Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Arts 17 states will be prepared in CSJM University of Kanpur

Hindustan Special: कानपुर के सीएसजेएम विश्वविद्यालय में तैयार होंगे 17 राज्यों की कला के हुनरमंद

सीएसजेएम विवि में अलग-अलग प्रदेशों की प्राचीन कला के बारे में छात्र-छात्राएं किताबों में इतिहास जानेंगे और उसकी बारीकियां समझेंगे। विवि में उस कला के विशेषज्ञों के माध्यम से कार्यशालाएं भी होंगी।

Dinesh Rathour अभिषेक सिंह, कानपुरFri, 7 July 2023 10:13 PM
share Share

पूरे देश की कला के अलग-अलग रंग.. सब एक कैनवास पर। अगले कुछ महीनों में कानपुर के सीएसजेएम विश्वविद्यालय में यह नजारा दिखेगा। एक परिसर के एक विभाग में उत्तर प्रदेश की सांझी कला के विशेषज्ञ तैयार होंगे तो असम की असमिज लघु पेंटिंग भी सीखेंगे। मप्र की पिथोरा, भील और गोंड पेंटिंग बनेगी तो पश्चिम बंगाल की डोकरा, कालीघाट, मसान और पटुआ पेंटिंग भी। 17 राज्यों की 45 कलाएं एक जगह पढ़ाई जाएंगी। नई शिक्षा नीति के तहत एमए ड्राइंग एंड पेंटिंग के पाठ्यक्रम में यह बदलाव किया है।
भारत के अलग-अलग राज्यों की संस्कृति, कला व साहित्य को एक दूसरे से परिचित कराने के लिए अनेक प्रयास चल रहे हैं। कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक के निर्देश पर बोर्ड ऑफ स्टडीज ने एमए ड्राइंग एंड पेंटिंग के नए पाठ्यक्रम में लगभग सभी प्राचीन कलाओं को शामिल किया गया है।

विशेषज्ञों की देखरेख में होंगी कार्यशालाएं

विवि में अलग-अलग प्रदेशों की प्राचीन कला के बारे में छात्र-छात्राएं किताबों में इतिहास जानेंगे और उसकी बारीकियां समझेंगे। विवि में उस कला के विशेषज्ञों के माध्यम से कार्यशालाएं भी होंगी, जिससे वे प्राचीन स्वरूप को समझ सकें।

तैयार हो रहा स्टडी मैटेरियल

नई शिक्षा नीति के तहत पाठ्यक्रम में बदलाव हुआ और प्राचीन कलाओं को शामिल कर दिया गया। मगर अभी तक इन कलाओं का स्टडी मैटेरियल काफी सीमित है। जिसको लेकर कई प्रोफेसर अंग्रेजी के साथ हिन्दी व अन्य भाषाओं में इन कला से जुड़े स्टडी मैटेरियल भी तैयार कर रहे हैं। विवि के डॉ. बृजेश कटियार ने अब तक 10 से अधिक प्राचीन कला का स्टडी मैटेरियल किताब के रूप में तैयार कर लिया है। विशेषज्ञ इस पहल को सराह रहे हैं। वरिष्ठ कलाकार प्रो. हृदय गुप्ता ने कहा कि हर अंचल में कला का विशिष्ट क्षितज है। उसके रंग एक जगह सजें, इससे बेहतर क्या हो सकता है।

सीएसजेएमयू की फाइन आर्ट विभाग की वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. ब्रजेश कटियार ने बताया, नई शिक्षा नीति के तहत एमए ड्राइंग एंड पेंटिंग विषय का सिलेबस बदला गया है। अब छात्रों को प्रथम सेमेस्टर में ही उत्तर प्रदेश की दो कलाओं के अलावा 16 प्रदेशों की 45 प्राचीन कलाओं के बारे में पढ़ना होगा। इससे कई कलाएं, जो विलुप्त हो रही थी, उन्हें बढ़ावा मिलेगा।

इन प्रदेशों की कलाओं को पढ़ेंगे कानपुर विवि के छात्र

  • उत्तर प्रदेश - रामलीला व सांझी कला
  • उत्तराखंड - ऐपन
  • असम - असमिज लघु पेंटिंग
  • मध्य प्रदेश - पिथोरा पेंटिंग, भील पेंटिंग, गोंड पेंटिंग
  • झारखंड - सोहरई कला, जदुपटिया पेंटिंग
  • बिहार - मधुबनी, पूर्णिया पेंटिंग, टिकुली कला
  • छत्तीसगढ़ - गोदना
  • पश्चिम बंगाल - डोकरा कला, कालीघाट पेंटिंग, मसान पेंटिंग, पटुआ पेंटिंग, संथल पेंटिंग
  • ओडिशा - पिपली कला, सउरा पेंटिंग, तेस्सर सिल्क पेंटिंग, छाऊ
  • राजस्थान - मदाना, मीनाकरी, पिछवली पेंटिंग
  • गुजरात - लिप्पन कला, माता नी पचेड़ी, रोगन कला
  • महाराष्ट्र - चितकाठी, वर्ली फॉल पेंटिंग
  • तेलंगाना - चेरियल स्क्राल पेंटिंग, कलमकरी
  • आंध्रप्रदेश - कोंडापल्ली बोम्मल्लू, लेदर पपेट कला
  • कर्नाटक - चितारा कला, मैसूर गंजीफा कला, मैसूर पेंटिंग, यक्षगाना
  • तमिलनाडु - कोलम फ्लोर पेंटिंग, कुरुंबा पेंटिंग, तंजोर रिवर्स ग्लास पेंटिंग, सुरपुर फॉक कला, तंजोर पेंटिंग
  • केरल - केरला म्यूरल पेंटिंग, कथककली बॉडी पेंटिंग, थिरायतम, कलमेजुथु कला
     

अगला लेखऐप पर पढ़ें