Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़ED arrested David Mario for changing copies of MBBS and BAMS Case on VC Vinay Pathak came into limelight

एमबीबीएस और बीएएमएस की कापियां बदलने में ईडी ने डेविड मारियो को किया गिरफ्तार, वीसी पर केस से चर्चा में आए थे

एमबीबीएस और बीएएमएस की कापियां बदलने में ईडी ने डेविड मारियो को गिरफ्तार कर लिया है। डेविड मारियो ने कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय पाठक के खिलाफ भ्रष्टाचार की एफआईआर दर्ज कराई थी।

Yogesh Yadav हिन्दुस्तान, लखनऊSat, 22 July 2023 04:24 PM
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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा में एमबीबीएस व बीएएमएस परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाएं बदले जाने के मामले में डिजिटेक्स टेक्नालॉजीज के प्रोपराइटर डेविड मारियो डेनिस के अलावा राहुल पराशर व देवेन्द्र सिंह को शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया। डिजिटेक्स टेक्नालॉजीज के पास उस समय विश्वविद्यालय की परीक्षाएं कराने की जिम्मेदारी थी। डेविड मारियो ने कानपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय पाठक के खिलाफ भ्रष्टाचार की एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसकी जांच बाद में सीबीआई को सौप दी गई।

ईडी ने कुछ दिनों पहले आगरा, लखनऊ, कासगंज व दिल्ली स्थित इन तीनों आरोपियों के ठिकानों पर छापे मारकर अहम साक्ष्य जुटाए थे। इस दौरान डेविड के लखनऊ में गोखले मार्ग स्थित आफिस और जानकीपुरम स्थित आवास की भी तलाशी ली गई थी। साक्ष्यों की गहन पड़ताल में मेडिकल परीक्षा की उत्तर पुस्तिकाएं बदलने वाले गिरोह में डेविड की मिलीभगत पाने पर उसे गिरफ्तार किया गया।

इससे पहले डेविड को ईडी के लखनऊ जोनल मुख्यालय में बुलाकर लंबी पूछताछ की गई थी। इसके साथ ही डेविड समेत अन्य आरोपियों के विरुद्ध प्रिवेंशन आफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत केस दर्ज किया गया था। ईडी ने इसके पहले डेविड मारियो को लखनऊ के जोनल मुख्यालय में बुलाकर पूछताछ की थी। छात्रनेता राहुल पराशर और टेंपो चालक देवेन्द्र सिंह भी इस गिरोह के सदस्य थे। 

परीक्षा में उत्तर पुस्तिकाएं बदले जाने का मामला पिछले साल प्रकाश में आया था। इसके बाद आगरा के हरीपर्वत थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी। इस मामले में पुलिस ने टेंपो चालक देवेन्द्र सिंह को गिरफ्तार किया था।

देवेंन्द्र ही उत्तर पुस्तिकाएं एजेंसी तक पहुंचाने से पहले छात्रनेता राहुल पराशर को दे देता था और इसके बाद उत्तर पुस्तिकाओं की हेराफेरी की जाती थी। आगरा विश्वविद्यालय के एक पूर्व कर्मचारी शिवकुमार का नाम भी इस फर्जीवाड़े में सामने आया था।

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