मोबाइल एप पर तैयार हो गया बड़ा 'गे-नेटवर्क', कोड-वर्ड में होती है बात
मोबाइल-एप की मदद से बड़ा 'गे-नेटवर्क' तैयार हो गया है। गूगल प्ले-स्टोर पर मौजूद 10 से ज्यादा मोबाइल एप्लीकेशन पर इस तरह के युवा और अधेड़ सक्रिय हैं। इनमें से कुछ तो संगीन वारदातों को अंजाम दे...
मोबाइल-एप की मदद से बड़ा 'गे-नेटवर्क' तैयार हो गया है। गूगल प्ले-स्टोर पर मौजूद 10 से ज्यादा मोबाइल एप्लीकेशन पर इस तरह के युवा और अधेड़ सक्रिय हैं। इनमें से कुछ तो संगीन वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। कोड वर्ड में बातचीत होती है और मुलाकात के लिए समय तय कर लिया जाता है। वेस्ट यूपी के मेरठ, गाजियाबाद और सहारनपुर समेत कई जिलों के युवक इसका हिस्सा हैं।
मेरठ पुलिस को 'गे-नेटवर्क' के मोबाइल-एप्लीकेशन और फेसबुक पेज को लेकर शिकायत मिली। बताया गया कि इस तरह की मोबाइल-एप पर वेस्ट यूपी के सैकड़ों समलैंगिक युवक जुड़े हुए हैं। जो लगातार अपना दायरा बढ़ा रहे हैं। ये भी आरोप लगाया गया कि इस तरह की एप पर लोगों को जोड़ने के बाद कुछ लोग न सिर्फ कई तरह से ब्लैकमेलिंग कर रहे हैं, बल्कि आपराधिक वारदात भी अंजाम दे रहे हैं।
पुलिस छानबीन में शिकायत सही मिली
मोबाइल एप और फेसबुक पर सक्रिय इस तरह की एप्लीकेशन को समलैंगिक सामाजिक मंच का नाम दिया गया है। इस तरह की मोबाइल एप की संख्या 10 से ज्यादा है। पुलिस ने छानबीन की तो खुलासा हुआ कि शिकायत सही है। जांच में कई सक्रिय एप्लीकेशन मिली हैं। इनमें एंट्री करना आसान है और यहां युवक आसपास के इलाके के लोगों से बातचीत कर सकते हैं। इन एप्लीकेशन पर मेरठ, सहारनपुर, गाजियाबाद और नोएडा समेत दिल्ली, हरियाणा के भी युवक हैं। आसपास के राज्यों से भी सैकड़ों की संख्या में युवक जुड़े हुए हैं।
कोड वर्ड में होती है बात
इस एप्लीकेशन पर जुड़े लोग आपस में कोड वर्ड में बात करते हैं। टॉप-बॉटम जैसे कोड का इस्तेमाल किया जाता है। इनमें ज्यादातर कम उम्र के हैं। कुछ लोगों ने तो अपनी फोटो भी इस एप्लीकेशन पर अपलोड किया है।
हमेशा साथ रहने का प्रस्ताव
कुछ युवक तो यहां शादी तक का प्रस्ताव देते हैं। ये भी बात रखी जाती है कि समलैंगिक संबंधों को कानून की मान्यता है और कोई समस्या नहीं होगी। इस तरह की एप्लीकेशन पर कोई प्रतिबंध भी नहीं है।
ऐसी एप से जुड़ना है आसान
इस तरह के मोबाइल एप पर पहचान गोपनीय रहती है। एप्लीकेशन पर एकाउंट बनाने के लिए एक नाम और पासवर्ड की जरूरत होती है। मोबाइल नंबर या फिर ई-मेल जैसी जानकारी नहीं मांगी जाती। इस पर फोटो अपलोड करने की बाध्यता भी नहीं है। इसी कारण से ये मोबाइल एप्लीकेशन चलन में है।
मेरठ में पहले भी पकड़ा गया था गे-गैंग
मेरठ में गे-गैंग पहले भी पकड़ा जा चुका है। इस तरह के युवकों ने फेसबुक पर एक पेज बनाया हुआ था और इससे जुड़े हुए थे। इसका खुलासा करीब दो साल पहले हुआ, जब क्राइम ब्रांच ने इस गैंग की धरपकड़ की थी। ये लोग फेसबुक पर बातचीत के जरिये लोगों से परिचय बढ़ाते थे और बाद में मिलने बुलाते थे। अश्लील वीडियो बना लेते थे और इसी के जरिये ब्लैकमेल करते थे। लूटपाट भी की जाती थी। इस मामले में चार युवकों की गिरफ्तारी की गई थी।