बांसगांव लोकसभा सीट समीकरण: बीजेपी को कड़ी चुनौती देने की तैयारी में विपक्ष, CM योगी के नाते इस सीट पर होगी सबकी नज़र
Bansgaon Loksabha Seat: इस सीट को दूसरे आम चुनाव से ही अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया गया था। 2008 में परिसीमन हुआ तो बहुतों को उम्मीद थी कि यह सीट अनारक्षित होगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
Bansgaon Loksabha Seat: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृहजनपद गोरखपुर की दो संसदीय सीटों में से एक बांसगांव से कमलेश पासवान बीजेपी के सांसद हैं। वह सीट पर जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं। उनके समर्थक चौथी बार के लिए दिन-रात एक किए हैं। उधर, समाजवादी पार्टी, बसपा और कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के तमाम नेता इस सीट पर इस बार बीजेपी को कड़ी चुनौती देने की तैयारी में हैं। सीएम योगी के गढ़ की इस सीट पर 2019 की तरह इस बार भी सबकी नज़र होगी।
इस सीट को दूसरे आम चुनाव से ही अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया गया था। 2008 में परिसीमन हुआ तो बहुतों को उम्मीद थी कि यह सीट अनारक्षित होगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बांसगांव क्षेत्र में चुनाव प्रचार हमेशा से कुछ अलग रहा है। लोग बताते हैं कि किस तरह 1967 के चुनाव में सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार मोलहू प्रसाद साइकिल पर सवार हो खजड़ी बजाते, गीत गाते क्षेत्र में निकलते थे। लोगों ने उन्हें अपना सांसद चुन लिया। कांग्रेस के बड़े नेताओं में शुमार रहे महावीर प्रसाद ने केंद्रीय मंत्री से राज्यपाल तक का सफर तय किया लेकिन बांसगांव में आते ही वो बिल्कुल अलग अंदाज में दिखते थे।
हालांकि वक्त के साथ काफी कुछ बदल गया है। लग्जरी गाड़ियों के काफिले, धनबल और बाहुबल के प्रदर्शन के बिना अब चुनाव प्रचार की कल्पना ही नहीं की जाती। ऐसे ही माहौल में जहां भाजपा के सांसद कमलेश पासवान 2019 में तीसरी बार इस सीट से जीतकर हैट्रिक लगाने में कामयाब रहे वहीं इस बार भी उनके समर्थक पूरा जोर लगा रहे हैं। 2019 के चुनाव में कमलेश के मुकाबले सपा-बसपा गठबंधन ने बसपा उम्मीदवार सदल प्रसाद को मैदान में उतारा था। वहीं कांग्रेसी उम्मीदवार कुश सौरभ का पर्चा ही खारिज हो गया था।
कब कौन रहा सांसद
आजादी के बाद कई चुनावों तक इस सीट पर कांग्रेस एकतरफा जीत हासिल करती रही। 1957 में पहली बार हुए आम चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज महादेव प्रसाद यहां से जीते थे। महादेव प्रसाद ने 1962 में भी यहां से जीत दर्ज की। कांग्रेस के बड़े नेताओं में शुमार महावीर प्रसाद चार बार बांसगांव से सांसद बने। संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर 1967 में मोहलु प्रसाद ने यहां से जीत दर्ज की थी। कांग्रेस के राम सूरत प्रसाद ने 1971 में इस सीट पर एक बार अपनी पार्टी का परचम लहरा दिया तो 1977 में इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में भारतीय लोकदल के उम्मीदवार विशारद फिरंगी प्रसाद विजयी रहे।
इसके बाद महावीर प्रसाद यहां से लगातार 1980, 1984 और 1989 में सांसद बनते रहे। कांग्रेस सरकार में वह केंद्रीय मंत्री रहे। फिर हरियाणा के राज्यपाल भी रहे। बीजेपी ने यहां 1991 में पहली बार कमल खिलाया। उस चुनाव में राज नारायण पासी यहां से जीते थे। वर्तमान बीजेपी सांसद कमलेश पासवान की मां सुभावती पासवान 1996 में यहां से सांसद बनीं। 1998 और 1999 के चुनाव में एक बार फिर राज नारायण पासी ने बतौर बीजेपी उम्मीदवार जीत दर्ज कराई। 2004 के चुनाव में महावीर प्रसाद एक बार फिर लौट आए और उन्होंने इस सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर जीत हासिल की। 2009, 2014 और 2019 में बतौर बीजेपी उम्मीदवार कमलेश पासवान लगातार यहां से जीतते आ रहे हैं।
2014 का चुनाव परिणाम
बांसगांव संसदीय सीट पर 2014 के चुनाव में भी बीजेपी उम्मीदवार कमलेश पासवान ने जीत दर्ज की थी। उन्हें कुल 4,17,959 वोट मिले थे। जबकि बीएसपी के प्रत्याशी सदल प्रसाद को 2,28,443 वोट मिले थे। वहीं समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी गोरख प्रसाद पासवान को 1,33,675 वोट मिले थे।
2019 का चुनाव परिणाम
2019 में बांसगांव संसदीय सीट पर सिर्फ चार उम्मीदवार थे। बीजेपी उम्मीदवार कमलेश पासवान 1,53468 वोटों से बसपा के सदल प्रसाद को हरा कर तीसरी बार सांसद बने थे। इस चुनाव में कमलेश पासवान को कुल 5,46,673 वोट और सदल प्रसाद को 3,93,205 वोट मिले थे। प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के उम्मीदवार सुरेंद्र प्रसाद को 8,717 वोट और निर्दलीय लालचंद प्रसाद को 6,448 वोट मिले थे।
विधानसभा सीटों की स्थिति
बांसगांव लोकसभा क्षेत्र के तहत कुल पांच विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें गोरखपुर की चिल्लूपार, बांसगांव, चौरीचौरा सीट और देवरिया की रुद्रपुर और बरहज सीट शामिल हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में बांसगांव सीट से सांसद कमलेश पासवान के भाई डॉ विमलेश ने बतौर भाजपा उम्मीदवार जीत हासिल की। चिल्लूपार विधानसभा सीट से भाजपा के राजेश त्रिपाठी, चौरी चौरा से भाजपा के सरवन कुमार निषाद, बरहज से भाजपा के दीपक मिश्रा और रुद्रपुर से भाजपा के जयप्रकाश निषाद ने जीत हासिल की थी।
बांसगांव के जातीय समीकरण
बांसगांव लोकसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा मतदाता अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के बताए जाते हैं। एक अनुमान के मुताबिक यहां करीब 8.34 लाख ओबीसी मतदाता तो 2.50 लाख अनुसूचित जाति के मतदाता हैं। सवर्ण मतदाताओं की तादाद भी करीब पांच लाख के आसपास है। करीब डेढ़ लाख मुस्लिम मतदाता बताए जाते हैं।