Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़EOW team arrested two press owners involved in scam in publication of manuscripts and texts

EOW टीम ने पांडुलिपि और ग्रंथों के प्रकाशन में घोटाला करने वाले दो प्रेस मालिकों को किया गिरफ्तार

संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय दुर्लभ पांडुलिपियों और ग्रंथों के प्रकाशन में 5.90 करोड़ रुपये के घोटाले में ईओडब्ल्यू वाराणसी की टीम ने दो प्रिंटिंग प्रेस संचालकों की गिरफ्तारी की है।

Pawan Kumar Sharma हिन्दुस्तान, वाराणसीFri, 3 March 2023 08:31 PM
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संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय दुर्लभ पांडुलिपियों और ग्रंथों के प्रकाशन में 5.90 करोड़ रुपये के घोटाले में ईओडब्ल्यू वाराणसी की टीम ने दो प्रिंटिंग प्रेस संचालकों की गिरफ्तारी की है। दोनों को सिद्धगिरि बाग से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।

विवेचना अधिकारी (ईओडब्ल्यू) सुनील कुमार वर्मा ने बताया कि पकड़े गये आरोपित जगतगंज में शारदा प्रिंटिंग प्रेस के संचालक दिवाकर त्रिपाठी, लक्सा में तारा प्रिंटिंग प्रेस के संचालक रवि प्रकाश पांड्या हैं। सत्र 2000-01 और 2009-10 के बीच शासन ने विश्वविद्यालय को 10 करोड़ 20 लाख 22 हजार रुपये का अनुदान मुद्रण और प्रकाशन के लिए दिया था। लेकिन प्रकाशन विभाग की ओर से मात्र 3.67 करोड़ रुपये का मुद्रण और प्रकाशन कराया गया। लगभग 5.90 करोड़ रुपये की राशि बिना मुद्रण कराये ही गबन कर ली गई। इस साजिश में प्रिंटिंग प्रेस के मालिकों को भी शामिल किया गया था। आवंटित धनराशि में लगभग 63 लाख रुपये अंतिम वित्तीय वर्ष 2010 में शासन को वापस कर दिया गया था। गिरफ्तारी करने वाली टीम में उप निरीक्षक संजय सोनकर, मुख्य आरक्षी शशिकांत सिंह, विनीत पांडेय, रामाश्रय सिंह, रोहित सिंह भी शामिल थे।

तत्कालीन निदेशक और वित्त अधिकारी समेत अन्य 11 पर आरोप

आरोप है कि विश्वविद्यालय के तत्कालीन निदेशक हरिश्चंद्र मणि त्रिपाठी ने वित्त विभाग के अधिकारियों, प्रिंटिंग प्रेस मालिकों और अन्य लोगों से मिलीभगत की। विवेचक के अनुसार इस प्रकरण में 11 और पर आरोप है। जांच कर गिरफ्तारी की जाएगी।

तत्कालीन कुलपति ने दर्ज कराई थी शिकायत

साल 2010 में तत्कालीन कुलपति वेम्पटी कुटुम्ब शास्त्री के कार्यालय से उनके हस्ताक्षर की फर्जी मुहर मिली थी। इसके दुरुपयोग होने की आशंका जताई गई। कुलपति ने इसकी शिकायत यूपी शासन से की। साल 2014 में चेतगंज थाने में केस दर्ज किया गया। इसकी जांच ईओडब्ल्यू वाराणसी को सौंपी गई।

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