यूपी की जनजातियों को रोजगार के लिए निदेशालय देगा लोन, जानिए क्या होंगे नियम और शर्तें
प्रदेश की अनुसूचित जनजातियों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए उन्हें सस्ते ब्याज दर व अनुदान सहित ऋण उपलब्ध करवाने की जिम्मेदारी अब नवगठित अनुसूचित जनजाति निदेशालय उठाएगा। अभी तक राज्य की जनजातियों के...
प्रदेश की अनुसूचित जनजातियों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए उन्हें सस्ते ब्याज दर व अनुदान सहित ऋण उपलब्ध करवाने की जिम्मेदारी अब नवगठित अनुसूचित जनजाति निदेशालय उठाएगा। अभी तक राज्य की जनजातियों के लिए ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी।
हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रयासों से राज्य के सात जिलों बहराइच, बलरामपुर, खीरी, गोरखपुर, महाराजगंज, गोण्डा व सहारनपुर में 34 वन ग्राम राजस्व ग्राम में तब्दील किए जा चुके हैं। इनमें सबसे अधिक 18 राजस्व ग्राम महाराजगंज में बने हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हर साल दीपावली में इन जनजातियों के बीच इनके गांव में ही मनाते हैं। इन राजस्व ग्रामों में रहने वाली गोंड, थारू, सहरिया, बुक्सा आदि जनजातियों के कल्याण के लिए कई सरकारी विभागों की योजनाएं चलाई जाने लगी हैं। मगर इनको अपने परम्परागत वनसम्पदा के दोहन से जुड़े कार्यों के अलावा अन्य उद्योग धंधों से जोड़ कर आत्मनिर्भर बनाने की अभी तक कोई योजना नहीं बनी। करीब 11 लाख की आबादी वाली इन जनजातियों के आर्थिक हालात सुधारने के लिए अब अनुसूचित जनजाति निदेशालय कार्य करेगा।
इस बारे में 'हिन्दुस्तान' से बातचीत में समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री ने साफ किया कि इन जनजातियों के लिए बना निदेशालय ही उन्हें स्वरोजगार के लिए ऋण व अनुदान देने का काम करेगा। शास्त्री ने 12 सितम्बर 2019 को अनुसूचित जनजाति निदेशालय का उद्घाटन किया था। उन्होंने बताया कि पहले तराई वित्त विकास निगम इन जनजातियों को रोजी रोजगार के लिए अनुदान व ऋण देने का काम करता था। मगर घाटे के कारण 1996 में वह बंद हो गया। उसके बाद से इनके लिए अलग से कोई ऐसी एजेंसी नहीं बनी। यह निदेशालय अब जनजातियों के लिए छात्रवृत्ति और फीस भरपाई की योजना भी संचालित करने लगा है। यह निदेशालय इस बार इन जनजातियों के करीब 4000 प्री मैट्रिक कक्षाओं के छात्र-छात्राओं और 15 हजार पोस्ट मैट्रिक कक्षा के छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति व फीस भरपाई देगा। इसके लिए 10 करोड़ रुपये राज्यांश से और 38 करोड़ रुपये केन्द्रांश से मिले हैं।