रमजान: विदेशी से परहेज, नहीं बिकीं चाइनीज, तुर्की, इण्डोनेशिया के नाम वाली डिजाइनर टोपियां
माह-ए-रमजान व ईद-उल-फित्र में विदेशी टोपियों, इत्र व मिस्वाक की खूब मांग रहती है। शहर में टोपी व इत्र आदि की एक दर्जन स्थायी दुकानें नखास, उर्दू बाजार, घंटाघर, गोरखनाथ आदि क्षेत्रों में हैं। वहीं...
माह-ए-रमजान व ईद-उल-फित्र में विदेशी टोपियों, इत्र व मिस्वाक की खूब मांग रहती है। शहर में टोपी व इत्र आदि की एक दर्जन स्थायी दुकानें नखास, उर्दू बाजार, घंटाघर, गोरखनाथ आदि क्षेत्रों में हैं। वहीं रमजान व ईद के मौंके पर 50 के करीब अस्थायी दुकानें शाहमारूफ, रेती, जाफ़रा बाजार, रसूलपुर, गोरखनाथ आदि जगहों पर सजा करती थीं। स्थायी दुकान काफी समय से बंद हैं। इस बार अस्थाई दुकानें लगेंगी नहीं।
लॉकडाउन की वजह से इस रमजान व ईद में टोपी व इत्र का लाखों रुपये का कारोबार प्रभावित हुआ है। इस बार लॉकडाउन की वजह से न तो देशी- विदेशी टोपियां और न ही इत्र बिक पायी है। हर रमजान व ईद में करीब एक लाख से अधिक टोपियां बिक जाया करती थीं। वहीं कई हजार इत्र की शीशीयां बिकती थीं। मिस्वाक की भी खूब मांग रहती थी।
डिमांड में रहने वाली टोपियां
माह-ए-रमज़ान के 25 रोजे गुजर गये हैं। कुछ दुकानें खुलीं भी तो एक दो ग्राहक ही आ रहे हैं। अख्तर जमाल बुक डिपो नखास के अख्तर आलम ने बताया कि हर माह की तुलना में माह-ए-रमजान व ईद में टोपियों की बिक्री बढ़ जाया करती थी। कई हजार टोपियां तो हमारे दुकान से बिक जाया करती थी। इत्र 400 से 500 दर्जन बिक जाती थी। हमारी दुकान पर फिलहाल तुर्की, इण्डोनेशियाई, जरवी, फाम, मोती वाली, बांग्लादेशी, चाइना, हक्कानी, ओवैसी, चिमकी, मखमल, चिकन, लम्बी बरकाती, पचकली, कोरिया, बरकाती गोल, रामपुरी, लोगो वाली टोपी, चांद-तारा टोपी तीन से चार सौ के करीब है। रमजान व ईद में तुर्की, इंडोनेशिया व ओवैसी टोपी की काफी डिमांड रहती थी। हमारे पास पुराना माल बचा हुआ है। लॉकडाउन की वजह से नया माल आ नहीं सका है।
दूर-दूर से आती हैं टोपियां
टोपियां दिल्ली, कलकत्ता, मुम्बई व रामपुर से आती हैं। रमजान व ईद में टोपियों का क्रेज काफी बढ़ जाता है लेकिन इस बार सन्नाटा है। टोपियां 10 रुपये से लेकर 500 रुपये तक की बिकती हैं। इसके अलावा रमजान में सबसे ज्यादा मांग कुरआन शरीफ के पारों की रहा करती थी। पंज सूरह की भी मांग रहती थी। अख्तर आलम ने बताया कि मजमुआ, फिरदौसी, गुलाब, मुश्क, मुश्क अम्बर, मैगनेट, अतर संदल, बहार, अतर फवाके सद़फ , अतर हयाती, कश्तूरी, अतर शमामा इत्र हमारी दुकान में है। मजमुआ, फिरदौसी, गुलाब की ज्यादा मांग रहती है। रमजान व ईद में इत्र की बिक्री काफी जोर पकड़ती थी। इस बार सन्नाटा है। वहीं माह-ए-रमजा न में मिस्वाक भी बड़े पैमाने पर बिकती थी।