बयान से मुकरने वाली दुराचार पीड़िता के खिलाफ कोर्ट ने दिया कार्रवाई का आदेश, आरोपित को मिली जमानत
लखनऊ बेंच ने दुराचार और पॉक्सो के मुकदमे में पूर्व में दिए अपने बयान से मुकरने वाली पीड़िता के खिलाफ कार्रवाई का आदेश ट्रायल कोर्ट को दिया है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने दुराचार और पॉक्सो के मुकदमे में पूर्व में दिए अपने बयान से मुकरने वाली पीड़िता के खिलाफ कार्रवाई का आदेश ट्रायल कोर्ट को दिया है। इसी के साथ न्यायालय ने मामले के अभियुक्त की जमानत याचिका भी मंजूर कर ली है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की एकल पीठ ने पिंकू उर्फ छोटू की जमानत याचिका पर पारित किया। अभियुक्त की ओर से कहा गया कि उसके खिलाफ उन्नाव जिले के बीघापुर थाने में आईपीसी की धारा 376 व पॉक्सो अधिनियम की धारा 3/4 के तहत अभियोग पंजीकृत किया गया। यह एफआईआर स्वयं पीड़िता ने लिखाई। जिसमें आरोप लगाया कि 19 जून 2022 को जब वह खेत में काम कर रहे अपने भाई को खाना देने जा रहे थी तो रास्ते में अभियुक्त ने उसे अकेला पाकर पकड़ लिया और जबरन दुराचार किया।
दलील दी गई कि गवाही के दौरान पीड़िता अपने पूर्व के बयान से पलट गई और कहा कि ऐसी कोई घटना ही नहीं हुई। अभियोजन द्वारा उसे होस्टाइल भी घोषित किया जा चुका है। कहा गया कि अभियुक्त 20 जून 2022 से ही इस मामले में जेल में है। राज्य सरकार की ओर से पेश अपर शासकीय अधिवक्ता अमित कुमार द्विवेदी ने जमानत याचिका का विरोध किया।इस पर न्यायालय ने हाईकोर्ट द्वारा हरीओम शर्मा मामले में दिए गए एक आदेश का हवाला देते हुए कहा कि आपराधिक परीक्षण एक गंभीर विषय है और दुराचार जैसे मामले में स्वयं पीड़िता को होस्टाइल होने की इजाजत देकर इसे मजाक बनाने नहीं दिया जा सकता। उक्त आदेश में यह भी कहा गया है कि चूंकि पीड़िता पक्षद्रोही हो गई, लिहाजा उसे सरकार से कोई मुआवजा भी नहीं दिया जाना चाहिए। ऐसे मामलों में झूठी गवाही देने के लिए सीआरपीसी की धारा 344 के तहत भी कार्रवाई होनी चाहिए।