गजब! मदरसे के तीन शिक्षकों और लिपिक को बर्खास्तगी के 11 साल बाद तक मिलता रहा वेतन
यूपी के महाराजगंज जिले के सिसवां बाजार स्थित मदरसा अरबिया अताउर्रसूल के तीन शिक्षकों और एक लिपिक को बर्खास्तगी के बाद भी अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अफसरों की मिलीभगत से 11 साल तक वेतन मिलता रहा।
यूपी के महाराजगंज जिले के सिसवां बाजार स्थित मदरसा अरबिया अताउर्रसूल के तीन शिक्षकों और एक लिपिक को बर्खास्तगी के बाद भी अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अफसरों की मिलीभगत से 135 महीने यानी करीब 11 साल तक वेतन व भत्तों का भुगतान किया जाता रहा।
कुल 3 करोड़ 08 लाख 856 रुपये की हड़पी गई इस सरकारी रकम की वसूली के लिए अब विभाग अदालती लड़ाई लड़ रहा है। उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा परिषद के रजिस्ट्रार जगमोहन सिंह ने बताया कि इस मदरसे के लिपिक रौशन अली को भुगतान किये गए वेतन व भत्तों की रिकवरी का आदेश उनके स्तर से जारी हुआ था।
इस सम्बंध में इसी महीने 12 जनवरी को महाराजगंज के जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने महाराजगंज के डीएम को एक पत्र भेजा था जिसमें रौशन अली के वेतन भत्ते की रिकवरी के आदेश दिये गये थे। जिसके खिलाफ रौशन अली ने अदालत की शरण ले ली। अब अदालत जो भी निर्णय करेगी उसके अनुरूप आगे कार्यवाही की जाएगी।
इसके अलावा इसी मदरसे के सहायक अध्यापक शहाबुल्लाह, मो.मोइनुद्दीन और मजहर अली को भी बर्खास्तगी के बाद 135 महीने तक वेतन व भतों का भुगतान किया जाता रहा। यह तीनों शिक्षक मई 2008 में बर्खास्त किये गये थे और इन्हें नवम्बर 2022 तक वेतन व भत्ते का भुगतान किया जाता रहा।
हाईकोर्ट प्रयागराज की डबल बेंच ने इन तीनों शिक्षकों को आगे वेतन व भत्तों का भुगतान किये जाने पर रोक लगा दी है। इस मामले में अदालत ने 30 जनवरी को फिर सुनवाई की तारीख तय की है। उधर, विभागीय सूत्रों का कहना है कि अदालत के आदेश के बाद इस पूरे मामले में तत्कालीन विशेष सचिव अल्पसंख्यक कल्याण (अब सेवानिवृत्त), अनुभाग अधिकारी (अब ग्राम्य विकास में कार्यरत) पर जिम्मेदारी तय करते हुए उनके खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है।