Kanpur Metro: जमीन के अंदर शुरू हुई खुदाई, 'नाना' और 'तात्या' ने सम्भाला काम; तैयार करेंगे टनल
कानपुर मेट्रो के लिए जमीन के अंदर खुदाई शुरू हो चुकी है। टनल बोरिंग मशीनों को खास तौर पर 'नाना' और 'तात्या' का नाम दिया गया है। सुरंग बनाने की शुरुआत सबसे पहले 450 टन के ‘नाना’ ने की।
कानपुर मेट्रो के अंडरग्राउंड सेक्शन के लिए सोमवार से टनल की खुदाई शुरू हो गई। बड़ा चौराहा पर सोमवार को कौतूहल भरा नजारा दिखा। यहां एक साथ दो मेट्रो टनल मशीनें नजर आईं। कानपुर मेट्रो के लिए खास तौर पर इन टनल बोरिंग मशीनों को 'नाना' और 'तात्या' का नाम दिया गया है।
सबसे पहले मेट्रो की सुरंग बनाने की शुरुआत 450 टन के ‘नाना’ ने की जो डाउन लाइन में नयागंज की तरफ खुदाई के साथ ही ढांचा भी तैयार करती निकलेगी। पंद्रह दिन बाद यहीं से ‘तात्या’ अप लाइन पर आगे बढ़ेगी।
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यूपी मेट्रो के कार्यवाहक प्रबंध निदेशक सुशील कुमार की मौजूदगी में सुरंग बनाने का शुभारंभ किया गया। तीनों और डायरेक्टर भी इस दौरान मौजूद रहे। कानपुर मेट्रो रेल परियोजना के लगभग 23 किमी लंबे पहले कॉरिडोर (आईआईटी से नौबस्ता) के अंतर्गत भूमिगत सेक्शन के टनल का निर्माण सुबह 11 बजे शुरू हुआ। दोनों टीबीएम मशीनों को 21 मीटर लंबे, 24 मीटर चौड़े और 17.5 मीटर गहरे आयताकार लांचिंग शॉफ्ट के भीतर पहुंचा दिया गया था। टनल बोरिंग मशीनों की कुल लंबाई लगभग 80 मीटर है। इन मशीनों की सहायता से 5.8 मीटर व्यास की सुरंग बनाई जाएगी।
मशीन के प्रमुख कल-पुर्जे और उनके काम
कटरहेड
टनल के निर्माण में 'कटरहेड' की अहम भूमिका होती है। ज़मीन के अंदर इसके रोटेशन से ही खुदाई होती है और टीबीएम आगे बढ़ती है। कानपुर में इस्तेमाल हो रही टीबीएम के कटरहेड का वज़न लगभग 48 टन है।
थ्रस्ट जैक सिलेंडर्स
ये सिलेंडर्स मशीन को आगे की तरफ धकेलते हैं और टीबीएम खुदाई करते हुए आगे बढ़ती है।
स्क्रू कन्वेयर
इसका इस्तेमाल खुदाई के दौरान टनल से मिट्टी को बाहर निकालने के लिए होता है। कानपुर मेट्रो के भूमिगत सेक्शन में रोजाना टनल की खुदाई से लगभग 400 क्यूबिक मीटर मिट्टी निकलने की संभावना है।
रिंग इरेक्टर
इसकी मदद से रिंग सेग्मेंट्स को टनल के अंदर पोजीशन दी जाती है। ये रिंग सेग्मेंट्स कंक्रीट के बने होते हैं और इन्हें कास्टिंग यार्ड में तैयार किया जाता है। भूमिगत सेक्शन में 6 सेग्मेंट्स से एक टनल रिंग बनेगी। लगभग 4 किमी लंबे इस सेक्शन में अप-लाइन और डाउन लाइन को मिलाकर कुल 5.4 किमी. की टनल का निर्माण होना है, जिसमें कुल 3886 रिंग्स इस्तेमाल होंगी।
मशीनें ऐसे काम करते हुए बढ़ती हैं आगे
प्रक्रिया एक
टीबीएम का सबसे अगला हिस्सा कटरहेड होता है, जिसकी सहायता से ज़मीन में खुदाई की जाती है। टीबीएम में लगे थ्रस्ट जैक सिलेंडर्स मशीन की फ्रंट शील्ड या अगले हिस्से को लगातार आगे की तरफ़ धकेलने का काम करते हैं। कटर हेड द्वारा ख़ुदाई के साथ-साथ, मशीन द्वारा लगातार पॉलिमर और फोम का मिक्सचर भी रिलीज़ किया जाता है, जिससे बोरिंग या खुदाई की प्रक्रिया और सहज हो सके।
प्रक्रिया दो
खुदाई के बाद निकलने वाली मिट्टी को टीबीएम स्क्रू कन्वेयर के जरिए मशीन के पिछले हिस्से में लगी कन्वेयर बेल्ट तक पहुंचाती है और इस बेल्ट की सहायता से मिट्टी को टनल के बाहर निकाला जाता है।
प्रक्रिया तीन
टीबीएम खुदाई के साथ-साथ टनल रिंग सेग्मेंट्स को भी लगाती चलती है। रिंग इरेक्टर, मशीन में लोडेड रिंग सेग्मेंट्स को लगाते हुए गोलाकार रिंग तैयार करता चलता है। साथ ही में, पानी के रिसाव से बचने के लिए खाली जगह में पानी, सीमेंट और खास तरह के केमिकल का मिक्सचर भी भरती है चलती है। इस प्रक्रिया को ग्राउटिंग कहते हैं।
प्रक्रिया चार
टीबीएम मशीन में ही बैकअप सिस्टम यूनिट होती है। इसे टीबीएम का कंट्रोल रूम भी कहा जा सकता है और यहीं से टीबीएम की सभी प्रक्रियाओं को नियंत्रित किया जाता है। मशीन 24 घंटे काम करती है और इंजीनियर्स अलग-अलग शिफ्टों में इस सिस्टम को संभालते हैं। इस कंट्रोल रूम में रेस्ट रूम और टॉयलेट की भी सुविधा होती है।
कंप्यूटराइज्ड गाइडेंस सिस्टम से होगा नियंत्रण
अत्याधुनिक कंप्यूटराइज़्ड टनल गाइडेंस सिस्टम के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि टनलिंग निर्धारित अलाइनमेंट के अनुरूप ही हो। सुरक्षा के पहलू को ध्यान में रखते हुए, टीबीएम ऑपरेशन के दौरान रियल टाइम मॉनिटरिंग के लिए विशेषज्ञों की एक टीम भी तैनात रहेगी। बड़ा चौराहा से नयागंज की ओर लगभग 940 मीटर लंबी टनल का निर्माण करती हुई टीबीएम, नयागंज मेट्रो स्टेशन के शुरुआती छोर तक पहुंचेगी, जहां पर बने रिट्रीवल शॉफ्ट से मशीन को बाहर निकाल लिया जाएगा। इसके बाद, दोनों मशीनों को चुन्नीगंज में बनने वाले लांचिंग शॉफ्ट में फिर से उतारा जाएगा जो नवीन मार्केट से होते हुए, बड़ा चौराहा मेट्रो स्टेशन के शुरुआती सिरे तक जाएंगी।