BHU IIT Girl Case: बीएचयू और IIT ने माना-दीवार नहीं है समाधान, मिलकर करेंगे कैंपस की सुरक्षा
छात्रा के साथ छेड़खानी की घटना के बाद माहौल लगातार गर्म है। इस बीच आईआईटी बीएचयू के उच्चाधिकारियों ने एक मत से स्वीकार किया है कि चहारदीवारी सुरक्षा संबंधी समस्याओं का समाधान नहीं है।
BHU IIT Girl Case: बीएचयू आईआईटी में छात्रा के साथ छेड़खानी की घटना के बाद माहौल लगातार गर्म है। इस बीच आईआईटी बीएचयू के उच्चाधिकारियों ने एक मत से स्वीकार किया है कि बाउंड्री वॉल सुरक्षा संबंधी समस्याओं का समाधान नहीं है। रविवार को हुई बैठक में दोनों संस्थानों ने पूरे परिसर में विद्यार्थियों की सुरक्षा के लिए आवश्यकतानुसार कदम उठाने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराई। बीएचयू में दीवार के खिलाफ छात्र आंदोलित हो गए हैं। सोमवार को भी उन्होंने जुलूस निकाला है। सोशल मीडिया पर भी इस पर काफी बहसबाजी हो रही है, बीएचयू के पुराने लोग दीवार का विरोध कर रहे हैं।
बैठक में आईआईटी परिसर की बाउंडरी वॉल के निर्माण की चुनौतियों पर भी चर्चा की गई। इस संबंध में वर्तमान एवं पुराछात्रों की प्रतिक्रियाएं भी विचार विमर्श के केंद्र में रहीं। परिसर में विद्यार्थियों की सुरक्षा सुनिश्चित के प्रति प्रतिबद्धता जताते हुए अधिकारियों ने माना कि व्यापक निगरानी, सीसीटीवी, मार्गों पर प्रकाश व्यवस्था समेत त्वरित और प्रभावी कदम उठाना बहुत आवश्यक है।
सदस्यों ने एकमत दिखे कि वर्तमान में अनेक संकाय, इकाइयां ही नहीं कई आवश्यक सेवाएं भी साझा रूप से प्रयोग में लाई जाती हैं। इनमें चिकित्सालय, सीवेज व्यवस्था, बिजली और जल आपूर्ति, पोस्ट ऑफिस, परिसर की सड़कें जैसी सेवाएं शामिल हैं। इस स्थिति में परिसर का विभाजन या दीवार से किसी एक भाग को अलग करना तर्कसंगत नहीं है।
अधिकारियों ने यह भी माना कि परिसर के सभी सातों द्वारों पर रात 10 से सुबह पांच बजे तक कड़ी निगरानी सुरक्षा की दृष्टि से बहुत ही अनिवार्य है। इससे रात के समय परिसर में असामाजिक तत्वों का प्रवेश रोका जा सकेगा।
सुनिश्चित करेंगे कैंपस की सुरक्षा
बीएचयू तथा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (बीएचयू) प्रशासन ने रविवार को संयुक्त बैठक में विद्यार्थियों की सुरक्षा पर विस्तृत चर्चा की। तीन घंटे से अधिक चली इस बैठक में दोनों संस्थानों ने विश्वविद्यालय परिसर में समन्वित ढंग से सुरक्षा बढ़ाने, शांतिपूर्ण और सुरक्षित परिसर के लिए सभी प्रयास करने एवं संसाधन लगाने की प्रतिबद्धता जताई।
बीएचयू के कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन तथा आईआईटी बीएचयू के निदेशक प्रो. प्रमोद कुमार जैन की उपस्थिति में हुई उच्च स्तरीय बैठक में दोनों संस्थानों के वरिष्ठ पदाधिकारी भी शामिल थे। बैठक में सहमति बनी कि दोनों संस्थान परिसर में सीसीटीवी निगरानी में तेजी लाएंगे। इसके लिए वाराणसी स्मार्ट सिटी लिमिटेड से समुचित सहयोग लिया जा रहा है। स्मार्ट सिटी इस संबंध में परिसर का सर्वे भी कर चुका है।
परिसर के मार्गों पर प्रकाश की बेहतर व्यवस्था की जा रही है। यह कार्य प्रगति पर है। अगले दो दिन में सभी मार्ग पर लाइटिंग हो जाएगी। परिसर स्थित सुरक्षा अवरोधकों, चेक पोस्ट को और मज़बूत किया जा रहा है। यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि सुरक्षा प्रोटोकॉल का 24 घंटे सख्ती से अनुपालन हो।
आईआईटी (बीएचयू) तथा बीएचयू में महिला शिकायत निवारण प्रकोष्ठ को अधिक सशक्त बनाने एवं उसमें विद्यार्थियों की अधिक सहभागिता को प्रोत्साहित किया जाएगा। दोनों संस्थान सात दिन के भीतर अपने यहां जीएसकैश प्रावधानों की समीक्षा करके प्रकोष्ठ में आवश्यकतानुसार सुधार के कदम उठाएंगे।
प्रो. रोयाना सिंह बनीं समिति की अध्यक्ष
दोनों संस्थानों के संकाय सदस्यों की एक संयुक्त समिति गठित की गई है। यह समिति बीएचयू परिसर में सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करने के लिए कदम सुझाएगी। समिति दोनों संस्थानों के प्रमुखों को सीधे रिपोर्ट करेगी। चिकित्सा विज्ञान संस्थान में ऐनाटॉमी विभाग की प्रो. रोयाना सिंह समिति की अध्यक्ष होंगी। आईआईटी-बीएचयू में केमिकल इंजीनियरिंग के प्रो. राजेश कुमार उपाध्याय इस समिति के सह अध्यक्ष होंगे। आईएमएस-बीएचयू से प्रो. ललित मोहन अग्रवाल एवं आईआईटी-बीएचयू के प्रो. आरके सिंह (इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग) समिति के सदस्य बनाए गए हैं।
पूर्व कुलपति बोले-सोचनी भी नहीं चाहिए दीवार की बात
बीएचयू और आईआईटी बीएचयू के बीच बाउंड्री वाल बनाने के प्रकरण पर पूर्व कुलपति पंजाब सिंह ने भी अपना पक्ष रखा है। उन्होंने कहा कि परिसर में इन दोनों कैंपस की सुरक्षा को ठीक करने के बहुत तरीके हैं। दीवार बनाकर कैंपस को बांटने की बात तो सोचनी भी नहीं चाहिए।
रविवार को एक बयान में पूर्व कुलपति ने कहा, क्या कोई इस बात की गारंटी दे सकता है कि दीवाल बनाकर ऐसे घटनाक्रम को रोका जा सकता है। कोशिश यह की जानी चाहिए कि आईआईटी को कैसे बीएचयू के प्रशासकीय अधिकार में फिर वापस लाया जाए। कभी कभी मैं सोचता हूं कि क्या मैंने 2007-8 में आईटी और आईएमएस बीएचयू को आईआईटी और एम्स का स्टेटस दिलाने का प्रपोजल देकर गलती तो नहीं की।
इसके पीछे मंशा यही थी कि ये दोनों इंस्टीट्यूशन उपलब्धियों में किसी से कम नहीं हैं तो क्यों न उनके लिए वही बजट मांगा जाए जो उन्हें मिलता है। बावजूद इसके मैं इस बात का पक्षधर रहा हूं कि आईआईटी और एम्स दोनों ही बीएचयू का हिस्सा बने रहें। मैंने इससे कोई समझौता नहीं किया। इसीलिए आईआईटी का प्रपोजल मेरे समय तक पास नहीं हो सका। पूर्व कुलपति ने कहा, जब आईआईटी का बिल पार्लियामेंट में जा रहा था तब मैंने डॉ. कर्ण सिंह से निवेदन किया था कि बिल में एक लाइन डाल दें कि आईआईटी का प्रशासन बीएचयू के पास रहेगा।
बीएचयू की गरिमा वृहद कैंपस के भी कारण
आईआईटी बीएचयू के पूर्व छात्र और काशी अविमुक्तेश्वर न्यास-महामना मंच के अध्यक्ष इंजीनियर रमेश चन्द्र श्रीवास्तव ने कहा कि पूरे विश्व में बीएचयू की गरिमा उसके वृहद कैंपस के कारण भी है। इसके विघटन या बाउंड्री बनाने की मांग सर्वथा अनुचित है।