गोरखपुर विकास प्राधिकरण से मानचित्र पास कराने वालों की उड़ी हुई है नींद, जानिए वजह
लखनऊ के आर्किटेक्ट की आईडी से जीडीए द्वारा स्वीकृत नक्शों की संख्या भले ही 100 के आसपास बताई जा रही हो लेकिन इससे हजारों लोगों की नींद उड़ी हुई है। पिछले तीन वर्षों में ऑनलाइन नक्शा पास कराने वाले...
लखनऊ के आर्किटेक्ट की आईडी से जीडीए द्वारा स्वीकृत नक्शों की संख्या भले ही 100 के आसपास बताई जा रही हो लेकिन इससे हजारों लोगों की नींद उड़ी हुई है। पिछले तीन वर्षों में ऑनलाइन नक्शा पास कराने वाले लोग प्राधिकरण से लेकर आर्किटेक्ट से पूछ रहे हैं कि उनका मानचित्र तो ठीक है न? आर्किटेक्ट जिस तल्खी से फर्जी आईडी पर स्वीकृत मानचित्रों को रद करने की मांग कर रहे हैं, उससे कइयों की मुश्किलें बढ़ गई है। नक्शे रद होते हैं तो 100 से अधिक लोगों का दो करोड़ से अधिक फंसना तय है।
मेरठ के बाद गोरखपुर में आर्किटेक्ट की आईडी से फर्जीवाड़ा कर मानचित्र स्वीकृत किए जाने को लेकर हड़कंप की स्थिति है। आर्किटेक्ट तो परेशान हैं ही, जिन्होंने पिछले तीन वर्षों में लाखों रुपये शुल्क देकर नक्शा मंजूर कराया है, उनकी भी मुश्किलें बढ़ गई हैं। कूड़ाघाट क्षेत्र निवासी उमेश शुक्ला ने दो साल पहले मानचित्र स्वीकृत कराया था। उनका कहना है कि मानचित्र को लेकर प्राधिकरण में मंगलवार को गए थे। जिम्मेदारों ने कहा कि अपने आर्किटेक्ट से पूछिये मानचित्र सही है या नहीं। उमेश जैसे तमाम लोग प्राधिकरण से लेकर आर्किटेक्ट के पास मानचित्र की वैधता जानने के लिए पहुंच रहे हैं। जीडीए उपाध्यक्ष आशीष कुमार का कहना है कि मामला संज्ञान में आने के बाद जांच हो रही है। उसमें जो फैक्ट आएंगे, उसके आधार पर आगे की कार्रवाई होगी।
15 लाख तक शुल्क किया है अदा
आर्किटेक्टों ने प्राधिकरण की वेबसाइट से कई मानचित्र अपलोड किए हैं, जो लखनऊ के आर्किटेक्ट जितेन्द्र त्रिपाठी की आईडी से बने हुए हैं। इनमें से दो दर्जन से अधिक मानचित्रों को स्थानीय आर्किटेक्ट ने वेबसाइट से निकाला है। इनमें 1.50 लाख से लेकर 15 लाख शुल्क देकर मानचित्र स्वीकृत कराया गया है।
आर्किटेक्ट एसोसिएशन ने रखीं दो मांगें
गोरखपुर आर्किटेक्ट एसोसिएशन की मंगलवार को हुई बैठक में दो बातों पर सहमति बनी। यूपी आर्किटेक्ट एसोसिएशन के संयुक्त सचिव मनीष मिश्रा का कहना है कि बैठक में सहमति बनी है कि आईडी का इस्तेमाल कर बने सभी मानचित्र रद किए जाएं। भविष्य में फर्जीवाड़ा रोकने के लिए आर्किटेक्ट के डिजिटल सिग्नेचर का प्रयोग सुनिश्चित किया जाए। इन मांगों को लेकर प्रतिनिधिमंडल जल्द जीडीए उपाध्यक्ष से मिलेगा।