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आसमान में चमका 'शैतान धूमकेतु', BHU के वैज्ञानिकों ने बताया अब क्‍या होगा?

दो सींगों वाला यह धूमकेतु अगले चार से पांच दिनों तक आसमान पर दिखेगा। हालांकि इसके बाद भी ऐसे कई मौके आएंगे जब दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में इसे देखा जा सकेगा। अंतरिक्ष विज्ञानी इससे खासा उत्साहित हैं।

Ajay Singh वरिष्ठ संवाददाता, वाराणसीTue, 2 April 2024 12:45 PM
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अंतरिक्ष का सबसे अशांत धूमकेतु कहलाने वाला ‘डेविल’ या दानव धूमकेतु भारत के आसमान पर दिखने लगा है। दो सींगों वाला यह धूमकेतु अगले चार से पांच दिनों तक आसमान पर दिखेगा। हालांकि इसके बाद भी ऐसे कई मौके आएंगे जब दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में इसे देखा जा सकेगा। अंतरिक्ष विज्ञानी इसे लेकर खासा उत्साहित हैं।

‘हेली’ सीरीज का डेविल कॉमेट या ‘12पी/पॉन्स-ब्रूक्स’ 71 साल में अपनी कक्षा में एक चक्कर पूरा करता है। एक महीने पहले हमारे सौरमंडल में इसका प्रवेश हुआ है। तभी से दुनियाभर की एजेंसियों के साथ बीएचयू के अंतरिक्ष विज्ञानी भी इसपर नजर रखे हुए हैं। आकार में एवरेस्ट जितना बड़ा दानव या डेविल कॉमेट सूर्य के करीब आने के साथ चमकदार होता जा रहा है। 21 अप्रैल को यह सूर्य के सबसे करीब और सबसे ज्यादा चमकदार होगा। 

काशी के ऐस्ट्रो ब्वॉय वेदांत पांडेय भी इसकी निगरानी कर रहे हैं। वेदांत ने आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान’ को रविवार रात खींची हुई दानव धूमकेतु की तस्वीर भी भेजी है। उन्होंने बताया कि अभी सूर्यास्त के बाद पश्चिमी आकाश पर 15 डिग्री की ऊंचाई पर इसे देखा जा सकता है। आसमान साफ होने पर यह खुली आंखों से भी दिखेगा। अभी यह आधे से एक घंटे तक दिख रहा है। पृथ्वी और सूर्य के और ज्यादा करीब आने पर इसका समय और बढ़ेगा।

8 अप्रैल को दिन में दिखेगा ‘दानव’
8 अप्रैल को पड़ने वाले पूर्ण सूर्यग्रहण के वक्त दुनिया के प्रभावित इलाकों में दानव धूमकेतु दिन के समय भी देखा जा सकेगा। इसके अलावा यह 21 अप्रैल को सूर्य के सबसे करीब पहुंचने पर भी नजर आएगा। तब इसकी दूरी सूर्य से 1168 लाख किमी होगी। इसके 42 दिनों बाद यानी जून महीने में यह पृथ्वी के करीब से गुजरेगा। हालांकि उस समय इसे सिर्फ दक्षिणी गोलार्ध से देखा जा सकेगा। 

असामान्य वातावरण अध्ययन का विषय
‘12पी/पॉन्स-ब्रूक्स’ यानी दानव धूमकेतु का असामान्य वातावरण अध्ययन का विषय बना हुआ है। इसपर लगातार बड़े आणविक विस्फोट होते हैं और ज्वालाएं उठती हैं। अब तक हुए अध्ययन के मुताबिक यह धूमकेतु सिर्फ गैसों के गुबार से बना है मगर यह एक पिंड की तरह काम करता है। ज्वलनशील गैसों के उच्च दबाव से ही इसपर दो सींग जैसी आकृति बनी हुई है। इसका डेविल नाम पड़ने के पीछे भी यही वजह है।

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