प्राइमरी में बीएड बाहर होते ही बीटीसी की मची होड़, 20 दिन में चार गुना आवेदन
प्राइमरी स्कूलों में बीएड को बाहर करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 20 दिन में ही बीटीसी में आवेदन चार गुना हो गए। 11 अगस्त तक बीटीसी कॉलेजों में एक लाख दो हजार आवेदन थे जो 4 लाख पार हो गए।
प्राइमरी स्कूलों में बीएड को बाहर करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 20 दिन में ही बीटीसी में आवेदन चार गुना हो गए हैं। 11 अगस्त तक प्रदेश के बीटीसी कॉलेजों में एक लाख दो हजार आवेदन थे जो 30 अगस्त को चार लाख के पार चले गए। बीटीसी में छात्रों की रौनक से बीएड कॉलेजों में संकट की घंटी बज गई है। बीएड में दो लाख 53 हजार सीटों पर चार लाख 73 हजार छात्रों ने प्रवेश परीक्षा दी थी। ऐसे में परीक्षा में शामिल छात्रों के बीटीसी में शिफ्ट होने की उम्मीद है।
सत्र 2023 में बीटीसी में आवेदन की अंतिम तिथि पहले 30 जुलाई थी। इस तिथि तक प्रदेशभर में एक लाख से कम आवेदन हुए। फिर तिथि बढ़ाकर 21 अगस्त हुई और आवेदन एक लाख दो हजार तक पहुंच गए। 11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने बीएड अर्हता को प्राइमरी में शिक्षक बनने से बाहर कर दिया। फैसले के सात दिन बाद ही बीटीसी में आवेदनों की संख्या तीन लाख 40 हजार पहुंच गई। परिषद ने फिर तिथि बढ़ाकर 31 अगस्त कर दी और आवेदन चार लाख के पार चले गए।
नहीं मिल रहे थे बीटीसी में छात्र
बीटीसी 2020 में सत्र शून्य करना पड़ा। कॉलेजों को छात्र नहीं मिले। 2021 में दो लाख 28 हजार सीटों पर एक लाख 64 हजार आवेदन हुए लेकिन प्रवेश मात्र 96 हजार 134 ने लिया। 2022 सत्र में दो लाख 33 हजार सीटों पर एक लाख 60 हजार आवेदन हुए और प्रवेश 55 हजार 677 ने कराया। इन सभी सत्रों में प्राइमरी में बीएड शामिल था। ऐसे में छात्रों का फोकस बीएड में रहा। लेकिन फैसले के बाद स्थिति बदल गई। छात्रों का फोकस फिर से बीटीसी की तरफ हो गया है।
बीएड कॉलेजों पर संकट
प्रदेशभर बीएड के 2510 कॉलेज हैं और सीटें दो लाख 53 हजार। इसमें से दो लाख 45 हजार सीटें केवल सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों में हैं। 2023 में चार लाख 73 हजार छात्रों ने बीएड प्रवेश परीक्षा दी है। ऐसे में आसार हैं कि ये छात्र बीटीसी में शिफ्ट हो गए हैं। इससे बीएड कॉलेजों पर संकट के बादल छाए हुए हैं। सत्र 2020 में बीएड में पांच लाख 91 हजार, 2021 में छह लाख 14 हजार और 2022 में छह लाख 75 हजार छात्र प्रवेश परीक्षा में शामिल हुए थे।
स्ववित्तपोषित महाविद्यालय संघ के अध्यक्ष नितिन यादव के अनुसार प्राइमरी स्कूलों में रिक्तियां अधिक होती हैं। फैसले से रुझान बदलता हुआ दिख रहा है। छात्रों को लगा बीएड से नौकरी नहीं मिल पाएगी। बीएड में व्यापक संभावनाएं हैं जबकि बीटीसी केवल प्राथमिक में ही मान्य है। बीटीसी की परीक्षा प्रणाली बीएड के सापेक्ष कठिन है। बीटीसी में सफलता का प्रतिशत भी बीएड से कम है। उम्मीद है कि दीर्घावधि में बीएड में प्रभाव ना पड़े।
पंजीकरण निरस्त करने का भी विरोध
स्ववित्तपोषित महाविद्यालय संघ ने परीक्षा नियामक प्राधिकारी द्वारा एक मोबाइल नंबर पर पंजीकृत एक से अधिक विद्यार्थियों का पंजीकरण निरस्त करने के प्रस्ताव का विरोध किया है। संघ के अनुसार अधिसूचना में कहीं भी यह स्पष्ट नहीं था कि एक मोबाइल एवं ईमेल पर एक ही पंजीकरण मान्य होगा। यदि ऐसा था तो रजिस्ट्रेशन ही नहीं होना चाहिए था। संघ के अनुसार यदि पंजीकरण निरस्त हुए तो वे कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।