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शाहरुख खान, सनी देओल और अतीक अहमद को क्लीन चिट, कमिश्नर ने 14 घंटे की गुंडा एक्‍ट के मामलों की सुनवाई 

पुलिस कमिश्‍नर रमित शर्मा की कोर्ट ने शनिवार को गुंडा एक्ट के मामलों का निस्तारण करने के लिए मैराथन कार्यवाही की। 14 घंटे तक सुनवाई चली। सुप्रीम कोर्ट के वकीलों ने ऑनलाइन निशुल्क पैरवी की।

Ajay Singh वरिष्ठ संवाददाता, प्रयागराजSun, 12 May 2024 04:55 AM
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Prayagraj News: प्रयागराज के पुलिस कमिश्‍नर रमित शर्मा की कोर्ट ने शनिवार को गुंडा एक्ट के मामलों का निस्तारण करने के लिए मैराथन कार्यवाही की। 14 घंटे तक सुनवाई चली। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ताओं ने ऑनलाइन निशुल्क पैरवी की। सुबह से रात तक चली सुनवाई के दौरान 712 वादों का निस्तारण करके रिकॉर्ड बनाया गया। पुलिस अफसर के इस महाअभियान से न केवल अतीक अहमद बल्कि शाहरुख खान, गब्बर, सनी देओल और ठाकुर जैसे लोगों को बड़ी राहत मिली।

हैरान होने की जरूरत नहीं है। हम पूर्व सांसद अतीक अहमद या फिल्म स्टार शाहरुख खान या सनी देओल की बात नहीं कर रहे हैं। ये सभी आरोपी प्रयागराज के रहने वाले हैं। करेली के नए अतीक अहमद हैं तो लालापुर के शाहरुख खान। इसी तरह नैनी के चुनमुन, सोरांव के सत्येंद्र उर्फ चोचे, हंडिया के सनी देओल, दारागंज के ठाकुर उर्फ पप्पू, बारा के राकेश उर्फ दादू, करेली के गब्बर उर्फ टाइगर निषाद और शंकरगढ़ के पतलिया समेत 712 लोगों को बड़ी राहत मिली है। इन सभी के खिलाफ गुंडा एक्ट का नोटिस पुलिस आयुक्त कोर्ट ने वापस ले लिया है। अब येें जिलाबदर नहीं होंगे। इस कार्यवाही से 712 आरोपियों की फीस भी बच गई। 

दरअसल, कुछ दिन पहले ही हाईकोर्ट ने सिर्फ एक मुकदमे में आरोपित होने पर जिलाबदर की कार्रवाई पर डीएम को फटकार लगाई थी। उनपर 20 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया था। हाईकोर्ट के आदेश के मद्देनजर प्रयागराज कमिश्नरेट की कोर्ट ने कार्यवाही शुरू की। साढ़े तीन हजार लंबित गुंडा एक्ट के मामलों में फिलहाल 712 ऐसे मामले मिले, जिसमें आरोपियों के खिलाफ सिर्फ एक ही मुकदमे का जिक्र करते हुए गुंडा एक्ट के लिए नोटिस जारी किया था। हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन में कोर्ट ने सभी के नोटिस को वापस ले लिया। अगर इनके खिलाफ बाद में मुकदमे दर्ज हुए हैं तो पुलिस दोबारा चालानी रिपोर्ट तैयार करके भेजेगी। फिर गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई होगी।

कागजातों पर करने पड़े 3560 हस्ताक्षर
पुलिस कमिश्नर रमित शर्मा को कोर्ट में कार्यवाही के दौरान 14 घंटे तक न केवल सुनवाई करनी पड़ी बल्कि हजारों पेपरों पर हस्ताक्षर भी करना पड़ा। बताया जा रहा है कि एक केस के निस्तारण में दिनांक समेत पांच जगहों पर हस्ताक्षर करना पड़ रहा था। इस तरह से 712 फाइलों में कुल 3560 हस्ताक्षर कर पुलिस कमिश्नर ने रिकॉर्ड बनाया। इससे पहले वह आजमगढ़ में बतौर कप्तान एक दिन में 400 से अधिक शस्त्रत्त् लाइसेंस की फाइलों का निस्तारण कर चुके हैं।

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