बैंक मैनेजर ने सरकारी स्कूल में पढ़ाकर चार बच्चों को IAS-IPS बना दिया, पूरे परिवार का यूपीएससी क्रैक
प्रतापगढ़ के इस परिवार की सक्सेस स्टोरी ने इस गांव को चर्चा में ला दिया है। यूपीएससी क्रैक कर चारों भाई-बहन सबके लिए मिसाल बन गए हैं। लोग उनकी कहानियां अपने बच्चों को सुना रहे हैं।
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Four real brothers and sisters became IAS-IPS: यूपी के प्रतापगढ़ जिले के एक छोटे से कस्बे लालगंज में एक छोटा सा गांव है इटौरी। इस गांव के रहने वाले एक बैंक मैनेजर ने अपने चार बच्चों को सरकारी स्कूल में पढ़ाकर आईएएस-आईपीएस बना दिया। इस परिवार की सक्सेस स्टोरी ने पूरे गांव को चर्चा में ला दिया है। यूपीएससी क्रैक कर चारों भाई-बहन सबके लिए मिसाल बन गए हैं। लोग उनकी कहानियां अपने बच्चों को सुना रहे हैं।
परिवार में दो भाई और एक बहन आईएएस और एक बहन आईपीएस हैं। इस परिवार के मुखिया बैंक मैनेजर अनिल मिश्र परिवार के साथ दो कमरे के एक मकान में रहा करते थे। उनके दो बेटे योगेश-लोकेश और दो बेटियां माधवी-क्षमा हैं। सबने प्रतापगढ़ के सरकारी स्कूल से शिक्षा पाई। अनिल मिश्र हमेशा से चाहते थे कि उनके चारों बच्चे बड़े होकर अफसर बनें। इसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की। परिवार में शुरू से ही बच्चों की पढ़ाई पर काफी ध्यान दिया गया और बच्चे तो पढ़ाई में होशियार थे ही।
भाई-बहनों के यूपीएससी क्रैक करने का सिलसिला सबसे पहले योगेश से शुरू हुआ। योगेश ने यूपीएससी की तैयारी शुरू की। उन्हें देखकर माधवी, क्षमा और लोकेश में भी इसका क्रेज बढ़ा। उन्होंने भी तैयारी शुरू कर दी। यूपीएससी में सबसे पहले चयन भी योगेश का ही हुआ। वह 2013 में परीक्षा में सफल घोषित किए गए।अच्छी रैंक हासिल कर आईएएस बने। योगेश के चयन के बाद परिवार में तैयारी का माहौल और बेहतर बन गया। माधवी, क्षमा और लोकेश भी उत्साह से भर गए। उन्होंने और मेहनत से तैयारी शुरू कर दी।
नतीजा यह हुआ कि 2014 में माधवी न सिर्फ यूपीएएसी क्रैक करने में सफल रहीं बल्कि उनकी 62वीं रैंक भी आई। माधवी के आईएएस बनने के बाद दूसरे भाई लोकेश ने भी 2015 में यूपीएससी में 44 वीं रैंक हासिल कर कामयाबी के झंडे गाड़ दिए। इसी साल क्षमा भी यूपीएससी की परीक्षा में सफल रहीं। 172वीं रैंक के साथ उन्होंने आईपीएस का पद हासिल किया। इस तरह तीन साल के अंदर एक ही परिवार के इन चारों भाई-बहनों ने आईएएस-आईपीएस बनकर इतिहास रच दिया।