आठ साल की बच्ची कोरोना पॉजिटिव निकली, मां बोली-'इसे ले जाओ वर्ना मैं भी हो जाऊंगी संक्रमित'
कोरोना सामाजिक और पारिवारिक रिश्तों के कई रंग दिखा रहा है। कहीं तो एक अजनबी किसी कोरोना संक्रमित की जान बचाने के लिए खुद का जीवन दांव पर लगा देता है और कहीं एक सगी मां अपने जीवन की चिंता में मासूम...
कोरोना सामाजिक और पारिवारिक रिश्तों के कई रंग दिखा रहा है। कहीं तो एक अजनबी किसी कोरोना संक्रमित की जान बचाने के लिए खुद का जीवन दांव पर लगा देता है और कहीं एक सगी मां अपने जीवन की चिंता में मासूम बच्ची को संक्रमण से लड़ने के लिए अकेले छोड़ने का फैसला कर लेती है। हालांकि बाद में काउंसलिंग के बाद मां बच्ची के साथ अस्पताल जाने को तैयार हो जाती है।
सूरजकुंड इलाके में रहने वाली एक महिला और उसकी आठ साल की बच्ची की कोरोना जांच की गई। शनिवार को रिपोर्ट आई तो बच्ची पॉजिटिव पाई गई, जबकि मां निगेटिव। संक्रमित बच्ची को अस्पताल में भर्ती कराना था। बच्ची की उम्र कम होने के कारण उसकी मां को भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने साथ में अस्पताल चलने को कहा। उस समय महिला ने जो जवाब दिया वह सुनकर सभी स्तब्ध रह गए। किसी को भी महिला से ऐसे जवाब की उम्मीद नहीं थी। महिला ने कहा कि - अस्पताल गई तो मैं भी संक्रमित हो जाऊंगी। आप बच्ची को ही अस्पताल ले जाओ। अधिकारियों ने महिला को काफी समझाया पर वह तैयार नहीं हुई। इसकी वजह से बच्ची को शनिवार को अस्पताल में भर्ती नहीं कराया जा सका।
संक्रमण के खतरे और छोटी बच्ची को बिना मां-बाप के अस्पताल में रखने पर होने वाली परेशानियों को देखते हुए विभाग ने मां की काउंसलिंग कराने की सोची। रविवार को एक टीम महिला के घर पहुंची और उसकी काउंसलिंग करते हुए आश्वस्त किया कि उसे कुछ नहीं होगा, तब महिला राजी हुई। इसके बाद संक्रमित बच्ची और महिला को रेलवे अस्पताल भेजा गया।
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वहीं, दूसरी ओर सहजनवा के हरपुर बुदहट का भी 13 साल का बच्चा कोरोना संक्रमित मिला था। उसके पिता निगेटिव हैं। बच्चे की मां नहीं है। इसलिए उसके साथ पिता को भी अस्पताल चलने को कहा गया। पिता तुरंत तैयार हो गया और दोनों को रेलवे अस्पताल में भर्ती कराया गया।
हर पांच दिन पर होगी कोरोना जांच
सीएमओ डॉ. श्रीकांत तिवारी ने बताया कि दोनों को ट्रेनिंग दी जाएगी, जिससे की वह खुद को सुरक्षित करते हुए बच्चों की देखभाल कर सकें। हर पांच दिन पर उनके संक्रमण की जांच भी कराई जाएगी। ऐसा ही एक मामला बस्ती का आया था। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में मासूम के साथ उसकी मां भी भर्ती थी। लेकिन पूरी सावधानी बरतते हुए उसने बच्चे की देखभाल की और अंत तक निगेटिव बनी रही।
बड़हलगंज की महिला 15 दिन बस्ती के साथ रही
बस्ती के तीन माह के मासूम को उसकी मां कोरोना वार्ड में दूध पिलाती रही लेकिन वायरस उसे छू भी नहीं पाया था। वह प्रदेश में सबसे कम उग्र का स्वस्थ होने वाला पहला बच्चा था। इसी तरह बड़हलगंज की एक महिला अपनी 9 माह की मासूम के साथ बीआरडी मेडिकल कालेज के कोरोना वार्ड में संक्रमित मरीजों के बीच 15 दिन तक रही। वह सिर्फ तीन परत वाला मास्क पहनती थी। सिर्फ स्तनपान कराने के दौरान ही पीपीई किट उसे पहनाई जाती थी। वह भी अंत तक निगेटिव रही।