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पीजीआई-केजीएमयू में नहीं मिला बेड, इलाज के लिए तड़पता रहा बेटा, पिता की गोद में मौत

राजधानी लखनऊ में पीजीआई-केजीएमयू में एक मरीज को बेड नहीं मिला। ऐसे में इलाज नहीं पाने की वजह से युवक की जान चली गई। पिता की गोद में युवक की तड़प कर मौत के बाद हडकंप मच गया।

Deep Pandey हिन्दुस्तान, लखनऊWed, 20 Dec 2023 10:54 AM
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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अस्पतालों की संवेदनहीनता से एक पिता  अपने बेटे को लेकर उचित इलाज पीजीआई से केजीएमयू तक भटकता रहा है। अस्पताल बेड खाली होने की बात कह टरकाते रहे। ऐसे में इलाज नहीं पाने की वजह से युवक की जान चली गई। पिता की गोद में युवक की तड़प कर  मौत होने के बाद हड़कंप मच गया। इसके बाद प्रशासनिक स्तर पर बेड खाली न होने से लेकर तमाम बातें कही जाने लगी। विभागीय अधिकारियों ने दलील दी कि युवक को वेंटिलेटर की जरूरत थी। बेड खाली नहीं था इसलिए दूसरे अस्पताल जाने को कहा गया था। 
  
बिहार के वैशाली के बिशनपुर गढ़ निवासी रणविजय ने बताया कि वह अपने 17 वर्षीय बेटे शिवम को लेकर सोमवार रात 2:00 बजे के करीब लखनऊ पीजीआई पहुंचे थे। उन्होंने आरोप लगाया कि इमरजेंसी में पहुंचने के बाद भी उनके बेटे को डॉक्टर ने नहीं देखा। कैंसर पीड़ित शिवम को असहनीय दर्द था। ऐसे में गुहार लगाने के बाद भी डॉक्टर स्टाफ किसी ने उनकी बात नहीं सुनी। कुछ देर बाद स्टाफ ने बेड खाली न होने का हवाला देते हुए केजीएमयू ट्रामा सेंटर जाने को कहा। वह रात को की केजीएमयू ट्रामा सेंटर भी पहुंचे। वहां भी डॉक्टरों ने भर्ती करने से मना कर दिया। डॉक्टर ने कहा कि बेड खाली नहीं है। इसके बाद फिर दोबारा वापस पीजीआई पहुंचे लेकिन इसके बाद भी उनके बेटे शिवम को इलाज नहीं मिल सका। मंगलवार सुबह 5:00 बजे लंबी लाइन में लगकर ओपीडी में दिखाने के लिए फाइल बनवाई। ओपीडी पहुंचे तो शिवम की हालत लगभग बिगड़ चुकी थी। वह डॉक्टर के पास पहुंच भी नहीं पाया कि बेटा शिवम दर्द से कराहे लगा। कुछ ही देर में शिवम ने दम तोड़ दिया।

दर्जन भर मरीजों के ऑपरेशन टाले

पीजीआई प्रशासन ने आग लगने से ओटी कॉम्प्लेक्स की प्रभावित तीन ओटी में प्रस्तावित करीब दर्जन भर मरीजों के ऑपरेशन टाल दिये हैं। डॉक्टरों ने इन मरीजों की छुट्टी कर घर भेज दिया है। इन्हें बताया गया है कि ओटी शुरू होने पर फोन कर बुलाया जाएगा। इनमें से कुछ मरीज रुपये की कमी की वजह से अपनी मर्जी से छुट्टी लेकर घर चले गए हैं। इन मरीजों ने भर्ती के दौरान ऑपरेशन के लिए 50 हजार से लेकर दो लाख तक जमा किये थे।

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