Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Devotees played Holi of pyre ashes at the cremation ground of Kashi

काशी में भक्तों ने बाबा विश्वनाथ के साथ महाश्मशान पर खेली चिता भस्म की होली, घाटों पर उमड़ी भीड़

बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में देवस्थान और महाश्मसान का एक अलग ही महत्व है। जहां जन्म और मृत्यु दोनों मंगल है। काशी में होली का जश्न शुरू हो चुका है। यहां भक्त बाबा संग होली खेल रहे हैं।

Pawan Kumar Sharma हिन्दुस्तान, वाराणसीSat, 4 March 2023 06:09 PM
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शिव अर्थात जीवन का अंतिम सत्य। बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में देवस्थान और महाश्मशान का एक अलग ही महत्व है। जहां जन्म और मृत्यु दोनों मंगल है। काशी में होली का जश्न शुरू हो चुका है। यहां भक्त बाबा संग होली खेल रहे हैं। एक दिन पहले शिवभक्तों ने बाबा संग गुलाल से होली खेली तो उसके दूसरे दिन महादेव के भक्तों ने श्मशान में जलती चिताओं के बीच चिता की भस्म से होली खेली।

इस दौरान पूरा मणिकर्णिका घाट और गलियां हर-हर महादेव के उद्घोष से गुंजायमान हो उठा। हर ओर डमरू की आवाज के साथ चिता की भस्म से होली खेली जा रही थी। इसका हिस्सा बनने ओर इसे देखने के लिये घाट ओर वहां तक आने वाली गलियां हजारों लोगों से अटी पड़ी थीं। इसके पहले सुबह से ही बाबा मशाननाथ की विधि विधान से पूजा अर्चना शुरू हुई। बाबा महाश्मशान नाथ सेवा समिति के अध्यक्ष चैनु प्रसाद गुप्ता ने बाबा महाश्मशान नाथ और माता मशान काली (शिव शक्ति) की मध्याह्न आरती कर बाबा को जया, विजया, मिष्ठान और सोमरस का भोग लगाया गया। बाबा व माता को चिता भस्म व गुलाल चढाने के साथ ही होली शुरू हो गई ओर पूरा मंदिर प्रांगण और शवदाह स्थल भस्म से भर गया।

मान्यता है कि रंगभरी एकादशी के दिन पार्वती का गौना करने के बाद देवगण और भक्तों के साथ बाबा होली खेलते हैं। भूत-प्रेत,पिशाच, जीव-जंतु सभी भगवान शिव के आदेश पर गृहस्थों और देवों की होली से दूर रहते हैं इसलिए अगले दिन बाबा महाश्मशान मणिकर्णिका तीर्थ पर स्नान करने आते हैं और अपने गणों के साथ चिता की भस्म से होली खेलते हैं।

काशी में मान्यता है कि बाबा विश्वनाथ के साथ होली खेलने और उत्सव मनाने के लिए भूत-प्रेत, पिशाच, चुड़ैल, डाकिनी-शाकिनी, औघड़, सन्यासी, अघोरी, कपालिक, शैव-शाक्त सब आते हैं। डमरुओं की गूंज और हर-हर महादेव के जयकारे, पान और ठंडाई के साथ एक-दूसरे को मणिकर्णिका घाट की भस्म लगाते हैं। ये होली काशी में मसाने की होली के नाम से जानी जाती है और पूरे विश्व में केवल काशी में खेली जाती है।

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