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...भाजपाइयों ने चुन लिया नया प्रदेश अध्यक्ष, यूपी भवन के बंद कमरे में लिखी नई स्क्रिप्ट

UP Politics: भाजपा का प्रदर्शन अपेक्षा के विपरीत रहा। पार्टी 62 से 33 पर आ गई। समीक्षा चल रही है। ठीकरा किसके सिर फूटेगा, यह वक्त बताएगा। मगर भाजपा के कुछ प्रदेश पदाधिकारी बेहद जल्दी में हैं।

Ajay Singh विशेष संवाददाता, लखनऊSat, 22 June 2024 06:38 AM
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UP Politics: यूपी में भाजपा का प्रदर्शन अपेक्षा के विपरीत रहा। पार्टी 62 से 33 पर आ गई। समीक्षा चल रही है। ठीकरा किसके सिर फूटेगा, यह वक्त बताएगा। मगर भाजपा के कुछ प्रदेश पदाधिकारी बेहद जल्दी में हैं। उन्होंने नया प्रदेश अध्यक्ष भी तय कर डाला। यह सबकुछ दिल्ली में यूपी भवन के एक बंद कमरे में हुआ। एक प्रदेश पदाधिकारी ने प्रस्ताव रखा। बाकियों ने उसका अनुमोदन कर दिया। इस बैठक में कई प्रदेश पदाधिकारियों के साथ कुछ विधायक भी मौजूद थे। जिन सज्जन की ताजपोशी तय की गई, वो कुछ समय पहले तक प्रदेश के बड़े नेता के करीबी समझे जाते थे। मगर इनकी अत्यधिक महत्वाकाक्षांओं से इन दिनों वो भी चौकन्ने हो गए हैं।

वाकया बीते दिनों उस समय का है, जब प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी तीसरी बार शपथ लेने वाले थे। शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए यूपी से भी भाजपाइयों की लंबी-चौड़ी फौज पहुंची थी। इनमें कुछ पदाधिकारी होने के साथ ही माननीय भी थे। कई लोग यूपी भवन में ठहरे थे। वहां यूपी की हार पर चर्चा होने के साथ ही प्रदेश की आगामी सियासत को लेकर नई स्क्रिप्ट भी लिखी गई। करीब आधा दर्जन से अधिक लोग इस बैठक का हिस्सा बने।

फिर खराब प्रदर्शन के चलते यूपी में बदलावों को लेकर चर्चा शुरू हुई। मौजूदा अध्यक्ष के कार्यकाल में ही प्रदेश संगठन में प्रमोशन पाने वाले एक नेताजी ने एक प्रमुख प्रदेश पदाधिकारी के नाम का प्रस्ताव रखा। कहा कि जब नया अध्यक्ष बनना ही है तो इनसे बेहतर और कौन होगा। पार्टी के सामाजिक समीकरण में भी फिट बैठते हैं। नेताजी यहीं नहीं रुके। कहा गया कि इसी जाति के सटने के चलते यूपी में भाजपा की वापसी भी हुई थी। बुंदेलखंड के एक चर्चित विधायक ने भी प्रदेश पदाधिकारी द्वारा रखे गए इस प्रस्ताव का समर्थन कर दिया।

प्रत्यक्षदर्शियों का तो यहां तक कहना है कि अपने वफादार के इस प्रस्ताव पर मौजूद लोगों का समर्थन मिलने पर भावी अध्यक्ष घोषित किए गए पदाधिकारी मन ही मन मुस्करा रहे थे। यह अलग बात है कि इस बार पार्टी की नैया सर्वाधिक उनके क्षेत्र में ही डूबी। उनकी तेज चाल के चलते ही प्रदेश में उनके गॉड फादर माने जाने वाले नेता ने भी हाथ खींचना शुरू कर दिया है।

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