कस्टडी में मौतों पर यूपी के डीजीपी प्रशांत कुमार सख्त, थानेदारों के लिए नए निर्देश जारी
यूपी के डीजीपी प्रशांत कुमार ने पुलिस हिरासत में होने वाली मौतों या प्रताड़ना की घटनाओं पर प्रभावी रोकथाम के लिए कड़े निर्देश जारी किए हैं। उन्हें बताया है कि पूछताछ से पहले क्या-क्या करना है।
डीजीपी प्रशांत कुमार ने पुलिस हिरासत में होने वाली मृत्यु या प्रताड़ना की घटनाओं पर प्रभावी रोकथाम के लिए कड़े निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने कहा है कि थानों पर किसी अभियुक्त या व्यक्ति से पूछताछ का कार्य मनोवैज्ञानिक तरीकों का प्रयोग करते हुए अत्यंत धैर्यपूर्वक किया जाए। प्रत्येक पूछताछ थाना प्रभारी द्वारा स्वयं अथवा उनके द्वारा नामित इंस्पेक्टर या सब इंस्पेक्टर द्वारा ही की जाए और इसका विवरण पूछताछ रजिस्टर में दर्ज किया जाए।
प्रदेश के सभी जोनल एडीजी, पुलिस कमिश्नर, आईजी-डीआईजी रेंज व जिलों के पुलिस कप्तानों को उन्होंने गुरुवार को इस बारे में विस्तृत दिशा-निर्देश भेजा और उनका कड़ाई से पालन कराने को कहा। डीजीपी ने कहा कि किसी व्यक्ति या अभियुक्त को थाने पर पूछताछ के लिए लाने से पूर्व इस बात की पुष्टि कर ली जाए कि वह पूर्व से किसी गंभीर रोग से ग्रस्त तो नहीं है? गंभीर रोग से ग्रस्त व्यक्ति या गिरफ्तार अभियुक्त को थाने पर कदापि न लाया जाए। यदि किसी कारणवश थाने पर लाए गए व्यक्ति या गिरफ्तार अभियुक्त आकस्मिक रूप से बीमार हो जाता है तो उसका समीप के चिकित्सालय में तत्काल उपचार कराया जाए।
डीजीपी ने कहा है कि थाना प्रभारी या चौकी प्रभारी की जानकारी के बिना थाने अथवा पुलिस चौकी में किसी व्यक्ति को न तो लाया जाए और ना ही बैठाया जाए। यदि किसी व्यक्ति को किसी कारणवश लाया जाए तो इसका समुचित अभिलेखीकरण भी उसी समय किया जाए। यदि पूछताछ के लिए लाए गए अभियुक्त का स्वास्थ्य बिगड़ने लगे तो उसे तुरंत चिकित्सिलय ले जाया जाए और यथासंभव इस प्रक्रिया की फोटोग्राफी एवं वीडियोग्राफी भी करा ली जाए।
अभियुक्त की चिकित्सा में किसी भी दशा में देरी न की जाए। पुलिस हिरासत में हुई मृत्यु की घटनाओं के संबंध में पंजीकृत मुकदमों की सूचना 24 घंटे के अंदर मानवाधिकार आयोग को प्रत्येक दशा में भेजी जाए। साथ ही इस संबंध में दर्ज किए गए मुकदमों की विवेचना पूरी निष्पक्षता से कराई जाए।