आसमान में फिर हुई खगोलीय घटना, 18 साल बाद दिखा ऐसा अद्भुत नजारा, वैज्ञानिकों ने बताया इसके पीछे का कारण
भारत के आसमान में एक बार फिर खगोलीय घटना हुई। आधी रात को आमसान में कुछ ऐसा नजारा दिखा जिसे देखकर वैज्ञानिक भी चकित रह गए। वैज्ञानिकों ने बताया कि एक नजारा 18 साल बाद देखा गया है।
भारत के आसमान में एक बार फिर खगोलीय घटना हुई। आधी रात को आमसान में कुछ ऐसा नजारा दिखा जिसे देखकर वैज्ञानिक भी चकित रह गए। वैज्ञानिकों ने बताया कि एक नजारा 18 साल बाद देखा गया है। अक्टूबर में भी ऐसा दोबारा से देखा जा सकेगा। दरअसल बुध और गुरुवार की रात आसमान में शनि का चंद्रग्रहण देखा गया। बुधवार देर रात छाए बादलों ने शनि और चंद्रमा की लुकाछिपी शुरू होने के बाद खलल भी डाला मगर रात 1 बजकर 44 मिनट से अगले कुछ मिनटों के लिए यह दृश्य बेहद स्पष्ट दिखा। खगोल विज्ञान की भाषा में इस घटना को ‘लूनर ऑकल्टेशन ऑफ सैटर्न’ कहा जाता है। ‘हिन्दुस्तान’ ने 21 जुलाई के अंक में इस खगोलीय घटना के बारे में जानकारी दी थी। शनि का चंद्रग्रहण लगभग 18 साल बाद भारत के साथ आसपास के कई देशों में नजर आने वाला था। बनारस के युवा अध्येता वेदांत पांडेय के अलावा बीएचयू के वैज्ञानिकों और शहर के कई जिज्ञासुओं ने भी अपने टेलिस्कोप से इस नजारे को देखा।
वेदांत ने अपने पांच इंच मिरर वाले टेलिस्कोप से खींची हुई तस्वीर भी ‘हिन्दुस्तान’ को भेजी है। इस तस्वीर में चंद्रमा की सतह के पीछे से उदय होता शनि देखा जा सकता है। इसके बाद सतह के साथ शनि ने अपना स्थान बदला। वेदांत ने बताया कि यह दृश्य लगभग आधे घंटे यानी 2.25 बजे तक दिखा। बादलों के कारण पूरा नजारा नहीं देखा जा सका। वेदांत के अनुसार लगभग तीन महीने बाद 14 अक्तूबर को इसे दोबारा देखा जा सकेगा।
एक कतार में आ जाते हैं चंद्र, शनि
बीएचयू के अंतरिक्ष विज्ञानी डॉ. कुंवर अलकेंद्र प्रताप सिंह ने भी बुधवार रात इस घटना का अध्ययन किया। उन्होंने बताया कि ‘लूनर ऑकल्टेशन ऑफ सैटर्न’ में चंद्रमा और शनि एक कतार में आ जाते हैं। धरती से यह ग्रहण जैसा दिखता है। यह खगोलीय घटना भारत के अलावा अलग-अलग समय पर श्रीलंका, म्यांमार, चीन और जापान में भी देखी गई।