बाहुबली धनंजय सिंह फेल, बृजभूषण शरण सिंह और राजा भैया का अपने जिले से लेकर पड़ोसी सीटों तक दिखा दबदबा
लोकसभा चुनाव में इस बार पूर्वी यूपी के तीन बाहुबलियों ब्रजभूषण शरण सिंह, राजा भैया और धनंजय सिंह पर सभी की नजरे थीं। बृजभूषण शरण और राजा भैया ने दबदबा दिखाया लेकिन धनंजय फेल हो गया।
लोकसभा चुनाव में इस बार पूर्वी यूपी के तीन बाहुबलियों ब्रजभूषण शरण सिंह, राजा भैया और धनंजय सिंह पर सभी की नजरे थीं। बृजभूषण शरण सिंह और राजा भैया तो दबदबा दिखाने में सफल हो गए लेकिन धनंजय सिंह वर्चस्व साबित नहीं कर सके। चुनाव के शुरुआती दौर में तीनों बाहुबली तीन तरफ दिखाई दिए थे। बेटे को टिकट मिलने के बाद बृजभूषण शरण सिंह उसी को जिताने और आसपास की सीटों पर लग गए। राजा भैया भाजपा के साथ रहते-रहते चुनाव के समय न्यूट्रल हो गए। धनंजय सिंह पत्नी श्रीकला को बसपा से उतारने के बाद भाजपा को समर्थन कर गए। यहां तक कह दिया कि जौनपुर से सांसद वही बनेगा जिसे वह चाहेंगे। भाजपा के लिए कई सीटों पर प्रचार के लिए गए। उनकी एक भी चाहत पूरी नहीं हो सकी। भाजपा जौनपुर की दोनों सीटों के अलावा वह सीटें भी हार गई जहां-जहां धनंजय सिंह प्रचार के लिए गए थे।
कैसरगंज से मौजूद सांसद बृजभूषण शरण सिंह का टिकट अंतिम समय फंसा हुआ था। ऐसे में सपा की भी उन पर निगाहें थीं। सपा ने भी तब तक अपना प्रत्याशी कैसरगंज से घोषित नहीं किया था जब तक भाजपा का टिकट फाइनल नहीं हो गया। कैसरगंज में भाजपा की यह स्थिति थी कि बृजभूषण के अलावा वहां से टिकट का कोई दावेदार ही नहीं था। भाजपा को बृजभूषण से ही राय लेनी पड़ी।
उनसे पूछा गया कि बड़े बेटे को टिकट दे दिया जाए और वह खुद बाद में विधानसभा का चुनाव लड़ लें। बृजभूषण की सहमति पर छोटे बेटे करण भूषण का टिकट फाइनल हुआ। अब समय था अपने दबदबे का इजहार करने का। न सिर्फ कैसरगंज से बेटे को जिताया बल्कि आसपास की गोंडा लोकसभा सीट और बहराइच लोकसभा सीट पर भी भगवा लहरा दिया।
बृजभूषण की तरह ही राजा भैया का भी दबदबा दिखा। यह अलग बात है कि जो काम बृजभूषण ने भीषण गर्मी में सड़क पर उतर कर किया वही काम राजा भैया ने अपने बेंती वाले महल में बैठे-बैठे कर दिया। लगातार हर चुनाव में बीजेपी के साथ रहने वाले राजा भैया ने इस बार किसी को समर्थन नहीं देने का ऐलान का दिया। इस ऐलान को भाजपा के खिलाफ ही माना गया। उन्होंने समर्थकों को अपनी मर्जी से प्रत्याशी और पार्टी का समर्थन करने की छूट दी।
भाजपा की सहयोगी अनुप्रिया पटेल ने इसे लेकर राजा भैया पर हमला किया तो समर्थक भी सपा के पक्ष में खुलकर उतर आए। अखिलेश यादव की रैली तक में राजा भैया की पार्टी का झंडा लहराया। इसका असर न सिर्फ कौशांबी बल्कि आसपास की प्रतापगढ़ और प्रयागराज सीटों पर भी दिखा। तीनों सीटों पर भाजपा हार गई।
बृजभूषण शरण सिंह और राजा भैया के उलट धनंजय सिंह के दावे कहीं नहीं ठहर सके। जौनपुर और पिछली बार जीती यहां की मछलीशहर सीट भी भाजपा हार गई। धनंजय सिंह ने बलिया जाकर कैंप किया। चंदौली और घोसी में भी प्रचार में उतरे। जौनपुर में चुनाव प्रचार खत्म होने के बाद 25 मई से लगातार पूर्वांचल के जिलों में 30 मई तक लगे रहे। चंदौली, बलिया और घोसी लोकसभा क्षेत्रों में सघन प्रचार किया। भाजपा प्रत्याशियों महेंद्र नाथ पांडेय, नीरज शेखर और पीयूष राय के साथ सभाएं कीं। इसके बाद भी भाजपा जौनपुर मछलीशहर के साथ चंदौली, बलिया और घोसी में भी हार गई।