बीएचयू में डॉक्टरों की सभी मांगें मानी गई, पांच दिन पुरानी हड़ताल खत्म, टालने पड़े सैकड़ों आपरेशन
बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में डॉक्टरों की पांच दिन पुरानी हड़ताल खत्म हो गई है। जूनियर और सीनियर रेजीडेंट काम पर लौट आए हैं। इससे मरीजों को बड़ी राहत मिली है। पांच दिन में सैकड़ों आपरेशन टले हैं।
बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल में डॉक्टरों की पांच दिन पुरानी हड़ताल खत्म हो गई है। जूनियर और सीनियर रेजीडेंट काम पर लौट आए हैं। इससे मरीजों को बड़ी राहत मिली है। पिछले पांच दिनों में बीएचयू में सैकड़ों आपरेशन टालने पड़े हैं। 20 सितंबर को तिमारदारों से मारपीट के बाद आरोपियों की गिरफ्तारी समेत कई मांगों को लेकर डॉक्टर हड़ताल पर चले गए थे।
मंगलवार सुबह 9 बजे प्रभारी एमएस प्रो. अंकुर सिंह रेजीडेंट से मिलने आईएमएस पहुंचे। रेजीडेंट से उन्होंने कहा कि आपकी सभी मांगें मान ली गई हैं। आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस लगी है। हड़ताल के कारण मरीज परेशान हो रहे हैं। आप लोग अब काम पर लौट आइए। इसके बाद रेजीडेंट ने आपस में बैठक की और हड़ताल खत्म करने की घोषणा कर दी।
सर सुंदरलाल अस्पताल के इमरजेंसी में 20 सितंबर की रात बीएचयू के छात्र मरीज को दिखाने गए थे। मरीज को जल्दी दिखाने के लिए डॉक्टर से कहासुनी हो गई। इसके बाद छात्रों ने डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ के साथ मारपीट हुई। इसमें महिला डॉक्टर, मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो. धीरज किशोर सहित सात लोग घायल हो गए।
इससे आहत जूनियर रेजीडेंट 21 सितंबर से हड़ताल कर रहे थे। 22 सितंबर को सीनियर रेजीडेंट भी इनके समर्थन में आ गए। इससे अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाएं चरमरा गई। छह दिन में दस हजार से अधिक मरीज बिना परामर्श के लौट गए। 250 से अधिक सर्जरी टल गई। प्रभारी एमएस प्रो. अंकुर सिंह ने कहा कि रेजीडेंट काम पर लौट आए हैं। ओपीडी और इमरजेंसी सुचारू रूप से चल रही है।
हालांकि डॉक्टरों ने चेतावनी दी कि जितनी भी मांगे है अगर उसे एक महीने में पूरा नहीं किया गया तो फिर हड़ताल करेंगे। इसके बाद वापस सभी रेजीडेंट्स काम पर लौट आए। इससे मरीजों को बड़ी राहत मिली। अस्पताल के एमएस प्रो. केके गुप्ता ने कहा कि ओपीडी, इमरजेंसी, आईसीयू, रेडियोलॉजी सहित अन्य विभाग सुचारू रूप से चल रहे हैं।
यह मांगें मानी गईं
इमरजेंसी में पुलिस हेल्प डेस्क बना दिया गया है।
हड़ताली की अवधि की उपस्थिति रेजिडेंट का अटेडेंस और मानदेय नहीं काटा जाएगा।
सुरक्षा गार्ड्स हर 4 घंटे में अस्पताल परिसर में पेट्रोलिंग करेंगे।
अस्पताल की ओपीडी और वार्ड में प्रवेश के लिए बायोमीट्रिक लॉक गेट लगेगा।
20 सीनियर रेजीडेंट और 10 नॉन एकेडमिक जूनियर रेजीडेंट की मेडिकल सुप्रीटेंडेंट के अंडर में भर्ती की जाएगी।
इमरजेंसी में डेडिकेटेड ट्राएज एरिया बनाया जाएगा।
सभी ओपीडी में जांच करने वाले दो स्टाफ रहेंगे, जिनकी शिफ्टवाइज ड्यूटी होगी।
अस्पताल में भीड़ मैनेज करने के लिए बैरियर्स लगाए जाएंगे।
-बीएचयू के छात्र यदि अपने हेल्थ कार्ड पर अपने रिश्तेदारों और दोस्तों का इलाज कराएंगे तो फ्री ऑफ कॉस्ट की सुविधा नहीं मिल पाएगी। उनके नोड्यूज के दौरान पैसा काटा जाएगा।
-बीएचयू के स्टाफ और छात्र अब तभी अस्पताल में मरीज दिखा सकेंगे, जब उनके पास विश्वविद्यालय के हेल्थ सेंटर का रेफर पर्चा हो।
-इमरजेंसी और वार्ड में हर एक मरीज के साथ अधिकतम दो अटेंडेंट हो सकते हैं।
-इमरजेंसी वार्ड में हेल्थ कार्ड वालों जीरो बैलेंस रिसीप्ट होनी चाहिए। इस व्यवस्था का पास सिस्टम से कड़ाई से पालन किया जाएगा।
-अस्पताल के ट्राएज एरिया में मरीजों के भार को संभालने के लिए 15 मेडिकल ऑफिसर लगाए जाएंगे।
छह दिन में दस हजार मरीज लौटे, 250 सर्जरी टली
सर सुंदरलाल अस्पताल की इमरजेंसी में 20 सितंबर की रात बीएचयू के छात्र मरीज को दिखाने गए थे। मरीज को जल्दी दिखाने के लिए डॉक्टर से कहासुनी हो गई। इसके बाद छात्रों ने डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टाफ के साथ मारपीट की। इसमें महिला डॉक्टर, मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो. धीरज किशोर सहित सात लोग घायल हो गए। इससे आहत जूनियर रेजीडेंट 21 सितंबर से हड़ताल कर रहे हैं। 22 सितंबर को सीनियर रेजीडेंट भी इनके समर्थन में आ गए। इससे अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाएं चरमरा गई। छह दिन में दस हजार से अधिक मरीज बिना परामर्श के लौट गए। 250 से अधिक सर्जरी टल गई। सूत्रों के अनुसार अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाएं पटरी पर लौटने में कम से कम दस दिन का समय लगेगा।
हड़ताल से एक दिन पहले जनरल सर्जरी, यूरोलॉजी, ऑन्को सर्जरी, पीडियाट्रिक सर्जरी, न्यूरो सर्जरी विभाग में करीब 50 से अधिक मरीजों को भर्ती किया गया था। दूसरे दिन उनकी सर्जरी होनी थी लेकिन हड़ताल के कारण नहीं हो पाई। हर रोज सुबह पता चलता है कि एनेस्थिसिया के रेजीडेंट नहीं होने से सर्जरी टल गई है।
इससे पहले सोमवार को अस्पताल में छह बजे से कमरा नंबर 101 में ओपीडी की पर्ची के लिए लंबी लाइन लगी देखी गई। सुबह नौ बजे तक ओपीडी में मरीज इकट्ठा हो गए थे। कुछ सीनियर डॉक्टर अपने-अपने चैंबर में मरीजों को देख रहे थे लेकिन भीड़ इतनी ज्यादा थी कि मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ा। दोपहर दो बजे तक करीब एक हजार से अधिक मरीज बिना परामर्श के ही लौट गए।
ऑक्सीजन सपोर्ट पर मरीज को लेकर परेशान
ओपीडी में सोमवार को पहुंचे कई मरीज ऑक्सीजन सपोर्ट पर थे। परिजन ट्रॉली से ऑक्सीजन सिलेंडर खींचते हुए ओपीडी लेकर गए थे लेकिन वहां पर भीड़ इतनी ज्यादा थी कि उन्हे परेशान होना पड़ा। कोई व्हील चेयर तो कोई स्ट्रेचर अपने मरीज को लेकर भटक रहा था। वहीं गर्भवती महिलाएं सोनोग्राफी के लिए परेशान होते दिखीं।
इमरजेंसी में पुलिस हेल्प डेस्क शुरू
रेजीडेंट्स की मांग पर इमरजेंसी गेट के पास पुलिस हेल्प डेस्क बनाई गई। यहां पर एक सब इंस्पेक्टर और तीन पुलिस के जवान तैनात किए गए हैं। इमरजेंसी में आने वाले छात्रों की डिटेल चेक की जा रही है। इसके साथ ही दो जवान इमरजेंसी वार्ड में भी राउंड कर रहे हैं। इमरजेंसी में स्टाफ भी बढ़ा दिए गए हैं।