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सिर्फ डिग्री लेने से पूरा नहीं हो जाता डॉक्‍टर का काम, AIIMS गोरखपुर में बोले CM योगी ने बताया क्‍या होना चाहिए योग्‍यता का आधार

सीएम योगी आदित्‍यनाथ ने गुरुवार को एम्‍स गोरखपुर में नवनिर्मित ऑडिटोरियम व नेशनल सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च इन टोबैको कंट्रोल का उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्‍होंने इनोवेशन और रिसर्च पर जोर दिया।

Ajay Singh वरिष्‍ठ संवाददाता, गोरखपुरThu, 4 Aug 2022 02:49 PM
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सिर्फ डिग्री हासिल कर लेने से डॉक्‍टर का काम पूरा नहीं हो जाता। डिग्री हासिल करने के बाद आगे विशाल संभावनाओं वाला क्षेत्र है जहां चिकित्सक, समाज हित में बहुत कुछ नया कर सकते हैं। 

सीएम योगी गुरुवार सुबह अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गोरखपुर में नवनिर्मित ऑडिटोरियम व नेशनल सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च इन टोबैको कंट्रोल का उद्घाटन करने के बाद यहां तंबाकू नियंत्रण विषय पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हर मरीज डॉक्टर के लिए रिसर्च का भी विषय होता है।

एक डॉक्टर यदि एक वर्ष ओपीडी में मरीजों को देखता है, मरीजों को सलाह देता है तो इसके जरिये उसे एक नया व व्यावहारिक पब्लिकेशन प्राप्त हो जाता है। मुख्यमंत्री ने डॉक्टरों से अपील की कि वे अपने क्षेत्र में कुछ न कुछ नया करने का भी प्रयास करें। इनोवेशन और रिसर्च ही योग्यता का आधार है। इसी आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 दी है। 

40 साल में इंसेफेलाइटिस पर एक भी रिसर्च पेपर नहीं
सीएम योगी ने इस दौरान पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए लंबे समय तक अभिशाप बनी रही इंसेफेलाइटिस का जिक्र करते हुए कहा कि 1977-78 में आई इस बीमारी से 40 साल में 50 हजार बच्चों की मौत हो गई। पर, 40 साल में इस पर एक भी रिसर्च पेपर देखने को नहीं मिला। हद तो इस बात की भी रही कि जापान से इंसेफेलाइटिस के लिए वैक्सीन 1906 में बना लिया था लेकिन भारत में यह उपलब्ध हुई सौ साल बाद 2006 में। जबकि कोरोना काल में महज नौ माह में पीएम मोदी के मार्गदर्शन में देश में दो-दो स्वदेशी वैक्सीन तैयार हो गईं। यही नहीं देश मे कोरोना वैक्सीन की दो सौ करोड़ डोज दी जा चुकी है। 

चार साल में इंसेफेलाइटिस पर प्रभावी नियंत्रण
सीएम योगी ने कहा कि 2017 में जब वह मुख्यमंत्री बने तो उनके सामने इंसेफलाइटिस को नियंत्रित करने की चुनौती थी। इसके पहले जब वह सांसद थे तो सदन में मुद्दे उठाते थे, सड़कों पर आंदोलन करते थे। उन्होंने कहा कि इंसेफलाइटिस पर जारी संघर्ष के कारण ही पीएम मोदी ने गोरखपुर को एम्स दिया था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इंसेफलाइटिस पर नियंत्रण के लिए बीआरडी मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल, सीएससी-पीएचसी स्तर पर स्वास्थ्य सुविधाएं तो सुदृढ़ की ही गईं, सरकार ने स्वास्थ्य विभाग को नोडल बनाकर 9 विभागों को एक साथ जोड़ा। स्वच्छता, शुद्ध पेयजल, जागरूकता के माध्यम से बचाव पक्ष को भी इलाज जितना ही महत्वपूर्ण माना। समन्वित प्रयासों का परिणाम है कि 4 साल में ही इंसेफलाइटिस से होने वाली मौतों में 95 फीसद तक कमी आ चुकी है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में इंसेफलाइटिस पर प्रभावी नियंत्रण प्राप्त कर लिया गया है। 2 साल कोरोना से प्रभावित नहीं होते तो इंसेफलाइटिस का पूर्ण उन्मूलन कर लिया गया होता।

तंबाकू के खतरों से बचाव में डॉक्टरों की बड़ी भूमिका
सीएम योगी ने कहा कि यद्यपि मेडिकल साइंस ने बहुत प्रगति की है फिर भी उपचार से महत्वपूर्ण पक्ष बचाव का होता है। तंबाकू के सेवन व धूम्रपान से होने वाले नुकसान को सभी जानते हैं। धूम्रपान का हानिकारक असर संगत वालों को भी होता है। तंबाकू के उत्पादों पर उसके खतरों के बारे में लिखित व चित्रित उल्लेख होने के बावजूद लोग इनका सेवन कर रहे हैं। सीएम योगी ने कहा कि तंबाकू के खतरों से बचाव में डॉक्टरों की बड़ी भूमिका हो सकती है। चिकित्सक उनके यहां आने वाले हर मरीज को इसके प्रति जागरूक कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि जो भी मरीज आपके पास आए तो उसे तंबाकू से बचने के लिए प्रेरित करिए। सीएम योगी ने कहा कि तंबाकू किसी प्रकार का हो खतरनाक होता है। इसके नियंत्रण को लेकर एम्स ने जो अभियान शुरू किया है, उसमें राज्य सरकार अपना पूरा सहयोग देगी।

यूपी के सरकारी कार्यालयों में तंबाकू पर पूर्ण प्रतिबंध
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बताया कि उत्तर प्रदेश के सरकारी कार्यालयों में किसी भी तरह के तंबाकू के सेवन पर पूर्ण प्रतिबंध लागू किया गया है। कोई इसका उल्लंघन करेगा तो दंड का भागी होगा। उन्होंने 5 वर्ष पूर्व सचिवालय भ्रमण का वाकया बताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री बनने के बाद जब वह पहली बार सचिवालय का जायजा लेने निकले थे तो वहां जगह-जगह गुटका-पान खाकर थूका हुआ मिला। तभी उन्होंने यह फैसला किया था कि सरकारी कार्यालयों में तंबाकू सेवन पूरी तरह प्रतिबंधित किया जाएगा। इस अवसर पर एम्स की कार्यकारी निदेशक प्रो सुरेखा किशोर, प्रो अशोक प्रसाद, प्रो बीएस गर्ग, वंदना शाह, डॉ ओमप्रकाश बेरा आदि मौजूद रहे।

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