अतीक और अशरफ ने खड़ा किया अपराध का साम्राज्य, एक ने शतक तो दूसरे ने लगाया अर्धशतक
जरायम की दुनिया में एक भाई ने शतक तो दूसरे ने अर्धशतक लगा दिया है। माफिया अतीक अहमद पर 101 तो उसके भाई अशरफ पर 50 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। अशरफ ने ही बरेली जेल से उमेश पाल की हत्या की साजिश रची।
जरायम की दुनिया में एक भाई ने शतक तो दूसरे ने अर्धशतक लगा दिया है। माफिया अतीक अहमद पर 101 तो उसके भाई अशरफ पर 50 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। अशरफ ने ही बरेली जेल से उमेश पाल की हत्या की साजिश रची और अपने शूटरों से वारदात को अंजाम दिलाया। उमेश पाल हत्याकांड के बाद जेल में बंद अशरफ के कारनामे देखकर उसे किसी ऐसी जेल में भेजने की तैयारी चल रही है, जहां से वह अपने खतरनाक मंसूबों को अंजाम न दे सके। इनकाउंटर के डर ने अतीक और अशरफ को दूसरी जेल में ट्रांसफर न करने की अर्जी पहले ही कोर्ट में दी जा चुकी है।
पूर्व सांसद अतीक अहमद के भाई अशरफ ने चुनावी ताल ठोकी लेकिन उसे राजू पाल ने पराजित कर दिया। विधायक बने राजू पाल ने अपनी राजनीतिक पारी शुरू की लेकिन 25 जनवरी 2005 को उसे गोलियों से भून दिया गया। उसके दो साथी भी मारे गए। इस हत्या के लिए अतीक अहमद के साथ उसके भाई अशरफ को जिम्मेदार बताया गया।
पुलिस को जांच में पता चला कि राजू पाल की हत्या में शामिल शूटरों को अशरफ ही लीड कर रहा था। अशरफ ने भी गोलियां चलाई थीं। उसकी कॉल डिटेल और लोकेशन के आधार पर अशरफ को आरोपित किया गया था। अशरफ ने सनसनीखेज तरीके से वारदात को अंजाम दिया था। इस हत्याकांड के बाद शहर में कई जगहों पर आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं हुई थीं। सत्ता बदली तो अशरफ पर शिकंजा कसा गया लेकिन फिर सपा शासन में अशरफ ने अपनी दबंगई दिखाई। इसी बीच झलवा में एक सरिया व्यापारी को इतना पीटा कि उसके सिर से पैर तक चोट के निशान थे। उसका खौफ इतना था कि किसी ने अशरफ के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की हिम्मत नहीं की। अब जेल में बंद अशरफ पर उमेश पाल मर्डर केस की साजिश रचने का आरोप है। पुलिस मुठभेड़ में मारा गया विजय चौधरी उर्फ उस्मान भी अशरफ से मिलने गुलाम के साथ बरेली जेल गया था। वहीं पर उसे निर्देश मिले और सनसनीखेज तरीके से उमेश पाल की हत्या कर दी गई।
अपहरण का दर्ज हुआ था पहला केस
पुलिस रिकॉर्ड में अशरफ के खिलाफ अब तक 50 केस दर्ज हो चुके हैं। खालिद अजीम उर्फ अशरफ के खिलाफ मुट्ठीगंज पुलिस ने 1992 में पहला मुकदमा दर्ज किया था। पहले केस में वह अपहरण, धमकी, दबंगई और बलवा का आरोपी बना था। इसके बाद अशरफ की गुंडई बढ़ती गई। जिस पर पुलिस ने उसके खिलाफ गुंडा और गैंगस्टर का केस दर्ज किया। अशरफ के खिलाफ सिविल लाइंस पुलिस ने 1996 में हत्या का पहला केस दर्ज किया था। इसके बाद मुकदमों की झड़ी लगी गई। 2005 में राजू पाल की हत्या की रिपोर्ट में वह मुख्य आरोपी बना। 2007 और 2018 में गैंगस्टर एक्ट में दो बार कार्रवाई हुई। धूमनगंज में डबल मर्डर समेत कई मुकदमे में उसे आरोपित किया गया। बरेली जेल में बंद अशरफ पर अब उमेश पाल की हत्या की साजिश की एफआईआर दर्ज हुई है।