Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़BJP played this bet to help the Brahmins backward and Dalits of Purvanchal

मिशन 2024 के लिए यूपी में BJP के पूर्वांचल दांव के क्या हैं सियासी मायने?समझें संकेतों की सियासत

भाजपा की मिशन-2024 की तैयारियों के केंद्र में यूपी है। सबसे बड़े सूबे में पार्टी पुराना प्रदर्शन दोहराने के साथ ही वोट शेयर बढ़ाना चाहती है।रविवार को घोषित 13 राज्यपालों की सूची भी यही इशारा करती है।

Deep Pandey राजकुमार शर्मा, लखनऊMon, 13 Feb 2023 06:41 AM
share Share

भाजपा की मिशन-2024 की तैयारियों के केंद्र में यूपी है। सबसे बड़े सूबे में पार्टी पुराना प्रदर्शन दोहराने के साथ ही वोट शेयर बढ़ाना चाहती है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा रविवार को घोषित 13 राज्यपालों की सूची भी इसी ओर इशारा करती है। इस सूची में यूपी से पूर्व केंद्रीय मंत्री शिवप्रताप शुक्ल, भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष और विधान परिषद सदस्य लक्ष्मण आचार्य के अलावा फागू चौहान का नाम शामिल है। तीनों ही चेहरे पूर्वांचल से आते हैं। इसे पूर्वांचल के ब्राह्मण, पिछड़ों और दलितों को साधने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।

यूपी के सियासी रसूख का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भाजपा ने लोकसभा चुनाव से करीब सवा साल पहले ही गोटियां सेट करनी शुरू कर दी हैं। सरकार और संगठन दोनों स्तर पर यह कवायद हो रही है। जेपी नड्डा ने डेढ़ साल का कार्यकाल बढ़ते ही चुनावी अभियान का श्रीगणेश पूर्वांचल के गाजीपुर से किया। वहीं गृहमंत्री अमित शाह भी यूपी को मथने में जुटे हैं। अब जिन राज्यों में राज्यपाल या एलजी बदले अथवा नये बनाए गए हैं, उनमें से कई चुनावी राज्य हैं।

संकेतों की सियासत
यूं तो राज्यपाल गैर राजनैतिक पद है लेकिन पार्टियां चेहरों के जरिए राजनैतिक संदेश देती रही हैं। कुछ ऐसा ही भाजपा ने भी किया है। गोरखपुर निवासी शिवप्रताप शुक्ल का राज्यसभा का कार्यकाल खत्म हुआ तो माना जा रहा था कि पार्टी उन्हें रिपीट करेगी। मगर ऐसा नहीं हुआ। अब उन्हें हिमाचल प्रदेश का राज्यपाल बनाकर पार्टी ने एक तीर से दो निशाने साधने का प्रयास किया है। दरअसल, हिमाचल में हालिया चुनावों में भाजपा इस सूबे को बचाने में सफल नहीं हो सकी। ऐसे में वहां शिवप्रताप के रूप में एक अनुभवी, भरोसेमंद और तेजतर्रार नेता को भेजा गया है। दूसरी ओर पूर्वांचल के ब्राह्मणों को भी उनके जरिए संदेश देने का प्रयास किया गया है।

संघ की पृष्ठभूमि से आने वाले लक्ष्मण आचार्य मीरजापुर से आते हैं। वे काशी क्षेत्र के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। दलित जाति से आने वाले सौम्य स्वभाव के लक्ष्मण आचार्य को सिक्किम का राज्यपाल बनाया गया है। वहीं बिहार के राज्यपाल फागू चौहान को पार्टी ने बरकरार रखा है। पिछड़ी जाति से आने वाले फागू चौहान को अब मेघालय का जिम्मा सौंपा है। इन दोनों ही नेताओं के जरिए पूर्वांचल के दलित-पिछड़े वोटरों को साधने का प्रयास किया गया है।

पूर्वांचल से पांच राज्यपाल
शिव प्रताप शुक्ल, लक्ष्मण आचार्य और फागू चौहान के अलावा भी दो राज्यों में पूर्वांचल का दबदबा है। देश के दो राज्यों के राजभवन में पहले से पूर्वांचल से आने वाले दो चेहरे विराजमान हैं। इनमें राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र और जम्मू-कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा शामिल हैं। यह दोनों ही गाजीपुर से आते हैं।

अगला लेखऐप पर पढ़ें