माफिया डॉन बृजेश सिंह को लेकर इस ऐलान से मची हलचल, राजभर के नए दांव का क्या होगा असर
ओपी राजभर ने बाहुबली बृजेश सिंह को गाजीपुर सीट पर उतारने का एलान कर सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। उन्होंने 2022 में मुख्तार के बेटे अब्बास अंसारी को मऊ विधानसभा सीट से लड़ाया था।
Mafia Don Bahubali Brijesh Singh: सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के अध्यक्ष और पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने बाहुबली बृजेश सिंह को गाजीपुर सीट पर उतारने का एलान कर सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। पहले मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को मऊ की सदर सीट से जितवाया और अब बृजेश को लोकसभा सीट पर पार्टी का चेहरा बनाने की मंशा जाहिर कर आगामी एनडीए गठबंधन में भी गरमी ला दी है।
हालांकि उनके करीबियों का यह भी मानना है कि सुभासपा अध्यक्ष वोटरों के बीच अपनी धमक बनाने के लिए बाहुबलियों के साथ मिलकर सत्ता की सीढ़ी चढ़ने का प्रयास करते रहे हैं। इसमें उन्हें कभी कामयाबी मिली तो कई बार नाकामी भी। ये भी कहा जाता है कि बाहुबली अपनी सियासत की नैया ओपी के जरिए भी पार लगाने की जुगत में रहे हैं।
सुभासपा में कभी राष्ट्रीय महासचिव रहे और अब सपा से गठबंधन कर चुके नेशनल इक्वल पार्टी अध्यक्ष शशि प्रताप सिंह का कहना है कि ओमप्रकाश ने अपनी राजनीति में बाहुबलियों और धनपशुओं को काफी अहमियत दी। 2009 के लोकसभा चुनाव में भी बृजेश सिंह को सुभासपा के बैनर तले चंदौली सीट पर लड़ाने की तैयारी चल रही थी। हालांकि बाद में तुलसी राजपूत को प्रत्याशी बनाया। चर्चा रही कि इसके एवज में तुलसी राजपूत ने काफी धन खर्च किये थे। हालांकि वह चुनाव नहीं जीत पाये।
सूत्रों की मानें तो चुनाव बाद सुभासपा अध्यक्ष सम्बंधों को धार देने के लिए बृजेश सिंह से मिलने अहमदाबाद जेल भी गए थे। 2012 के विधानसभा चुनाव में ओमप्रकाश की पार्टी सुभासपा ने बाहुबली मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा। चंदौली की सैयदराजा सीट पर बृजेश सिंह ने प्रगतिशील मानव समाज पार्टी से चुनाव लड़ा तब कौमी एकता दल ने बृजेश के खिलाफ प्रत्याशी उतारा था। हालांकि दोनों असफल रहे।
कौमी एकता दल के साथ सुभासपा का गठबंधन 2017 तक बना रहा। 2017 के विधानसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन में सुभासपा भी शामिल हुई। ओमप्रकाश योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार में कैबिनेट मंत्री बने। सुशासन के नारे वाली योगी सरकार के साथ ओमप्रकाश का साथ करीब 17 महीने का रहा लेकिन बाहुबलियों से उनका हाथ नहीं छूटा था। बताते हैं कि वह लगातार बृजेश सिंह के सम्पर्क में रहे। मंत्री रहते हुए बीएचयू अस्पताल में मिलने भी पहुंचे थे।
एनडीए से बगावत के बाद 2019 में लोकसभा चुनाव अकेले लड़े। 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा से गठबंधन के बाद ओमप्रकाश ने मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को मऊ सदर से प्रत्याशी घोषित किया। हालांकि बाहुबलियों को प्रश्रय देने की बात पर कन्नी भी काटते रहे। बाद में उन्होंने अब्बास को प्रत्याशी मानने से भी इनकार कर दिया था।
हालांकि अब्बास ने सुभासपा के सिंबल पर ही जीत दर्ज की थी। 2022 में पार्टी का बुरा हश्र देख एक बार फिर उन्होंने सपा के खिलाफ बगावती तेवर अपना लिया। ओमप्रकाश राजभर कुछ दिनों पहले प्रदेश सरकार में जल्द से जल्द मंत्री बनने की घोषणा भी कर चुके हैं। हालांकि उनके राजनीतिक व्यक्तित्व को देखा जाए तो उनके बयान हमेशा सुर्खियों में रहे।
योग्य को पार्टी चुनाव क्यों नहीं लड़ा सकतीः राजभर
ओमप्रकाश राजभर का दावा है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा-सुभासपा गठबंधन में मऊ सदर सीट पर मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास को सपा ने उतारा था। गठबंधन में तय हुआ था कि सपा कुछ सीटों पर अपने प्रत्याशी को सुभासपा के सिंबल पर लड़ाएगी।
कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव में गाजीपुर सीट को लेकर मेरा मानना है कि यदि एनडीए गठबंधन कहेगा तो सुभासपा अपने सिंबल पर बृजेश सिंह को चुनाव लड़ाने के लिए तैयार है। उनका कहना था कि निर्वाचन आयोग के मानकों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति चुनाव लड़ने योग्य है तो उसे क्यों नहीं प्रत्याशी बनाया जा सकता है?