धमकाने का प्रयास किया। केंद्र व्यवस्थापक ने जिला विद्यालय निरीक्षक मनोज कुमार को जानकारी दी। कुछ देर बाद डीआईओएस केंद्र पर पहुंच गए।
कथित मजिस्ट्रेट उनके सवालों के जवाब में फंस गए। एक भी सवाल का संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए। एसओ इरातदनगर अवधेश गौतम ने बताया कि तहरीर के आधार पर आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी, कूट रचित दस्तावेज बनाना और छल के लिए फर्जी दस्तावेजों के प्रयोग की धारा के तहत मुकदमा लिखा गया है। आरोपियों को मंगलवार को जेल भेजा जाएगा।
इनकी हुई गिरफ्तारी
पुलिस ने बताया कि शमसाबाद के गांव ठेरई निवासी रघुवीर सिंह तोमर, गांव कुकावर, सैंया निवासी अशोक कुमार, गांव छाहरी, खेरागढ़ निवासी मुकेश व बसईखुई (ताजगंज) निवासी देवेंद्र कुमार कुशवाह को पकड़ा गया है।
गाड़ी पर एनसीआरबी लिखवाया, लेकिन फुल फार्म भी नहीं पता
आगरा। आरोपियों ने गाड़ी के शीशे पर लाल टेप से एनसीआरबी (नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो) लिखवा रखा था। चारों आरोपियों से किसी को इसकी फुल फार्म तक नहीं पता थी। उनका मकसद सिर्फ उड़नदस्ता बनकर केंद्र व्यवस्थापक को धमकाना था। ताकि वह भयभीत होकर उन्हें कुछ न कुछ दे दें। आरोपित अपने मकसद में सफल हो जाते तो दूसरे सेंटर पर भी जाते। पहले ही प्रयास में उनकी पोल खुल गई। अब जेल में रहेंगे।
एसओ इरातदनगर अवधेश गौतम ने बताया कि गैंग का सरगना रघुवीर सिंह तोमर है। आरोपित अपने आप को बीए पास बता रहा है। उसने ही दिमाग चलाया था। अन्य आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि रघुवीर सिंह उनसे बोलता था कि उसे यह सूचना चाहिए कि कहां गलत काम होते हैं। जुआ होता हो। शराब बनती हो। सही जानकारी देने पर वह उनको रुपये देगा। आरोपियों ने बताया कि परीक्षा केंद्र पर उड़नदस्ता बनकर पहुंचने की योजना भी रघुवीर ने ही बनाई थी। उसने ही कहा था कि कैसे कपड़े पहनकर चलने हैं।
रघुवीर ने कहा था कि प्राइवेट कॉलेज वालों को धमकाना आसान है। वहां कुछ न कुछ गड़बड़ जरूरी मिल जाती है। सरकारी कॉलेज में जाएंगे तो फंस जाएंगे। पेपर आउट होने के बाद से माहौल गर्म है। कार्रवाई के डर से केंद्र व्यवस्थापक घबराए हुए हैं। उनकी इसी दहशत का फायदा उठाना है। एसओ ने बताया कि रघुवीर सिंह तोमर ने आखिर तक यह नहीं बताया कि वह कितने रुपये की वसूली करने आया था।
उसके दिमाग में यह आइडिया कहां से आया। वह आखिर तक यही कहता रहा कि गलती हो गई। पुलिस कार्रवाई करे। इससे ज्यादा वह कुछ बोलने को तैयार नहीं है। पकड़ा गया मुकेश दसवीं पास है। वहीं अशोक ने बारहवीं और देवेंद्र ने आठवीं पास कर रखी है। आरोपियों में तीन खुद कम पढ़े लिखे हैं। उनको खुद नहीं पता था कि गाड़ी के पीछे लिखे एनसीआरबी का क्या मतलब है। पुलिस भी खुद हैरान थी कि आरोपियों ने एनसीआरबी क्यों लिखवाया। जबकि एनसीआरबी का काम सिर्फ अपराध के आंकड़ों की समीक्षा है। एनसीआरबी की टीम कभी कहीं छापेमारी करने नहीं जाती है।
फाइनेंस कराई थी गाड़ी
पुलिस को छानबीन में पता चला कि मुकेश और देवेंद्र ने डग्गेमारी में चलाने के लिए ढाई लाख रुपये देकर बीस दिन पहले गाड़ी फाइनेंस कराई थी। पुलिस आशंका जता रही है कि इलाके में छापे मारकर अवैध वसूली के लिए गैंग ने गाड़ी खरीदी थी। चारों आरोपित मिले हुए हैं। अवैध वसूली के लिए ही गैंग बनाया था।