Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Braj immersed in the devotion of lord Kanha CM Yogi Adityanath reached Mathura to worshiped Lord Krishna

कान्हा की भक्ति में डूबा ब्रज, सीएम योगी आदित्यनाथ ने मथुरा पहुंचकर की भगवान कृष्ण की पूजा

krishna janmashtami 2022: मथुरा-वृंदावन जन्माष्मी के मौके पर भगवान कृष्ण की भक्ति के रंग में सराबोर है। मथुरा-वृंदावन में हर तरफ जय श्री कृष्ण और राधे-राधे की जयजयकार हो रही है।

Atul Gupta लाइव हिंदुस्तान, मथुराFri, 19 Aug 2022 06:25 PM
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ब्रज में आनंद भयो..जय कन्हैया लाल की.. जी हां, ब्रज में आनंद है आनंद का माहौल है क्योंकि नंदलाल आने वाले हैं। मथुरा-वृंदावन में गोकुलाष्टमी का उत्सव 18 अगस्त से ही शुरू हो चुका है। आज ब्रज में जगह-जगह पर नंदोत्सव या दही हांडी मनाया जा रहा है। कृष्ण जन्माष्मी की जहां एक तरफ पूरे देश में धूम मची है वहीं मथुरा-वृंदावन कान्हा की भक्ति में सराबोर है। इस मौके पर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मथुरा और वृंदावन पहुंचे हैं। शुक्रवार को सीएम योगी भगवान कृष्ण की जन्मभूमि पहुंचे और उन्होंने गर्भगृह जाकर भगवान कृष्ण के दर्शन किए और उनकी पूजा अर्चना की। इस दौरान सीएम योगी ने भगवान कृष्ण और राधा की विशेष आरती भी की। इससे पहले उन्होंने वृंदावन के अन्नपूर्णां भोजनालय का उद्घाटन किया जहां कृष्ण भक्तों को मुफ्त भोजन दिया जाएगा।

गौरतलब है कि कृष्ण जन्माष्मी की जहां एक तरफ पूरे देश में धूम रहती है वहीं दूसरी तरफ मथुरा और वृंदावन में कृष्ण जयंती पूरी धूमधाम और भव्यता के साथ मनाई जाती है। मथुरा में भक्त भगवान कृष्ण की जयंती के मौके पर जुलूस निकालते हैं। हिंदू कैलेंडर के अनुसार भगवान विष्णु के अवतार भगवान कृष्ण का जन्म भाद्र महीने के आठवें दिन हुआ था। जन्माष्मी के मौके पर श्री द्वारकाधीश मंदिर में विशेष उत्सव होता है। मथुरा के सबसे पुराने और सबसे बड़े मंदिरों में से एक द्वारकाधीश मंदिर में कृष्ण जन्मोत्सव के दिन भगवान द्वारकानाथ (कृष्ण का एक रूप) को दूध, फूल और तुलसी के पत्ते चढ़ाए जाते हैं। इस दिन कान्हा को रंगीन कपड़ों और पारंपरिक आभूषणों से सजाया जाता है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान कृष्ण का जन्म भाद्र महीने के आठवें दिन रात बारह बजे हुआ था। यही वजह है कि कृष्ण भक्त रात बारह बजे तक कान्हा के जन्म का इंतजार करते हैं और रात बारह बजते ही भगवान कृष्ण की विशेष आरती होती है और उन्हें दही, मक्खन-मिश्री और धनिये के चूरमे का भोग लगाया जाता है।

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